एक्सप्लोरर

Shradh 2022: जानिए मृत्यु के बाद क्यों किया जाता है पिंडदान, क्या है इसका महत्व?

Pitru Paksha 2022: पितरों का पिंडदान इसलिए किया जाता है ताकि उनकी पिंड की मोह माया छूटे और वो आगे की यात्रा प्रारंभ कर सके. वहीं बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व है.

Shradh 2022: आपने अक्सर लोगों को पिंडदान करते हुए देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिंडदान होता क्या है. दऱअसल ‘पिंड’ शब्द का अर्थ है किसी वस्तु का गोलाकार रूप. प्रतीकात्मक रूप में शरीर को भी पिंड ही कहते है. मृतक के निमित्त अर्पित किए जाने वाले पदार्थ जैसे पके हुए चावल,दूध और तिल मिश्रित करके जो पिंड बनाते हैं, उसे सपिण्डीकरण कहते हैं. हर पीढ़ी में मातृकुल और पितृकुल के गुणसूत्र उपस्थित होते हैं.

पौराणिक मान्यता के अनुसार साधू-संतों और बच्चों का पिंडदान नहीं होता है क्योंकि इन्हें सांसारिक मोह-माया से अलग माना गया है. श्राद्ध में जो चावल का पिंड बनाया जाता है, उसके पीछे तात्विक ज्ञान भी छिपा है.जो शरीर में नहीं रहे है, पिंड में है, उनका भी नौ तत्वों का पिंड रहता है. उनका स्थूल पिंड नहीं बल्कि वायूमय पिंड रहता है.

बता दें कि पितरों का पिंडदान इसलिए किया जाता है ताकि उनकी पिंड की मोह माया छूटे और वो आगे की यात्रा प्रारंभ कर सके. वो दूसरा शरीर, दूसरा पिंड या मोक्ष पा सके. धार्मिक ग्रंथों में मृत्यु के बाद प्रेत योनी से बचाने के लिए पितृ तर्पण का बहुत महत्व है. ऐसा माना जाता है कि पूर्वजों को किए गए तर्पण से उन्हें मुक्ति मिल जाती है और वो प्रेत योनी से मुक्त हो जाते हैं.

जानिये, कहां-कहां होता पिंडदान और क्यों             

यूं तो देश के कई स्थानों में पिंडदान किया जाता है, लेकिन बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व है. कहा जाता है कि भगवान राम और देवी सीता ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था.  

श्राद्ध के लिए त्र्यम्बकेश्वर, हरिद्वार, गंगासागर, जगन्नाथपुरी, कुरुक्षेत्र, चित्रकूट, पुष्कर, बद्रीनाथ सहित 60 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों में पिंडदान के लिए इनमें तीन जगहों को सबसे विशेष माना गया है. इनमें बद्रीनाथ भी है. बद्रीनाथ के पास ब्रह्मकपाल सिद्ध क्षेत्र में पितृदोष मुक्ति के लिए तर्पण का विधान है. हरिद्वार में नारायणी शिला के पास लोग पूर्वजों का पिंडदान करते हैं. बिहार की राजधानी पटना से 100 किलोमीटर दूर गया में साल में एक बार 17 दिन के लिए मेला लगता है. पितृ-पक्ष मेला कहा जाता है पितृ पक्ष में फल्गु नदी के तट पर विष्णुपद मंदिर के करीब और अक्षयवट के पास पिंडदान करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है. गरुड़ पुराण में कहा गया है कि गया जाने के लिए घर से निकलने पर चलने वाले एक-एक कदम पितरों के स्वर्गारोहण के लिए एक-एक सीढ़ी बनाते हैं. 

Jaipur Water Supply: सितंबर में गर्मी का सितम, पीने के पानी की बढ़ी मांग, बीसलपुर बांध से होगी सप्लाई

श्राद्ध, पिंडदान, कर्म पुत्र द्वारा ही क्यों?

दर्शकों ये जानने की उत्सुकता सभी के मन में होती है कि आखिर पुत्र को ही श्राद्धकर्म और पिंडदान का अधिकार क्यों होता है? तो जानिए पु नामक नर्क से त्र यानि त्राण करने वाला पुत्र कहलाता हैं. इसीलिए आस्तिक लोक नर्क से रक्षा की दृष्टि से पुत्र की कामना करते हैं और यहीं कारण है कि पिंडदान, श्राद्ध आदि कर्म करने का अधिकार पुत्र को प्रदान किया गया है. दर्शकों हमारे शास्त्र कहते है कि पुत्र वाले धार्मत्माओं की कभी दुर्गति नहीं होती और पुत्र का मुख देख लेने से पिता पितृ ऋण से मुक्त हो जाता हैं और जब पुत्र द्वारा श्राद्ध प्राप्त होता है तो मनुष्य स्वर्ग में जाता हैं. एक से अधिक पुत्र होने पर श्राद्ध कर्म ज्येष्ठ पुत्र को ही करना चाहिए. अन्य भाइयों को अलग से कुछ करने की आवश्यकता नहीं.

