उत्तर प्रदेश: नदी के बढ़े जलस्तर की वजह से फंसे 200 ग्रामीणों को पुलिस और SDRF की टीम ने सुरक्षित बचाया
ये सभी लोग नारायणी नदी पार कर खेती करने गए थे लेकिन इस बीच जलस्तर बढ़ जाने की वजह से फंस गए. 24 घण्टे की कड़ी मशक्कत के बाद नदी में फंसे लोगों को बचाया जा सका है.

कुशीनगर: नेपाल के पहाड़ों से निकलने वाली नारायणी नदी हर साल कुशीनगर व बिहार में अपना कहर बरपाती है. जैसे-जैसे नदी में पानी बढ़ता है, वैसे ही कुशीनगर के नदी से सटे इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगता है. नदी के किनारे बसे लोग खेती करने गंडक के उस पार जाते हैं. रविवार को ऐसे ही 200 लोग खेती करने गए थे, लेकिन नारायणी में बढ़ते जलस्तर की वजह से फंस गए.
पुलिस को जैसे ही इसकी जानकारी हुई उन फंसे दो सौ लोगों को बचाने के लिए पुलिस और एसडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और आज (मंगलवार) को सभी फंसे लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया.
ग्रामीणों को नदी की धारा से सुरक्षित निकालने में इस टीम को लगातार चौबीस घंटे तक काफी मशक्कत करनी पड़ी. सोमवार की रात नदी पार करने के बाद एसडीआरएफ की नाव का इंजन भी खराब हो गया था. रात में जवानों ने उसे ठीक किया और उसके बाद ग्रामीणों को बचाया जा सका. सकुशल घर लौटने पर ग्रामीणों ने एसडीआरएफ और पुलिस की दोनों टीमों को धन्यवाद दिया है. दोनों टीमों को बधाई देते हुए ग्रामीणों ने कहा कि यदि सही समय पर यह टीम नहीं पहुंची होती तो लोग बिना खाना खाए मर गए होते.
कुशीनगर जनपद के तमकुही क्षेत्र में अमवाखास तटबन्ध किमी जीरो के पास बरवापट्टी घाट पर बहुत पहले से ही अनुबंधित एक बड़ी नाव चलती है. इससे एक दर्जन गांवों के करीब तीन सौ लोग प्रतिदिन खेती करने के लिए नदी के उस पार जाते हैं और शाम को उसी नाव से काम करके वापस आ जाते हैं.
बीते रविवार को सुबह अमवाखास, अमवादिगर, दशहवा, जमुवान, कोठी व दुदही के करीब दो सौ लोग उसी नाव पर सवार होकर अपने खेती करने के लिए नदी के उस पार गए थे. इस बीच बड़ी गंडक नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ने लगा.
शाम को चार बजे खेती का काम करके किसान जब घर वापस आना चाह रहे थे तो उस समय नाव वहां नहीं थी. नाविक ने बढ़ते पानी को देखकर नाव को बरवा पट्टी घाट पर वापस लाकर खड़ा कर दिया था. शाम तक नदी में बेतहाशा पानी की बढ़ोत्तरी होने के बाद नाविक नाव ने ले जाने से इनकार कर दिया. नाविक के अनुसार नदी में पानी की धारा बहुत तेज हो गई थी, ऐसे में वह रिस्क नहीं ले सकता था.
इलाके के लोग नदी के उस पार गोखुला, रक्तहिया, भगवानपुर, चिचिड़वा में फंस गए थे. दूसरा उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था. किसान दिन में खाने के लिए एक समय की रोटी, चूड़ा आदि ले गए थे. उन्होंने यही खाकर किसी तरह से रात गुजारी.
इसी बीच बरवापट्टी पुलिस ने प्रशासन को अवगत कराया कि नदी के उस पार दो सौ से ज्यादा किसान फंस गए हैं. तत्काल हरकत में आए जिला प्रशासन ने मंगलवार को शाम चार बजे एसडीआरएफ की टीम को बरवापट्टी घाट पर भेजा. इनके ही साथ दो बड़ी स्टीमर भी थे. टीम के साथ बरवा पट्टी थानाध्यक्ष नंदा प्रसाद हमराहियों के साथ स्टीमर से उस जगह पर पहुंचे, जहां लोग फंसे हुए थे.

एक-एक किसान को बड़े स्टीमर में बैठा कर देर रात लगभग 10 बजे बरवा पट्टी घाट पर सुरक्षित उतारा गया. 35 लोगों को मंगलवार को सुबह सुरक्षित लाया गया.
एसडीआरएफ का स्टीमर भी फंस गया था. ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार की रात को एसडीआरएफ का एक स्टीमर उस पार जाने के बाद खराब हो गया था. इसके इंजन में नदी का सेवार फंस गया था. इसके चलते इंजन ने काम करना बंद कर दिया था. जवानों ने सेवार साफ किया. इसके बाद कुछ घंटे इसका इंजन ठंडा किया गया तब जाकर वह काम करने लायक हुआ.
नदी की धारा से तीसरे दिन सकुशल घर पहुंचे ग्रामीणों ने एसडीआरएफ की दोनों टीमों व पुलिस को धन्यवाद दिया और कहा कि यदि टीम नहीं पहुंचती तो वह लोग वहीं बिना खाने के मर जाते. दशहवा गांव के निवासी जंगली प्रसाद ने बताया कि पहली रात तो दिन का बचा खाना खाकर काम चल गया, सोमवार को सुबह से कुछ नहीं खाया था. मंगलवार को सुबह घर पहुंचने पर बड़ा संतोष मिला. किसानों ने कहा कि अब जब तक नदी का जलस्तर घट नहीं जाता, उस पार खेती करने नहीं जाएंगे.
पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि सूचना मिली थी कि नदी के उस पार ग्रामीण खेती करने गए थे और नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह से फंस गए. हमने तत्काल एसडीआरएफ की टीम बुलाई और बरवापट्टी थाने की पुलिस को भी साथ लगाया. 24 घण्टे की कड़ी मशक्कत के बाद नदी में फंसे लोगों को बचाया जा सका है. सभी लोग सुरक्षित हैं. नाविक के निवेदन पर नाव का संचालन रोक दिया गया है. साथ ही ग्रामीणों को उस पार नहीं जाने की चेतावनी भी दी गई है.
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Source: IOCL





















