Maharshtra: उद्धव ठाकरे के अखबार सामना का PM से सवाल, समझिए मोदी की पॉलिटिक्स, अब क्यों जाएंगे मणिपुर?
Maharshtra News: सामना के संपादकीय के मुताबिक अधिकांश सियासी दलों के नेताओं ने PM मोदी से मणिपुर का दौरा करने की मांग की, लेकिन वे वहां नहीं गए. मंशा साफ है. अब BJP की वहां सरकार बनाने की तैयारी है.

Saamana On PM Modi: 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर शिवसेना यूबीटी की ओर से बीजेपी और केंद्र सरकार पर हमला बोलने का क्रम जारी है. बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह पर हमला बोलने के अब उद्धव ठाकरे के अखबार 'सामना' ने अपने संपादकीय में `सिंदूर रोड शो’ और मणिपुर हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति को शुक्रवार को निशाने पर लिया. सामना ने अपने संपादकीय में लिखा है कि पीएम मोदी जगह-जगह `सिंदूर रोड शो’ में शामिल होकर 'ऑपरेशन सिंदूर' का राजनीतिकरण कर रहे हैं. इससे पहले भी उन्होंने राम मंदिर निर्माण के दौरान देश भर में गंगाजल बटवा कर सियासी लाभ उठाया था.
सामना का दावा है, "सिंदूर की राजनीति करने के बाद अब पीएम मोदी मणिपुर भी जाएंगे. मई 2023 से ही वहां पर कूकी और मैतेई के बीच हिंसक घटना का दौरान जारी है. इस दौरान वहां पर भी कई महिलाओं के सिंदूर को पोछ दिए गए, लेकिन ऐसा न समझें की पीएम मोदी मणिपुर हिंसा को लेकर वहां का दौरा करेंगे. बशर्ते वहां, मणिपुर का दौरा बीजेपी की सरकार बनने की उत्सव में शामिल होने के लिए करेंगे."
मणिपुर में महाराष्ट्र दोहराने की तैयारी!
राहुल गांधी सहित अधिकांश सियासी दलों और स्थानीय संगठनों के लोग पीएम मोदी से मणिपुर का दौरा करने की मांग लगातार करते आए हैं, लेकिन पीएम मोदी वहां नहीं गए. अब वे वहां जाएंगे. मंशा साफ है, वहां पर बीजेपी की सरकार बनाने की तैयारी है. ऐसे में मोदी वहां न जाएं, यह कैसे हो सकता है? मणिपुर में सालों से जारी हिंसक घटना का लाभ 'ऑपरेशन सिंदूर' की तरह न उठाएं ऐसा कैसे हो सकता?
दरअसल, मणिपुर में भी हिंसक घटनाओं की महिलाओं के सिंदूर उजड़ें हैं. बावजूद इसके प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर जाने से सालों से परहेज किया. इसी तरह पहलगाम आतंकी हमले में 26 महिलाओं का सिंदूर मिट जाने पर `सिंदूर यात्रा’ निकालने वाले मोदी ने कश्मीर का दौरा अभी तक नहीं किया है. जबकि `सिंदूर’ की राजनीति जोर-शोर से कर रहे हैं.
उसी रणनीति के तहत मणिपुर में केंद्रीय गृह मंत्रालय की मदद से अवैध, असंवैधानिक सरकार बनाने का जो खेल महाराष्ट्र में खेला गया, वही खेल मणिपुर में दोहराने की तैयारी है. सामना ने यह भी आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी संकट के समय में मणिपुर के लोगों को आश्वस्त करने के अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं. इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि मणिपुरी जनता को हिंसा की आग में धकेल कर प्रधानमंत्री देश-विदेश में घूमते रहे.
अब प्रधानमंत्री बीजेपी की राजनीति को सफल बनाने के लिए मणिपुर जाएंगे. यह सब राजनीतिक दृष्टि से घृणित है. सैकड़ों मणिपुरी जनता की भावनाओं के साथ इस तरह का खिलवाड़ धक्कादायक है. प्रधानमंत्री मणिपुर जा सकते हैं, लेकिन क्यों, एक राजनीतिक उत्सव में भाग लेने के लिए!
मणिपुर में विधानसभा की 60 सीटें हैं. बहुमत का आंकड़ा 31 है. मणिपुर में 13 फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है. इस शासन को हटाकर वहां सरकार बनाने और प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल को मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह (यानी `सिंदूर उत्सव’) में शामिल कराने के लिए दिल्ली और मणिपुर के राजभवनों में राजनीति पक रही है.
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Source: IOCL






