क्या शादी के बाद में घर में श्राद्ध जरूरी ?

अगर आपके घर में किसी की शादी हो चुकी है तो भी अपने पितरों का श्राद्ध करना चाहिए. क्योंकि जब पितरों को खुशी के वक्त याद किया जाता है तो उनका श्राद्ध करना भी जरूरी है क्योंकि पितर तभी खुश होते हैं जब उनके लिए कुछ किया जाता है. ये नहीं कि एक साल के बाद ही पितरों का श्राद्ध करना है. जब घर में विवाह होता है तो पितरों के निमित्त सबसे पहले भोजन या मिठाई निकालते हैं. उसके बाद ही सब कार्य शुरू किए जाते हैं. लोगों की एक साल तक श्राद्ध करने की भ्रांति को कुछ लोगों ने दूर किया है. घर में शादी की खुशी में अपने पितरों को भुलाएं नहीं, बल्कि उसी साल अपने पितरों का श्राद्ध करें. श्राद्ध का मतलब ये नहीं कि घर में खुशी आने के बाद उन्हें भुलाया जाए.

क्या अस्थियां घर में रखनी चाहिए ?

मृत्यु के बाद भी व्यक्ति की सूक्ष्म आत्मा उसी स्थान पर रहती है, जहां उस व्यक्ति की मृत्यु हुई. आत्मा पूरे 13 दिन अपने घर में ही रहती है. उसी की तृप्ति और मुक्ति के लिए तेरह दिन तक श्राद्ध और भोज आदि कार्यक्रम किए जाते हैं. अस्थियों को मृत व्यक्ति का प्रतीकात्मक रूप में माना गया है. जो व्यक्ति मरा है, उसके दैहिक प्रमाण के तौर पर अस्थियां का संचय किया जाता है. अंतिम संस्कार के बाद देह के अंगों में केवल हड्डियों के अवशेष ही बचते हैं, जो लगभग जल चुके होते हैं. इन्हीं को अस्थियां कहते हैं. इन अस्थियों में ही व्यक्ति की आत्मा का वास भी माना जाता है. जलाने के बाद ही चिता से अस्थियां ली जाती हैं, क्योंकि मृत शरीर में कई तरह के रोगाणु पैदा होते हैं, जिनसे बीमारियों की आकांक्षा होती है. जलने के बाद शरीर के ये सारे जीवाणु और रोगाणु खत्म हो जाते हैं और बची हुई हड्डियों भी जीवाणु मुक्त होती हैं. इनके छूने या इन्हें घर लाने से किसी प्रकार की हानि का डर नहीं होता है. इस अस्थियों का श्राद्ध कर्म आदि क्रियाओं के बाद किसी नदी में विसर्जित कर दिया जाता है. अगर आप गंगा किनारे बसे शहरों में रहते हैं तो उसी दिन अस्थि विसर्जित कर दें अन्यथा घर के बहर किसी पेड़ पर अस्थि कलश लटका देना चाहिए और दस दिन के भीतर गंगा में विसर्जन करना चाहिए. दस दिन के भीतर अस्थि गंगा में विसर्जन करने पर प्राणी को गंगा घाट पर मरने का फल मिलता है.

अस्थि संचय कैसे करें ?

जिस व्यक्ति ने मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया हो उसे अपने नक्षत्र के दिन अस्थि संचय नहीं करना चाहिए. इसके अलावा शनिवार, रविवार, मंगलवार को छोड़कर किसी भी दिन अस्थि संचय कर सकते है. उसमें जिस दिन दाह क्रिया हुई है, उसी दिन चिता शांत होने पर अस्थि संचय करें या फिर दूसरे या तीसरे दिन अस्थि संचय करना चाहिए. क्योंकि ये ही शास्त्र का नियम है.

