Farmers Protest: कृषि कानूनों को वापस लिए जाने वाले दिन को दीपेंद्र सिह हुड्डा ने किया याद, जानें क्या कहा
Farm Laws: केंद्र की बीजेपी सरकार किए गए कृषि कानूनों को किसान आंदोलन के बाद पीएम मोदी ने 19 नवंबर 2021 को वापस ले लिया था. उस दिन को याद करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी है.
Haryana News: 19 नवंबर 2021 को पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लिया था. आज 19 नवंबर को हरियाणा कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने उसी दिन को याद करते हुए एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि मेरे किसान भाईयों. आज वो दिन है जब आपके पवित्र सत्याग्रह के आगे सरकार और उसके अहंकार को झुकना पड़ा और तीनों काले क़ानून वापिस लेने पड़े.
एक ऐसा आन्दोलन जिसे बदनाम करने की अनेकों साजिश रची गई और आंदोलनरत किसानों की छवि को धूमिल करने की कोशिश होती रही, पर नफरत की आग में झुलसने के बाद भी यह आंदोलन सोने जैसा खरा होता गया.
‘किसान भाईयों के संघर्ष से मिली प्रेरणा’
दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने आगे लिखा कि यह आज़ाद भारत का वो आंदोलन था जिसमें न किसी प्रकार की कोई हिंसा हुई, न कोई एक व्यक्ति परेशान किया गया और न ही कोई राजनीति हुई.किसान आंदोलन प्रेरणा है इस युग के युवाओं के लिए जिनमें राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव है. मैं दीपेंद्र हुड्डा, ख़ुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि किसान आत्मसम्मान की रक्षा हेतु चले इस आंदोलन रूपी महायज्ञ में सड़क से लेकर संसद तक मैं भी अपनी संघर्ष रूपी आहुति दे सका. लखीमपुर किसान नरसंहार का विरोध करने पर 3 दिन जेल में रहा, सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा की मीडिया के निशाने पर रहा, अनर्गल आरोपों से घिरा रहा, पर यह आप किसान भाईयों के संघर्ष से मिली प्रेरणा ही थी जिसकी वजह से मैंने भी कभी हिम्मत नहीं हारी.
मेरे किसान भाईयों!
— Deepender S Hooda (@DeependerSHooda) November 19, 2023 [/tw]
आज वो दिन है जब आपके पवित्र सत्याग्रह के आगे सरकार और उसके अहंकार को झुकना पड़ा और तीनों काले क़ानून वापिस लेने पड़े।
एक ऐसा आन्दोलन जिसे बदनाम करने की अनेकों साजिश रची गई और आंदोलनरत किसानों की छवि को धूमिल करने की कोशिश होती रही, पर नफरत की आग में झुलसने… pic.twitter.com/WklTfbjRwb
‘17 दिसंबर को सिरसा में किसान-मजदूर आक्रोश रैली’
किसान आंदोलन में शहीद हुए सभी किसानों को हम सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. आज किसान अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. हम शहीद किसानों की याद में 17 दिसंबर को सिरसा में किसान-मजदूर आक्रोश रैली करेंगे. आक्रोश इस बात का कि 2 साल पहले सरकार और किसान संगठनों के बीच जो समझौता हुआ था सरकार ने उसे अब तक लागू नहीं किया. हम किसानों की आवाज बुलंद करेंगे और सरकार को समझौता लागू करने पर मजबूर करेंगे.
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