Rajasthan News: टिफिन विद दीदी कार्यक्रम में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला बोले, 'हर महिला को लखपति बनाएंगे'
Om Birla in Rajasthan: ओम बिरला सांगोद विधानसभा क्षेत्र में टिफिन विद दीदी कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आज हर गांव में सफलता की नई कहानियां लिख रही हैं.
Om Birla In Tiffin With Didi Program: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी प्रवास के दौरान सांगोद (Sangod) विधानसभा क्षेत्र में गढ़ेपान और सीमलिया में टिफिन विद दीदी कार्यक्रम (Tiffin With Didi Program) में सम्मिलित हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की भावनाओं के अनुरूप कोटा-बूंदी में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी प्रत्येक महिला को लखपति दीदी बनाया जाएगा.
स्पीकर बिरला ने कहा "एक समय था जब ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं मूलभूत समस्याओं को बताने के लिए भी सामने नहीं आती थीं. लेकिन स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं आज हर गांव में सफलता की नई कहानियां लिख रही हैं. यह दीदियां अपने परिश्रम से सामाजिक-आर्थिक बदलाव लाते हुए महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. ये देख कर गर्व होता है कि महिलाएं हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं. बिरला ने कहा कि महिलाओं की उन्नति को और गति देने के लिए स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की पैकेजिंग और मार्केटिंग की समस्याओं को दूर किया जाएगा. उन्हें प्रशिक्षण और सस्ती दर पर कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित कर उनकी लागत को कम किया जाएगा, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा हो."
ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने क्या कहा
वहीं राजस्थान सरकार में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने कहा कि विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि तब होगी, जब हम महिलाओं की हर क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित कर पाएंगे. महिलाएं हर कार्य लगन और परिश्रम से करती हैं. इस कारण वे पुरूषों से बेहतर परिणाम दे पाती हैं. कार्यक्रम के दौरान सफलता की कहानी सुनाते हुए सीमलिया की संजूबाला सुमन ने बताया कि वो विवाह के बाद ससुराल आईं तो वहां शौचालय नहीं था. एक बार वो मायके गईं तो तब ही लौटीं जब शौचालय बन गया. आज आसपास के क्षेत्र में वो 750 शौचालय बनवा चुकी हैं.
संजूबाला सुमन ने बताया कि स्वयं सहायता समूह से ऋण लेकर किराए पर खेत लेकर फसल लगाई. बाद में उससे होने वाली बचत से दोनों बच्चों को इंजीनियरिंग करवाई. इतना ही नहीं बच्चों के साथ वो स्वयं भी पढ़ीं और शादी के कई साल बाद बीए की डिग्री प्राप्त की. देवपुरा गांव की रेखा मेघवाल ने समूह बनाकर आटे और मसाला चक्की लगाई. कुछ आय होने लगी तो उन्होंने वर्मीकम्पोस्ट बनाने का प्रशिक्षण भी ले लिया. अब वो आसपास के किसानों को इस वर्मीकम्पोस्ट को बेचकर क्षेत्र में जैविक कृषि को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही हैं.
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