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धर्मांतरण मामलों पर भजनलाल सरकार सख्त, लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी आ सकते हैं नियम
Rajasthan News: राजस्थान सरकार जबरदस्ती किए जाने वाले धर्मांतरण पर सख्त कदम उठाने जा रही है, जिसमें कारावास और जुर्माना हो सकता है. लिव-इन रिलेशनशिप को विनियमित करने के लिए नियम बनाने की भी तैयारी है.

भजन लाल सरकार है धर्मांतरण को लेकर सख्ती के मूड में
Source : @BhajanlalBjp
Rajasthan News: राजस्थान की भजनलाल सरकार धर्मांतरण को लेकर सख्ती के मूड में है. इसके अलावा लिव इन रिलेशनशिप को लेकर भी सरकार नियम कायदे बनाने की तैयारी कर रही है. राजस्थान के कानून मंत्री जोगा राम पटेल ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि सरकार जबरदस्ती और किसी तरह के लोभ लालच के जरिए होने वाले धर्मांतरण को बर्दाश्त नहीं करेगी.
क्या इस आशय का बिल विधानसभा के आगामी सत्र में लाया जा रहा है? ये पूछे जाने पर मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि ये कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सरकार इस पर पूरी गंभीरता से विचार कर रही है.
किया जा सकता है 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान
राजस्थान में सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन के मामले आदिवासी जिले बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जैसे इलाकों में सामने आते हैं. इसलिए बच्चों, महिलाओं और एससी-एसटी के व्यक्ति के धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान नए कानून के तहत किया जा सकता है. राज्य का विधि विभाग इस कानून के लिए जो बिल ड्राफ्ट कर रहा है, उसमें उत्तराखंड और मध्य प्रदेश राज्यों की स्टडी भी शामिल की जा रही है.
लिव इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में पंजीयन यानी रजिस्ट्रेशन की शर्त भी जोड़ी जा सकती है. वैसे धर्म परिवर्तन कानून की ये कवायद राजस्थान में दो बार पहले भी की जा चुकी है. साल 2006 और 2008 में तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को विधानसभा से पारित भी करवा लिया था लेकिन तब की केंद्र सरकार (यूपीए) ने बिल को मंजूर नहीं किया था.
कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी प्रस्तावित होगा
अब सरकार की मंशा रहेगी कि धर्म बदलवाने और उसमें सहयोग करने वालों पर जेल और भारी जुर्माना कानून के तहत लगाया जाए. इसके अलावा, धर्म परिवर्तन में शामिल रहने वाली संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी किया जाना प्रस्तावित होगा. साल 2008 के धर्म स्वातंत्र्य बिल में कलेक्टर की मंजूरी के बिना धर्म बदलने पर रोक थी.
अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलता है तब भी उसकी सूचना 30 दिन में कलेक्टर को देने का प्रावधान किया गया था. माना जा रहा है कि नए ड्राफ्ट में सूचना देने की अवधि को तीन महीने तक बढ़ाने और सूचना समय सीमा के अंदर नहीं देने पर प्रस्तावित जुर्माने की राशि में कमी का प्रावधान किया जा सकता है.
क्या इस आशय का बिल विधानसभा के आगामी सत्र में लाया जा रहा है? ये पूछे जाने पर मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि ये कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सरकार इस पर पूरी गंभीरता से विचार कर रही है.
किया जा सकता है 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान
राजस्थान में सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन के मामले आदिवासी जिले बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जैसे इलाकों में सामने आते हैं. इसलिए बच्चों, महिलाओं और एससी-एसटी के व्यक्ति के धर्म परिवर्तन पर 5 से 10 साल तक की सजा और 50 हजार के जुर्माने का प्रावधान नए कानून के तहत किया जा सकता है. राज्य का विधि विभाग इस कानून के लिए जो बिल ड्राफ्ट कर रहा है, उसमें उत्तराखंड और मध्य प्रदेश राज्यों की स्टडी भी शामिल की जा रही है.
लिव इन रिलेशनशिप जैसे मामलों में पंजीयन यानी रजिस्ट्रेशन की शर्त भी जोड़ी जा सकती है. वैसे धर्म परिवर्तन कानून की ये कवायद राजस्थान में दो बार पहले भी की जा चुकी है. साल 2006 और 2008 में तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक को विधानसभा से पारित भी करवा लिया था लेकिन तब की केंद्र सरकार (यूपीए) ने बिल को मंजूर नहीं किया था.
कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी प्रस्तावित होगा
अब सरकार की मंशा रहेगी कि धर्म बदलवाने और उसमें सहयोग करने वालों पर जेल और भारी जुर्माना कानून के तहत लगाया जाए. इसके अलावा, धर्म परिवर्तन में शामिल रहने वाली संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी किया जाना प्रस्तावित होगा. साल 2008 के धर्म स्वातंत्र्य बिल में कलेक्टर की मंजूरी के बिना धर्म बदलने पर रोक थी.
अगर कोई अपनी मर्जी से धर्म बदलता है तब भी उसकी सूचना 30 दिन में कलेक्टर को देने का प्रावधान किया गया था. माना जा रहा है कि नए ड्राफ्ट में सूचना देने की अवधि को तीन महीने तक बढ़ाने और सूचना समय सीमा के अंदर नहीं देने पर प्रस्तावित जुर्माने की राशि में कमी का प्रावधान किया जा सकता है.
मनीष कुमार शर्मा की रिपोर्ट.
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