Jodhpur News: अभिजीत ने 12वीं कक्षा के साथ आईआईटी जेईई एडवांस 2022 परीक्षा में भी मारी बाजी, जानें सफलता की पूरी कहानी

 

करनपुरी गोस्वामी ABP NEWS की डिजिटल टीम के साथ बतौर रिपोर्टर जुड़े हुई हैं. पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्हें 12 साल का अनुभव है और पिछले 10 सालों से वे एबीपी के साथ जुड़े हुए हैं. राजस्थान के जोधपुर संभाग से जुड़ी हर खबर पर इनकी नजर रहती है. इससे पहले करनपुरी इंडिया टीवी के साथ भी काम कर चुके हैं.
Read
और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

अरुणाचल पर चीन का दावा, पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकियां... पेंटागन की रिपोर्ट ने कैसे बढ़ाई भारत की टेंशन?
अरुणाचल पर चीन का दावा, PAK से नजदीकियां... पेंटागन की रिपोर्ट ने कैसे बढ़ाई भारत की टेंशन?
महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव: कांग्रेस-उद्धव गुट को लेकर बड़ी खबर, इस पार्टी के लिए भी बढ़ाए 'हाथ'
महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव: कांग्रेस-उद्धव गुट को लेकर बड़ी खबर, इस पार्टी के लिए भी बढ़ाए 'हाथ'
PAK आर्मी के हाथ में होगी पूरे देश की लगाम, PIA पर भी किया कब्जा; आसिम मुनीर का मुंह ताकेंगे शहबाज!
PAK आर्मी के हाथ में होगी पूरे देश की लगाम, PIA पर भी किया कब्जा; मुनीर का मुंह ताकेंगे शहबाज
New Year 2026: साल 2026 में बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाएंगी ये फिल्में, 'किंग' से 'रामायण' तक होंगी रिलीज
2026 में बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाएंगी ये फिल्में, 'किंग' से 'रामायण' तक होंगी रिलीज

वीडियोज

Sansani: देसी गर्ल की DATE का आखिरी धोखा! | Crime News
Christmas Controversy: क्रिसमस पर क्यों भड़के हिंदू संगठन? | Christmas | Hindi News
Janhit with Chitra Tripathi: 'तीन मूर्ति', एक संदेश...परेशान होंगे ममता-अखिलेश? | Akhilesh Yadav
Bharat Ki Baat: PDA पर आज मोदी vs अखिलेश हुआ! | Akhilesh Yadav | CM Yogi | UP Election 2027
Sandeep Chaudhary: अब क्रिसमस पर घमासान...ये है 'नया हिंदुस्तान'! | Christmas Protest | Assam

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
अरुणाचल पर चीन का दावा, पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकियां... पेंटागन की रिपोर्ट ने कैसे बढ़ाई भारत की टेंशन?
अरुणाचल पर चीन का दावा, PAK से नजदीकियां... पेंटागन की रिपोर्ट ने कैसे बढ़ाई भारत की टेंशन?
महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव: कांग्रेस-उद्धव गुट को लेकर बड़ी खबर, इस पार्टी के लिए भी बढ़ाए 'हाथ'
महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव: कांग्रेस-उद्धव गुट को लेकर बड़ी खबर, इस पार्टी के लिए भी बढ़ाए 'हाथ'
PAK आर्मी के हाथ में होगी पूरे देश की लगाम, PIA पर भी किया कब्जा; आसिम मुनीर का मुंह ताकेंगे शहबाज!
PAK आर्मी के हाथ में होगी पूरे देश की लगाम, PIA पर भी किया कब्जा; मुनीर का मुंह ताकेंगे शहबाज
New Year 2026: साल 2026 में बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाएंगी ये फिल्में, 'किंग' से 'रामायण' तक होंगी रिलीज
2026 में बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाएंगी ये फिल्में, 'किंग' से 'रामायण' तक होंगी रिलीज
ओटीटी पर हैं फ्यूचर बताने वाली ये 5 फिल्में, इनमें से एक तो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी
ओटीटी पर हैं फ्यूचर बताने वाली ये 5 फिल्में, इनमें से एक तो 100 साल से भी ज्यादा पुरानी
'ये बुलडोजर एक्शन धार्मिक नहीं', कंबोडिया में भगवान विष्णु की प्रतिमा गिराने पर भारत ने जताई थी चिंता, अब थाईलैंड ने दी सफाई
'बुलडोजर एक्शन धार्मिक नहीं', भगवान विष्णु की प्रतिमा गिराने पर भारत ने जताई चिंता, थाईलैंड की सफाई
Child Death Rate: 5 साल उम्र होने तक किस धर्म के बच्चे ज्यादा गंवाते हैं जान, इनमें कितने हिंदू और कितने मुसलमान?
5 साल उम्र होने तक किस धर्म के बच्चे ज्यादा गंवाते हैं जान, इनमें कितने हिंदू और कितने मुसलमान?
क्या होता है फिशिंग क्राइम, जिसका सीबीआई ने किया भंडाफोड़? जानें यह कैसे करता है काम
क्या होता है फिशिंग क्राइम, जिसका सीबीआई ने किया भंडाफोड़? जानें यह कैसे करता है काम
Embed widget