एक्सप्लोरर

राजस्थान में न्यूनतम शिक्षा होगी जरूरी, अब पार्षद और सरपंच सिर्फ पढ़े-लिखे उम्मीदवार ही बन सकेंगे

Rajasthan News: राजस्थान में पार्षद और सरपंच बनने के लिए अब न्यूनतम शिक्षा अनिवार्य होगी. सरकार ने इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया है लेकिन जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया के बीच सियासी बहस तेज हो गई है.

राजस्थान में शिक्षा को लेकर छिड़ी एक सियासी बहस के चलते सरकार को अब बैकफुट पर आना पड़ रहा है. दरअसल सरकार ने राज्य में जल्द होने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव में पार्षद व अन्य पदों पर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम 10वीं या 12वीं पास होने का फैसला किया था. प्रस्ताव पास कर उसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेज भी दिया गया, लेकिन इस प्रस्ताव का बड़े पैमाने पर विरोध किया गया. तमाम लोगों ने यह सवाल उठाए कि पार्षदों समेत स्थानीय स्तर के पदों पर चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होने का फैसला वह मंत्री और विधायक कैसे कर सकते हैं, जिनकी अपनी शिक्षा के लिए खुद कोई नियम कानून नहीं है और उनमें तमाम अनपढ़ भी है. बहरहाल यह आवाज तेजी से उठने के बाद इस पर सियासी संग्राम भी शुरू हो गया और अब सरकार इस फैसले पर फिर से विचार करने की बात कह रही है. बहरहाल राजस्थान का यह विवाद चर्चा का सबब बना हुआ है.

नगर निकायों के चुनाव और प्रस्ताव की तैयारी

राजस्थान में नगर निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और जल्द ही नए चुनाव कराए जाएंगे. 309 शहरों के 10175 वार्डों में पार्षद चुने जाने हैं. साल 2019 में पिछली बार हुए चुनाव के मुकाबले इस बार पार्षदों के तकरीबन एक तिहाई पद बढ़ गए हैं. सरकार चाहती थी कि इस बार पार्षदों के लिए न्यूनतम दसवीं या बारहवीं पास लोगों को ही चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाए. इसके लिए यूडीएच यानी स्वायत्त शासन विभाग को प्रस्ताव तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई. विभाग के मंत्री झाबर सिंह खर्रा में प्रस्ताव तैयार कर उसे मंजूरी के लिए सीएम के जरिए कैबिनेट में भेज दिया.

प्रस्ताव के मुख्य बिंदु और जनता की प्रतिक्रिया

स्वायत शासन विभाग के प्रस्ताव में मुख्य रूप से तीन बातें कही गई हैं. पहला यह कि पार्षदों का चुनाव लड़ने वालों के लिए न्यूनतम 10वीं या 12वीं क्लास पास होना जरूरी कर दिया जाए. दूसरा नियम बच्चों को लेकर था. अभी तक यह नियम था कि दो से ज्यादा बच्चों वाले लोग स्थानीय निकाय के तमाम पदों पर चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. सरकार की मंशा इसे खत्म करने की है और सिफारिश भी इसी को लेकर की गई है. तीसरा प्रस्ताव जिला और शहर के प्रमुखों को लेकर था. अभी तक मेयर और जिला परिषद के साथ ही नगर पालिका के अध्यक्ष का चुनाव पार्षद या वार्डों के दूसरे जनप्रतिनिधि करते थे. तमाम लोग चाहते थे कि इनका चुनाव सीधे जनता के जरिए कराया जाए. यूडीएच विभाग ने लोगों से राय मशविरा लेकर इनमें से न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का नियम लागू करने की सिफारिश की है.

