(Source: Poll of Polls)
जोधपुर में लगी LED स्क्रीन पर चला गहलोत सरकार का विज्ञापन, लोगों में चर्चा का विषय
Jodhpur News: जोधपुर में शास्त्री सर्किल पर लगी एलईडी वॉल पर पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत के समय का विज्ञापन चलने से विवाद हो गया है. नगर निगम की इस वॉल का संचालन निजी एजेंसी करती है.

जोधपुर शहर के शास्त्री सर्किल पर लगी एलईडी वॉल पर गलत विज्ञापन चलने का मामला जोधपुर वासियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. प्रदेश में वर्तमान में बीजेपी की सरकार है और मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार शहरी एवं ग्रामीण सेवा शिविरों का आयोजन नगर निगम उत्तर और दक्षिण की ओर से प्रतिदिन अलग-अलग वार्डों में किया जा रहा है. इन शिविरों का उद्देश्य राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को आमजन तक पहुंचाना है.
लेकिन एलईडी स्क्रीन पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समय (2 अक्टूबर 2021) का विज्ञापन चलते हुए नजर आया. इस विज्ञापन में “प्रशासन शहरों के संग अभियान, लक्ष्य 10 लाख पट्टा वितरण” से संबंधित प्रचार प्रसारित हो रहा था.
एलईडी वॉल नगर निगम की, संचालन निजी एजेंसी के पास
जानकारी के अनुसार शास्त्री सर्किल पर लगी एलईडी वॉल नगर निगम दक्षिण की है. हालांकि, इसका संचालन प्रतिवर्ष टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से निजी विज्ञापन एजेंसी को सौंपा जाता है. वर्तमान में भी यह स्क्रीन एक निजी एजेंसी के अधीन है. जब नगर निगम महापौर से इस संबंध में संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके पीए ने ही जवाब देते हुए कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है. वहीं एजेंसी के जिम्मेदारों से कई बार फोन पर बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.
मॉनिटरिंग पर उठे सवाल
इस घटना के बाद प्रशासन और एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब एलईडी वॉल पर सरकारी विज्ञापन चलाए जाते हैं तो उनकी नियमित मॉनिटरिंग भी होनी चाहिए. अन्यथा, इस तरह की बड़ी चूक कभी भी भ्रामक संदेश फैलाने का कारण बन सकती है.
नागरिकों की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार बेहद जिम्मेदारी का काम है. ऐसे में यदि विज्ञापन एजेंसी इस पर ध्यान नहीं देती तो अधिकारियों को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए. लोगों का यह भी मानना है कि गलती चाहे तकनीकी हो या मानवीय, लेकिन इसका असर सरकार की छवि पर पड़ता है. फिलहाल यह मामला शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. अब देखना यह होगा कि निगम प्रशासन और विज्ञापन एजेंसी इस पर क्या कार्रवाई करते हैं.
Source: IOCL

























