राजस्थान के लाखों सरकारी कर्मचारियों को झटका! OPS पर बड़ा फैसला लेने की तैयारी में सरकार
Rajasthan News: कर्मचारियों का कहना है कि अगर सांसद और विधायक खुद अपनी पेंशन योजना में बदलाव नहीं कर रहे हैं तो कर्मचारियों को इसका शिकार क्यों बनाया जा रहा है.

राजस्थान में सवा पांच लाख से ज्यादा राज्य कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम पर एक बार फिर से खतरा मंडराने लगा है. सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम को खत्म कर न्यू पेंशन स्कीम लागू करने की शुरुआत कर दी है. पहले फेज में घाटे में चल रहे हैं निगमों - बोर्डों और आयोगों के साथ ही कुछ यूनिवर्सिटीज को भी ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म करने की छूट दे दी है. प्रयोग के तौर पर अभी इस वहां लागू करने की कोशिश की जा रही है, जहां कर्मचारियों की संख्या बेहद सीमित है.
इस प्रयोग को लेकर कर्मचारियों और उनके संगठनों ने अभी से विरोध शुरू कर दिया है. उन्हें इस बात की आशंका सताने लगी है कि कुछ दिनों बाद इसे पूरे राजस्थान में लागू कर दिया जाएगा. कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि वह इसे वह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसके लिए लोकतांत्रिक तरीके से हर लड़ाई लड़ेंगे.
गहलोत सरकार ने लागू की थी ओपीएस
दरअसल, राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने साल 2022 में यह ऐलान किया था कि जो भी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना में शामिल होना चाहते हैं वह इसके लिए आवेदन कर सकते हैं. राज्य के तकरीबन सभी कर्मचारियों ने इसके बाद अपनी पेंशन योजना में बदलाव कर दिया था. 1 अप्रैल 2023 से राज्य के 5,24,822 कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का फायदा मिलना शुरू हो गया था. देश के दूसरे हिस्सों की तरह राजस्थान में भी 1 जनवरी 2004 से ओल्ड पेंशन स्कीम मिलनी बंद हो गई थी. हालांकि पुराने कर्मचारियों को यह लगातार मिल रही है.
इस बात की छूट दे दी कि अगर वह चाहे तो अपने कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म कर उन्हें एनपीएस के दायरे में ला सकती हैं. हालांकि इसे लागू करने से पहले उन्हें सरकार से औपचारिक तौर पर मंजूरी लेनी होगी. जिन संस्थाओं को अभी ओल्ड पेंशन स्कीम खत्म करने की छूट दी गई है, उनमें कर्मचारियों की संख्या बेहद सीमित है. ऐसे में वहां से विरोध की तेज आवाज नहीं निकल पा रही है.
त्योहार के बाद तेज हो सकता है आंदोलन
सरकार के इस फैसले के बाद राज्य के दूसरे कर्मचारियो और उनके संगठनों ने इसे लेकर विरोध शुरू कर दिया है. हालांकि विरोध के स्वर अभी धीमे हैं, लेकिन दीपावली और छठ के त्यौहार के बाद इसे धार देने की तैयारी की जा रही है. कर्मचारियों का साफ तौर पर कहना है कि सरकार एक तरह का प्रयोग कर रही है. संस्थाओं के बाद इसे पूरे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा और पांच लाख से ज्यादा कर्मचारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
कर्मचारी फिलहाल अपने-अपने दफ्तरों या कार्य स्थलों पर ही प्रदर्शन और नारेबाजी कर अपना विरोध जाता रहे हैं, लेकिन उनका साफ तौर पर कहना है कि आने वाले दिनों में वह सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे और जरूरत पड़ने पर कामकाज ठप कर हड़ताल पर जाने को भी मजबूर होंगे. कर्मचारियों का कहना है कि अगर सांसद और विधायक खुद अपनी पेंशन योजना में बदलाव नहीं कर रहे हैं तो कर्मचारियों को इसका शिकार क्यों बनाया जा रहा है. वह इसे किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं करेंगे और हर स्तर पर इसका विरोध करेंगे.
कर्मचारियों के साथ करेंगे आंदोलन- कांग्रेस
चूंकि मामला पांच लाख से ज्यादा कर्मचारियों के हितों से जुड़ा हुआ है, इसलिए सियासी पार्टियां भी इसमें कतई पीछे नहीं रहना चाहतीं. विपक्ष ने भी आंदोलन कर रहे कर्मचारियो का साथ देने की बात कही है. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि बीजेपी की मौजूदा सरकार किसी के हित के बारे में नहीं सोच रही है और वह सभी को परेशान करने में लगी हुई है. उनके मुताबिक कर्मचारी अगर इसे लेकर आवाज उठाएंगे तो कांग्रेस पार्टी उनके साथ खड़ी नजर आएगी.
सरकारी कर्मचारियों से करेंगे बात
दूसरी तरफ बैकफुट पर आई राजस्थान सरकार का कहना है कि वह जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों से बातचीत करने को तैयार है. राज्य के डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के मुताबिक सरकार कर्मचारियों से बातचीत करके ही कोई कदम उठाएगी.
दूसरी तरफ इस बारे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ का दावा है कि ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह नई पेंशन स्कीम लागू किए जाने को लेकर कर्मचारियों में कतई कोई नाराजगी नहीं है. अब देखना यह होगा किसी कर्मचारियों की नाराजगी के बाद राजस्थान सरकार अपने कदम वापस खींचती है या फिर ओल्ड पेंशन स्कीम को ही खत्म करती है.
Source: IOCL






