दो से ज्यादा बच्चों वालों के चुनाव लड़ने पर रोक का नियम खत्म किए जाने की सिफारिश है और साथ ही मेयर व प्रमुखों के चुनाव सीधे जनता से कराने के बजाय नीचे के जनप्रतिनिधियों से कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है. बहरहाल न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का प्रस्ताव जब लोगों के सामने आया तो तकरीबन सभी ने इसका समर्थन किया. इक्का दुक्का को छोड़कर ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि जनप्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता होनी ही चाहिए. हालांकि तमाम लोगों का यह मानना है कि अगर पार्षदों या नीचे के दूसरे पदों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता जरूरी की जा रही है तो यही नियम लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों पर भी लागू होना चाहिए. लोगों ने यह सवाल भी उठाए कि पार्षदों व अन्य पदों पर चुनाव लड़ने वालों के लिए नियम वह लोग क्यों बनाएंगे, जिनमें कई अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे लोग शामिल हैं. जिनकी अपनी शिक्षा को लेकर कोई नियम नहीं है, वह दूसरों के लिए कोई पाबंदी कैसे लगा सकते हैं. यह मामला विभाग के मंत्री और सरकार के दूसरे लोगों तक पहुंचा तो अब प्रस्ताव पर सीधे तौर पर मुहर लगाने के बजाय इस पर फिर से विचार किए जाने का फैसला किया गया है. मंत्री झाबर सिंह खर्रा का कहना है कि तमाम लोगों की जो शिकायतें और सुझाव आ रहे हैं, उसके आधार पर इस बारे में अब फिर से विचार किया जाएगा और लोगों की राय के आधार पर ही अंतिम फैसला लिया जाएगा. दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी ने भी इस फैसले को लेकर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने सियासी तंज कसते हुए कहा है कि बीजेपी की सरकारें जब एक देश एक चुनाव की बात करती हैं तो उन्हें स्थानीय निकाय के साथ ही लोकसभा और विधानसभा में भी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के नियम को लागू कर देना चाहिए. उन्होंने भी यही सवाल उठाया कि जिनकी खुद की शैक्षिक योग्यता को लेकर कोई नियम या पाबंदी नहीं है, वह दूसरों की शिक्षा को लेकर कैसे फैसला ले सकते हैं.

आंकड़ों की बात की जाए तो राजस्थान में भजनलाल शर्मा की सरकार में 24 मंत्री हैं. इनमें दो ने डॉक्टरेट की उपाधि ले रखी है, जबकि कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत सिर्फ पांचवी पास है. प्रस्ताव तैयार करने वाले हैं यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ग्रेजुएट है. राजस्थान विधानसभा के 200 सदस्यों में 04 सिर्फ साक्षर हैं. 52 की शैक्षिक योग्यता पांचवी से 12वीं क्लास की है. आधा दर्जन डिप्लोमाधारी हैं, जबकि 137 विधायक ग्रेजुएट या उससे ज्यादा की योग्यता रखते हैं. राज्य के 25 सांसदों में 18 के पास स्नातक या उससे ज्यादा की डिग्री है. तीन डिप्लोमा धारी है और चार ने बारहवीं या उससे कम की पढ़ाई की हुई है. 2019 में हुए नगर निकाय के अंतिम चुनाव में 3997 निर्वाचित पार्षद या तो अनपढ़ थे या फिर दसवीं तक पढ़े थे. 986 निर्वाचित पार्षद दसवीं से ज्यादा और 12वीं तक पढ़े थे. 1514 ग्रेजुएट थे और 783 पोस्ट ग्रेजुएट. इसके अलावा 220 प्रोफेशनल भी पार्षद निर्वाचित हुए थे. अब देखना यह होगा कि राजस्थान सरकार जनता के मन की बात सुनते हुए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को लेकर नजीर बनने वाला कोई फैसला करती है या फिर शैक्षिक योग्यता के नियम के दायरे से बाहर रहने वाले लोग निकाय चुनाव के उम्मीदवारों के लिए कोई नियम बनाते हैं.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Saudi And UAE Relations: 'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
अभिनेत्री नुसरत भरूचा के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पर भड़के मौलाना, बोले- 'शरीयत की नजर में गुनहगार'
अभिनेत्री नुसरत भरूचा के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पर भड़के मौलाना, बोले- 'शरीयत की नजर में गुनहगार'
आज नहीं होगी स्विगी, जोमैटो, जैप्टो और ब्लिंकइट पर डिलिवरी, कैसे मनेगा नए साल का जश्न, ये रही बड़ी वजह
आज नहीं होगी स्विगी, जोमैटो, जैप्टो और ब्लिंकइट पर डिलिवरी, कैसे मनेगा नए साल का जश्न, ये रही बड़ी वजह
ग्लेन फिलिप्स ने खेला ये अद्भुत शॉट, जानिए क्या होता है ‘स्विच कवर ड्राइव’
ग्लेन फिलिप्स ने खेला ये अद्भुत शॉट, जानिए क्या होता है ‘स्विच कवर ड्राइव’
Advertisement

