जयपुर के शहरी इलाके में लेपर्ड का आतंक: लोग हाथों में लाठी-डंडा लेकर खुद सुरक्षा में जुटे, कॉलोनियों में सन्नाटा
Jaipur News: जयपुर में लेपर्ड का आतंक जारी है. लोग हाथों में लाठी-डंडा लेकर दिन-रात सुरक्षा में जुटे हैं, कॉलोनियों और मोहल्लों में दहशत का माहौल बना हुआ है.

देश विदेश के पर्यटकों की भीड़ से पूरे साल गुलजार रहने वाला जयपुर शहर इन दिनों लेपर्ड की दहशत में है. लेपर्ड ने पिछले करीब दो महीने से पूरे शहर में जबरदस्त आतंक फैला रखा है. कई तेंदुआ पकड़ा जा चुका है, लेकिन शहरी इलाके में इसके मूवमेंट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. तेंदुए के टेरर को खत्म कर पाने में सरकारी अमला नाकाम साबित हो रहा है, लिहाज़ा कई इलाकों में लोग खुद टोली बनाकर हाथों में लाठी डंडे लिए पहरा देते हुए नजर आते हैं.
लेपर्ड की दहशत इतनी ज्यादा है कि शाम होते ही तमाम कॉलोनियो और बस्तियों में सड़के सूनी हो जाती हैं और सन्नाटा पसर जाता है. बच्चों ने स्कूल और महिलाओं ने मंदिर जाना कम कर दिया है. कई जगह तो रोजाना सुबह शाम लोग मंदिरों में इकट्ठा होकर भगवान से तेंदुए की दहशत से निजात दिलाने की गुहार लगाते हुए दिखाई देते हैं. जिन्होंने लेपर्ड को अपनी आंखों से या फिर वीडियो और सीसीटीवी में देखा है, उनके अंदर का डर तो कतई कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है.
शहर के शहरी इलाके में तेंदुए की गतिविधियां
लेपर्ड आमतौर पर घने जंगलों के बीच रहता है, लेकिन देसी विदेशी पर्यटकों के साथ तेंदुए को भी पिंक सिटी जयपुर का शहरी इलाका इतना पसंद आ रहा है कि वह इसकी खूबसूरती निहारने के लिए खुद आबादी के बीच आ जा रहा है. पिछले दो महीने में अकेले शहरी इलाके में लेपर्ड को दर्जन भर से ज्यादा बार देखा गया है. पिछले दो हफ्ते में तो आम तौर पर इसकी मूवमेंट कई बार नजर आई है. उसे चहलकदमी करते हुए किसी ने अपनी आंखों से देखा है, तो कोई वीडियो और सीसीटीवी में छलांग लगाते, दीवार फांदते और सुबह के वक्त सैर करते हुए देखकर दहशत में भर जाता है.
शहर के विद्याधर नगर, नेहरू नगर, पानीपेच, शास्त्री नगर, झालाना की घनी बस्तियों के साथ भी लेपर्ड का मूवमेंट पिंक सिटी के सबसे पाश इलाके उस सिविल लाइंस में भी देखा गया, जहां सीएम और गवर्नर के साथ ही ज्यादातर मंत्री और बड़े ब्यूरोक्रेट्स रहते हैं. यहां लेपर्ड पिछले शुक्रवार को एक कैबिनेट मंत्री के बंगले के दरवाजे पर घूमता हुआ नजर आया था. वन विभाग ने उस दिन उसे पकड़ लिया था. महीने भर पहले भी एक लेपर्ड पकड़ा गया था. तीसरा तेंदुआ दो दिन पहले गुरुवार देर रात को शहर के चांदपोल इलाके से भारी हंगामें के बीच गिरफ्त में आया.
लोगों की सुरक्षा और भय का माहौल
शहर के जिन भी इलाकों में तेंदुए को देखा गया है, वहां इन दिनों लोगों की नींद हराम है. नेहरू नगर के बिजनेसमैन अंकित के घर तेंदुआ 3 दिन पहले करीब 6 घंटे तक मौजूद था. वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू का काम शुरू भी किया था, लेकिन तेंदुए को पकड़ पाने में नाकाम साबित हुआ था. इस इलाके में शाम होते ही लोग घरों में कैद हो जाते हैं. तमाम लोग पिछले कई दिनों से बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं. महिलाएं मंदिर नहीं जा रही हैं और बुजुर्गों ने मॉर्निंग व इवनिंग वॉक बंद कर दी है. अंधेरा होते ही लेपर्ड के टेरर का कर्फ्यू लग जाता है. जो इलाके रात तक भीड़ से गुलजार रहते थे, वहां इन दिनों वीरानगी छाई रहती है.
शहर के सिविल लाइंस इलाके में लोग अंधेरा होने के बाद हाथों में लाठी डंडा लेकर पहरा देने के लिए निकलते हैं तो रेलवे स्टेशन व जिला कलेक्टर के दफ्तर के पास स्थित पानी पेच मोहल्ले में लोग दिन में ही टोली बनाकर लाठी डंडे और लोहे की रॉड के साथ खुद ही गश्त करते और पहरा देते हुए दिखाई देते हैं. सबसे ज्यादा दहशत महिलाओं में है, लेकिन पुरुषों का डर भी कम नहीं है.
शहर के नेहरू नगर इलाके में लोग इकट्ठे होकर मंदिरों में भगवान की शरण में चले जाते हैं. उनका मानना है कि मुश्किल वक्त में जब पुलिस-प्रशासन, सरकार और वन विभाग ने उन्हें अकेला छोड़ दिया है तो ऐसे वक्त में भगवान ही मदद करेंगे और जीवन को सुरक्षित बनाएंगे. इस मामले में पिछले हफ्ते जब राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री मदन दिलावर से सवाल किया गया था तो उन्होंने बेतुका जवाब देते हुए कहा था कि जब इंसान अतिक्रमण कर जंगलों में पहुंच गया तो जानवर आबादी के बीच आने लगे हैं. इसमें सरकार क्या कर सकती है.
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Source: IOCL





















