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Barmer News : भारत पाक 1971 युद्ध अतीत के झरोखे से, जब सीमावर्ती बाड़मेर लोगों ने पाक के इरादे नाकाम किए
Barmer News : 1971 के युद्ध में पाकिस्तान ने बाड़मेर में भारी बमबारी की थी. लेकिन सेना को लोगों का खूब साथ मिला और जानमाल की छती नहीं हो सकी. 60 फीसदी बम तो फटे भी नहीं
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Barmer News : बाड़मेर सीमावर्ती के रहवासी क्षेत्र में विधि बमबारी भारत पाक के मध्य तृतीय युद्ध 1971 में पाक की भीषण गोलाबारी सही हैं. पाक की गोलाबारी व बमबारी का जिस दृ़ता के साथ बाड़मेर के साहसी नागरिकों ने सामना किया था, वह इतिहास बन चुका हैं. सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने युद्ध के दौरान विशेष उत्साह दिखाया, वहीं सेना का मार्गदर्शन कर पाक को शिकस्त देने में मदद की. भारत पाकिस्तान 1971 युद्ध के पचास साल पूर्ण हो गए.
छह दिसंबर को गिरे 43 बम
सीमावर्ती गांवो के लोगो ने 1971 के युद्ध में अविस्मरणीय यादें आज भी ताजा हैं। गांवो के बुजुर्गों ने बताया कि पाक ने पहली बार एक साथ 19 बम हवाई जवाज से उतरलाई स्टेशन पर गिराए इन बमों के फटने से कोई हानि नहीं हुई. भारतीय सैनिकों ने इसी दिन तीन दिसम्बर 1971 को एंटी एयर क्राफ्ट गनो से शत्रु को भगा दिया. इसके अलावा एक केबिन, प्याऊ व दुकान नष्ट हो गई। अगले दिन चार दिसम्बर को सायं सवा पांच बजे गडरारोड़ में एक तामलोर, लीलमा के मध्य कई बम गिराए. इसी बीच पाक ने हवाई हमले तेज कर दिए. पांच दिसम्बर को उतरलाई स्टेशन तथा गडरारोड़ में एकएक बम गिराया गया जो फटे भी मगर क्षति नहीं हुई. इस क्रम को छह दिसंबर को जारी रख पचपदरा मण्डली मार्ग पर स्थित मवडी गांव में एक साथ 43 बम गिराए जिसमें 41 फट गए तथा दो बम बिना फटे ही रह गए. वहीं इसी दिन महाबार में 13 बम गिराए गए जिनमें पांच बम फटे और आठ बम बिना फटे ही रह गए. इन बमों के फटने से जानमाल की क्षति नहीं हुई क्योंकि लोग पहले से ही सुरक्षित स्थानों पर जा चुके थे.
सात दिसंबर को फिर असफल प्रयास
अपनी विफलता पर घबराए पाक ने सात दिसम्बर को पुनः रात्रि 11 बजे पांच बम गिराए मगर हानि नहीं हुई. बाड़मेर मुख्यालय को पहली बार आठ दिसम्बर को पाक को झेलने का अवसर मिला. पाक ने रात्रि लगभग एक बजे मालगोदाम पर बम गिराया. मालगोदाम में रखी सामग्री जल गई. वहीं पांच मालगाडी के डिब्बे जलकर राख हो गए. इसी क्रम में उतरलाई हवाई अड्डे पर एक बजकर 20 मिनट पर बम गिराया. तत्पश्चात बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर स्थित सवारी रेलगाडी पर बम गिराया इससे चार यात्री डिब्बे में ही जलकर राख हो गए. इसी स्थान पर रखी पेट्रोल व डीजल की टंकियों को नागरिक और सुरक्षा के जवानों ने तुरन्त खाली कर क्षति होने से बचाया. मगर पास रखे कोयलों में आग लग चुकी थी. स्वयं सेवको ने निस्वार्थ भावना से कार्य कर मालगोदाम कार्यालय में रखा फर्नीचर, रेकर्ड व अन्य सामग्री सुरक्षित स्थान पर डाली. इसी रात्रि को लगभग ढाई बजे पाक हवाई जहाज ने कोयले की बेरी में बम डाला मगर क्षति नहीं हुई. तत्पश्चात दो बम माल गोदाम पर और गिराए गए जिसमें एक बम फटा मगर नुकसान नहीं हुआ. इसी तरह अगले दिन नौ दिसम्बर को सायं साढ़े पांच बजे कोनरा तथा बच्चू का तला में 17 बम गिराए जिसमें 11 बम फटे, पांच बम फटे बिना ही रह गए तथा संदेहास्पद स्थिति में भी उन बमों के फटने से नुकसान नहीं हुआ. इसी रात्रि गौर का तला में चार बम गिराए गए जो बिना फटे रहे, इसी दिन उतरलाई में एक बम गिराया मगर क्षति नहीं हुई.
10 दिसंबर को फिर बमबारी
अगले दिन 10 दिसम्बर को कुड़ला गांव के दीपसिंह की ढाणी पर दो बम गिराए. दोनों बम फट जाने से कुछ घरों में नुकसान हुआ. अगले दिन 11 दिसम्बर को लगभग साढ़े आठ बजे प्रातः रावतसर, कुडला के पास बम गिरे जिससे क्षति नहीं हुई. उधर नौ बजे प्रातः उतरलाई पर दो बम गिराए जिसके फट जाने से एक जीप जल गई तथा एक हवाई जहाज को क्षति पहुंची. रात सवा नौ बजे परबतसिंह की ढाणी की कोटडी के पास दो बम गिरे मगर क्षति नहीं हुई. रात्रि डेढ़ बजे गुलाबसिंह की ढाणी के पास एक पेट्रोल की टंकी गिराई जिससे आग लगी मगर मामूली क्षति पहुंची. 12 दिसम्बर को जयसिन्धर स्टेशन पर बमबारी की जिससे कुछ नुकसान हुआ. प्रातः पौने नौ बजे मीठडा खुर्द में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई. इसी दिन रात्रि 12 बजे सीमावर्ती नेवराड गांव में पैराशूट से सिलेंडर उतारा गया जो लगभग आठ कि.ग्रा. का था. इस रात्रि को सरली गांव में 10 बम गिराए लेकिन क्षति नहीं हुई मगर 40 गुणा 15 फीट के गडढ़े पड गए. इसी दिन गरल गांव के समीप रोशनी वाले सिलेंडर पैराशूट से उतारकर भय का वातावरण पैदा करने का असफल प्रयास किया गया.
60 फीसदी बम नहीं फटे
इस प्रकार सेडवा में एक, बामरला में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई. पाकिस्तान ने बमबारी कर बाड़मेर की जनता में भय का वातावरण बनाने का असफल प्रयास किया. पाक को भारतीय सेना ने मुंह तोड जवाब दिया. पाक द्वारा लगभग 10 दिन लगातार बम बरसाने के बावजूद नागरिक शहर में रह कर पाक हमलों का मुकाबला किया. अंत में पाक को हार का सामना करना पड़ा. लोग आज भी अतीत को याद कर रोमांचित हो उठते हैं. मगर इस सरहदी क्षेत्र के गांवो में 1971 के युद्ध के दौरान भीषण बमबारी की गई थी जिसमें लगभग 60 फीसदी पाक बम बिना फटे रह गए थे.
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