वीडियोज

Faridabad Breaking: हैवानियत! लिफ्ट देने के बहाने युवती से दरिंदगी, चलती कार से फेंका | UP | Noida
MP News: Indore में जहरीले पानी ने ली 3 लोगों की जान, CM Mohan Yadav ने उठाया बड़ा कदम! |
Indore में दूषित पानी से 3 लोगों की मौत, 3 अधिकारी निलंबित | Breaking | Mohan Yadav | MP News
Weather Update: घने कोहरे की चादर से ढकी देश की राजधानी Delhi | Akshardham | Mayur Vihar | Smog
Jammu-Kashmir में सुरक्षाबलों का बड़ा सर्च ऑपरेशन | Doda | J&K Police | Search Operation
Advertisement

फोटो गैलरी

Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Saudi And UAE Relations: 'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
'दोनों का मिडिल ईस्ट में दबदबा...', दो मुस्लिम देश कैसे बने एक दूसरे के दुश्मन, जानें पूरी कहानी
अभिनेत्री नुसरत भरूचा के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पर भड़के मौलाना, बोले- 'शरीयत की नजर में गुनहगार'
अभिनेत्री नुसरत भरूचा के महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पर भड़के मौलाना, बोले- 'शरीयत की नजर में गुनहगार'
आज नहीं होगी स्विगी, जोमैटो, जैप्टो और ब्लिंकइट पर डिलिवरी, कैसे मनेगा नए साल का जश्न, ये रही बड़ी वजह
आज नहीं होगी स्विगी, जोमैटो, जैप्टो और ब्लिंकइट पर डिलिवरी, कैसे मनेगा नए साल का जश्न, ये रही बड़ी वजह
ग्लेन फिलिप्स ने खेला ये अद्भुत शॉट, जानिए क्या होता है ‘स्विच कवर ड्राइव’
ग्लेन फिलिप्स ने खेला ये अद्भुत शॉट, जानिए क्या होता है ‘स्विच कवर ड्राइव’
कॉन्ट्रेक्ट तोड़ा, 6 महीने तक रोकी शूटिंग, फिल्म से भी निकलवा दिया, अब इस डायरेक्टर का फूटा अक्षय खन्ना पर गुस्सा
'कॉन्ट्रेक्ट तोड़ा, फिल्म से भी निकलवा दिया', अब इस डायरेक्टर का फूटा अक्षय खन्ना पर गुस्सा
Bluetooth Earphones Cancer Risk: क्या कान में ब्लूटूथ ईयरफोन लगाने से भी हो जाता है कैंसर, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
क्या कान में ब्लूटूथ ईयरफोन लगाने से भी हो जाता है कैंसर, क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
किचन गार्डन में उगाएं हल्दी, कम जगह में पाएं बड़ा फायदा
किचन गार्डन में उगाएं हल्दी, कम जगह में पाएं बड़ा फायदा
वैज्ञानिक 1 जनवरी को साल का 0 पॉइंट क्यों मानते हैं? जानिए इसके पीछे की वजह
वैज्ञानिक 1 जनवरी को साल का 0 पॉइंट क्यों मानते हैं? जानिए इसके पीछे की वजह
Embed widget