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आमरण अनशन के बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने लिखी चिट्ठी, राजनीतिक दलों से क्या है मांग?

Jagjit Singh Dallewal Hunger Strike: डल्लेवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि एक तरफ हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात करते हैं और दूसरी तरफ देश के किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं. 

Farmers Protest: आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सभी राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने एमएसपी गारंटी कानून पर स्टैंड स्पष्ट करने की मांग की. उन्होंने लिखा कि किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए एमएसपी गारंटी कानून के मुद्दे पर सभी राजनीतिक दल मतभेद भुलाकर एक हो जाएं. चिट्ठी में लिखा गया कि विपक्ष में रहते राजनीतिक पार्टियां किसान हित की बात करती हैं. लेकिन सत्ता में आते ही किसानों से किए वायदे भूला देती हैं.

डल्लेवाल ने कहा, "एमएसपी गारंटी कानून के लिए मैं पिछले 45 दिनों से आमरण अनशन पर हूं. मेरी नाजुक तबियत के बारे में आपको सूचना मिल रही होगी. किसान पिछले साल 13 फरवरी से सड़कों पर बैठे हैं. किसानों की नई मांग नहीं है. अलग-अलग समय पर किये गए वायदों को पूरा कराने के लिए हम आंदोलन कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि 13 फरवरी से शुरू हुए आंदोलन में पुलिस की हिंसात्मक कार्रवाई से एक किसान शुभकरण सिंह की शहादत हुई. 5 किसानों की आंखों की रोशनी चली गयी और 434 किसान घायल हो गए.

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने लिखी चिट्ठी

डल्लेवाल ने बताया कि पहले सिर्फ किसान और खेतिहर मजदूर एमएसपी गारंटी कानून की मांग कर रहे थे. लेकिन अब खेती के विषय पर बनी संसद की स्थायी समिति ने भी अपनी रिपोर्ट (पहला वॉल्यूम, पॉइंट 7, पेज 54) में स्पष्ट रूप से एमएसपी गारंटी कानून की वकालत की है. एमएसपी गारंटी कानून से किसानों, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश को बहुत फायदा होगा. किसानों की क्रय शक्ति बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. संसद की सर्वदलीय कमेटी में सभी राजनीतिक दलों के 31 सांसद शामिल हैं. किसान नेता ने कहा कि 2011 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए उपभोक्ता मामलों की कमेटी के चेयरमैन थे.

उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रिपोर्ट भेजकर कहा था कि फसल की खरीदारी निर्धारित एमएसपी से कम दाम पर नहीं होनी चाहिए. उन्होंने एमएसपी के लिए कानून बनाने की भी वकालत की थी. अब 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी खुद की सिफारिश लागू नहीं कर रहे हैं. डल्लेवाल ने आगे चिट्ठी में लिखा "किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए डॉ स्वामीनाथन आयोग ने 2006 में रिपोर्ट पेश की. 2014 तक यूपीए की सरकार ने रिपोर्ट लागू नहीं की. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने वायदा किया था कि प्रधानमंत्री बनने पर स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूला पर फसलों का एमएसपी तय करेंगे.

राजनीतिक दलों के प्रमुखों से जानें क्या की मांग?

2015 में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार पलट गई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने से इंकार कर दिया. पत्र में कहा गया, "2018 में पंजाब की चीमा मंडी में 35 दिन धरना देने के बाद अन्ना हजारे और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने दिल्ली के रामलीला मैदान में आमरण अनशन किया था. तत्कालीन कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से डॉ जितेंद्र सिंह की चिट्ठी आंदोलनकारी नेताओं को सौंपी थी. चिट्ठी में साफ तौर पर लिखा था कि केंद्र सरकार 3 महीने में स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले को लागू करेगी. 6 साल बीत जाने के बावजूद आज तक लागू नहीं किया गया."

2020-21 में किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए डल्लेवाल ने लिखा कि 378 दिनों तक चले आंदोलन को स्थगित करते समय 9 दिसंबर 2021 को एक चिट्ठी कृषि मंत्रालय की तरफ से सौंपी गई थी. चिट्ठी में हर किसान के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने, खेती कार्यों को प्रदूषण कानून से बाहर निकालने, लखीमपुर खीरी के घायलों को उचित मुआवजा देने, बिजली बिल को संसद में पेश करने से  चर्चा और आंदोलनकारी किसानों पर मुकदमे वापस लेने समेत कई लिखित वायदे आज तक अधूरे हैं.

उन्होंने कहा, "मैं एमएसपी गारंटी कानून के लिए जिंदगी कुर्बान करने को मानसिक तौर पर तैयार हूं. लेकिन एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि एक साधारण किसान की शहादत होने पर राजनीतिक वर्ग के ऊपर कभी ना साफ होने वाला धब्बा लगेगा. "मेरी शहादत के बाद इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो सवाल भी पूछेंगे कि क्या उस समय राजनीतिक पार्टियों (सत्ता और विपक्ष) ने अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से निभाई जब देश के किसान एमएसपी गारंटी कानून बनवाने के लिए ठिठुरती ठंड में सड़कों पर बैठे थे?"

डल्लेवाल ने कहा कि 21वीं सदी में एक तरफ हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनाने की बात करते हैं लेकिन दूसरी तरफ देश के किसान आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं. 

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