नशे का समूल नाश, मान सरकार का प्रयास
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने नशा पीड़ितों के इलाज के लिए बड़ी पहल की है. इसके तहत सरकारी अस्पतालों और नशा मुक्ति केंद्रों में बिस्तरों की संख्या 1,000 बढ़ा दी गई है.

पंजाब की धरती से नशे को जड़ से खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने निर्णायक कदम उठाए हैं. मान सरकार नशे को खत्म करने के लिए किए जा रहे कामों का जमीन पर असर दिखा है.
मान सरकार के निर्देश पर पंजाब पुलिस ने नशे के सौदागरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. "युद्ध नशेयां विरुद्ध" अभियान के तहत एनडीपीएस के 15,879 मामले दर्ज किए गए हैं. इसके साथ ही 24,935 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है.
200 मनोवैज्ञानिकों की तत्काल भर्ती
नशे के खिलाफ अभियान चलाने के साथ मान सरकार उन पीड़ितों की भी मदद कर रही है, जो किसी कारण से नशे की चपेट में आ गए और अब नशे से मुक्ति चाहते हैं. सरकार द्वारा चलाए जा रहे नशामुक्ति केंद्र और अस्पतालों में नशा पीड़ितों की बढ़ती संख्या को देखकर मान सरकार से बड़ा निर्णय लिया है.
इसके तहत मान सरकार छह महीने के लिए अस्थायी तौर पर 200 मनोवैज्ञानिकों की तत्काल भर्ती करेगी. इस बीच स्वास्थ्य विभाग इन पदों पर स्थायी भर्ती के लिए प्रक्रिया शुरू करेगा.
नशा मुक्ति केंद्रों की क्षमता बढ़ी
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने नशा पीड़ितों के इलाज के लिए बड़ी पहल की है. इसके तहत सरकारी अस्पतालों और नशा मुक्ति केंद्रों में बिस्तरों की संख्या 1,000 बढ़ा दी गई है. इसके अलावा, यदि सरकारी केंद्रों पर मौजूद बेडों का पूरी तरह से उपयोग हो जाएगा, तो निजी नर्सिंग संस्थानों और नशा मुक्ति केंद्रों की सेवाओं का अतिरिक्त 1,000 बिस्तरों के लिए उपयोग किया जाएगा, जिसका खर्च मान सरकार उठाएगी.
इलाज के लिए आगे आ रहे नशा पीड़ित
पंजाब में वह दिन ढल गए जब नशा पीड़ित इलाज से डरते थे. मान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और जनजागरूकता के चलते "युद्ध नशेयां विरुद्ध" एक जन अभियान बन गया है. अब लोग लगातार नशीले पदार्थों के तस्करों के खिलाफ जानकारी दे रहे हैं. इसके साथ ही नशा पीड़ित लोग सक्रिय रूप से इलाज के लिए आगे आ रहे हैं.
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान बार- बार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सामूहिक सहयोग से पंजाब को पूरी तरह नशामुक्त राज्य बनाया जाएगा.
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