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Rajasthan: जानिए- सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच क्या है विवाद, जिसकी वजह से कांग्रेस में पड़ रही है 'फूट'?

सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच विवाद लगातार गहराता जा रहा है. दोनों तरफ से बयानबाजी शुरू है. गहलोत का 'जादू' चलने पर पायलट खेमे को 'मौन' होना पड़ता है.

Rajasthan Congress Crisis: राजस्थान में सचिन पायलट (Sachin Pilot) और अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बीच लड़ाई का कारण साफ हो गया है. अब सीधी लड़ाई मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल करने के लिए हो रही है. गहलोत ने आलाकमान से भी 'मोर्चा' ले लिया है. अब आलाकमान सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी देना चाहता है. अशोक गहलोत 'जादू' चलाकर पूरे खेल को पलटना चाहते हैं. चार साल से सचिन पायलट सीएम की कुर्सी संभालना चाहते हैं लेकिन उनके आड़े कोई न कोई घटना आ जाती है. अब एक बार फिर अशोक गहलोत और सचिन पायलट आमने-सामने हैं. दोनों में विवाद को समझने के लिए पुरानी बातों पर जाना होगा. 

पायलट ने 20 साल पहले ज्वाइन किया कांग्रेस

20 साल पहले 10 फरवरी 2002 को पिता राजेश पायलट के जन्मदिन पर सचिन पायलट ने कांग्रेस ज्वाइन किया था. जयपुर की किसान रैली में पायलट कांग्रेस का हिस्सा बने. उस दौरान अशोक गहलोत भी मंच पर थे. 2004 में सचिन पयालट 26 साल की उम्र में दौसा लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत गए. जानकार बताते हैं कि उस वक्त सचिन पायलट अशोक गहलोत के निशाने पर बिल्कुल नहीं थे. उधर 2008 में गहलोत की दोबारा सरकार बन गई थी. 2009 में सचिन पायलट ने अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा और मनमोहन सरकार में मिनिस्टर ऑफ स्टेट बने. यहीं से दोनों के बीच बदलाव होने लगा. पायलट धीरे-धीरे गहलोत को 'खटकने' लगे. फिर 2013 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत की सरकार चली गई.

2013 से सरकार बनने तक की इनसाइड स्टोरी

2013 के विधानसभा चुनाव में BJP को 163 सीट मिली और कांग्रेस के खाते में महज 21 सीटें आई. कांग्रेस का राजस्थान में सबसे बुरा प्रदर्शन था. हार के बाद पार्टी हाईकमान ने 2014 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले सचिन पायलट को महज़ 36 साल की उम्र में राजस्थान का PCC चीफ बना दिया. उस दौरान गहलोत कैंप ने पायलट की नियुक्ति को सही नहीं समझा. पार्टी में खेमेबाजी शुरू होने लगी. पायलट राहुल गांधी के करीबी थे और गहलोत की दूरी बढ़ने लगी थी. 2014 के आम चुनाव में राजस्थान से कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई और पायलट खुद चुनाव हार गए थे. हार ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत में तनातनी ला दी. 2017 में गहलोत को दिल्ली बुलाकर गुजरात चुनाव से पहले गुजरात का प्रभारी बना दिया गया. गहलोत के राजस्थान से हटने पर पायलट ने दमखम दिखाया. 

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गहलोत का 'जादू' या आलाकमान पड़ेगा भारी?

पायलट की अगुवाई में 2018 का राजस्थान विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने बहुमत से जीत लिया. मुख्यमंत्री सचिन पायलट बनना चाहते थे और बना दिए गए अशोक गहलोत. पहली बार अशोक गहलोत को राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए सीधे तौर पर चुनौती मिली. यहीं से दोनों के बीच शुरू हुई राजनीतिक अदावत अब तक जारी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में फिर से एक बार कांग्रेस को क्लीन स्वीप मिली. पायलट ने हेल्थ और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घेरा. गहलोत ने पायलट को साइडलाइन कर दिया. 2020 के बाद 2022 में जब आलाकमान ने पायलट को सीएम बनाने का मन बनाया तो अशोक गहलोत खेमे और स्वयं अशोक गहलोत ने खुलकर आलाकमान को चुनौती दे डाली. इसी वजह से अभी भी लड़ाई जारी है. अब देखना है आलाकमान भारी पड़ता है या अशोक गहलोत का 'जादू' कुछ नया दिखाता है.

संतोष कुमार पांडेय पिछले 13 सालों से सक्रिय पत्रकारिता में हैं. इस दौरान उन्होंने कई संस्थानों में काम किया है. इस समय जयपुर डिवीजन में एबीपी लाइव के लिए काम कर रहे हैं. संतोष कुमार पांडेय राजनीति, अपराध और सामाजिक मुद्दों पर खास पकड़ रखते हैं.
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