Haryana: सीएम खट्टर बोले- लगातार किसान हित में फैसले ले रही केंद्र और राज्य की सरकार, MSP पर कही ये बात
Haryana: सीएम खट्टर ने आरोप लगाया कि पिछली सरकारें एमएसपी और स्वामीनाथन आयोग के नाम पर किसानों को बेवकूफ बनाती थीं, लेकिन अब सरकार ने एमएसपी के लिए स्थाई फॉर्मूला तय कर दिया है.

Haryana News: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र और हरियाणा की बीजेपी सरकार पिछले आठ सालों से किसानों के हित के फैसले ले रही है. बता दें कि सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री सीधे आठ करोड़ से अधिक लाभार्थियों के खाते में किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) की 16000 करोड़ की 13वीं किस्त जारी की.
'आज बुवाई से पहले तय कर दिया जाता है फसल का MSP'
हरियाणा सीएम खट्टर ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार लगातार किसान हितैषी फैसले ले रही है. उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों से फसलों की बुवाई के मौसम से पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया जाता है. ताकि किसान अपनी पसंद के अनुसार बुवाई के लिए फसल का चयन कर सकें और अपनी आय में वृद्धि कर सकें.
एमएसपी और स्वामीनाथन आयोग पर कही ये बात
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सरकारें एमएसपी और स्वामीनाथन आयोग के नाम पर किसानों को बेवकूफ बनाती थीं, लेकिन अब सरकार ने एमएसपी के लिए स्थाई फॉर्मूला तय कर दिया और अब किसानों को बुवाई सीजन से पहले ही फसल का एमएसपी पता चल जाता है, ताकि वो अपनी फसल का उचित लाभ ले सकें.
'हरियाणा में फसल नुकसान मुआवजा सबसे ज्यादा'
सीएम खट्टर ने कहा कि हरियाणा सरकार ने 2015 में ही प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के मुआवजे के रूप में 12,000 रुपये प्रति एकड़ देना शुरू कर दिया था, जबकि स्वामीनाथन आयोग ने अपनी सिफारिशों में 10,000 रुपये प्रति एकड़ देने की बात कही थी. उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार ने अब इस राशि को बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति एकड़ कर दिया है, जो देश में सबसे अधिक है.
'नीली क्रांति और श्वेत क्रांति की ओर बढ़ रहे हरियाणा के किसान'
हरियाणा सीएम ने कहा कि आज सूचना और प्रौद्योगिकी के युग में किसान अपने फायदे के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश को खाद्दान में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरियाणा के जिन किसानों ने हरित क्रांति की थी आज वही किसान नीली क्रांति (मत्स्य उत्पादन में वृद्धि) और श्वेत क्रांति (दूध उत्पादन में वृद्धि) की ओर बढ़ रहे हैं.
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