आंबेडकर जयंती पर राज ठाकरे बोले, 'मुंबई को महाराष्ट्र से अलग रखने के तर्कों का...'
Raj Thackeray on Ambedkar Jayanti 2025: राज ठाकरे ने कहा कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग रखने के लिए दिए जा रहे तर्कों का बाबा साहेब ने विरोध किया था.

भारत रत्न बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर की जयंती पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने एक्स पर लंबा पोस्ट किया है. उन्होंने कहा कि मुंबई को महाराष्ट्र से अलग रखने के लिए दिए गए तर्कों का बाबा साहेब ने करारा जवाब दिया था.
'संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का बाबा साहेब ने किया था समर्थन'
राज ठाकरे ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "आज भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती है, जो भारतीय संविधान के शिल्पकार थे. आज उनकी जयंती पर यह याद करना जरूरी है कि बाबा साहेब ने समय आने पर संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन का समर्थन कैसे किया था. सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि यह भी याद रखना जरूरी है कि उन्होंने मुंबई को महाराष्ट्र से अलग रखने के लिए दिए जा रहे तर्कों का किस तरह करारा जवाब दिया था."
Today is the birth anniversary of Bharat Ratna Dr. Babasaheb Ambedkar, the architect of the Indian Constitution. Today, on his birth anniversary, it is necessary to remember how Babasaheb supported the struggle for a unified Maharashtra (Samyukta Maharashtra Chalval) in its time.… pic.twitter.com/BcNkYjdum3
— Raj Thackeray (@RajThackeray) April 14, 2025
इसके आगे उन्होंने कहा, "संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के प्रारंभिक दौर में कामरेड दांगे, एसएम जोशी, आचार्य अत्रे और संयुक्त महाराष्ट्र समिति के अन्य नेता दिल्ली में बाबा साहेब के निवास पर उनसे मिलने गए थे और इस संघर्ष में उनके और उनके अनुयायियों के सहयोग की मांग की थी. उस समय बाबा साहेब ने कहा था, “मेरी शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन संयुक्त महाराष्ट्र समिति के साथ जिब्राल्टर की चट्टान की तरह खड़ी रहेगी.” वे यहीं नहीं रुके. मुंबई स्थित उनका निवास ‘राजगृह’ संयुक्त महाराष्ट्र समिति की बैठकों का केंद्र बन गया. इन बैठकों में मेरे दादा प्रभोधनकार ठाकरे भी उपस्थित थे."
'मराठी भाषियों के लिए एक अलग राज्य की मांग...'
राज ठाकरे ने कहा, "बाबा साहेब ने 14 अक्टूबर 1948 को धार आयोग के सामने एक बयान दिया था जिसमें मराठी भाषियों के लिए एक अलग राज्य की मांग का समर्थन किया गया था. इस बयान में यह विस्तार से समझाया गया है कि मुंबई महाराष्ट्र का अभिन्न हिस्सा क्यों है. यह स्पष्टीकरण ‘महाराष्ट्र एज अ लिंग्विस्टिक प्रोविन्स’ (Maharashtra as a Linguistic Province) में पढ़ा जा सकता है."
'बाबा साहेब ने उन सभी तर्कों को ठोस जवाब दिया था'
MNS प्रमुख ने अपने पोस्ट में आगे लिखा, "यह सब विस्तार से बताने का कारण यह है कि बाबा साहेब ने उन सभी तर्कों को ठोस जवाब दिया था, जैसे कि ‘मुंबई कभी महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं रही’ या ‘सिर्फ इसलिए कि मुंबई में मराठी भाषी अधिक हैं, वह महाराष्ट्र का हिस्सा कैसे हो सकती है’. उन्होंने कहा था कि जैसे मुस्लिम आक्रमणों के बावजूद हिंदू और मुस्लिमों की मूल पहचान खत्म नहीं हुई, वैसे ही अगर मुंबई में गुजराती या अन्य भाषाओं के लोग आ गए, तो इसका यह मतलब नहीं कि मुंबई की मूल पहचान मिट गई. मुंबई की मूल पहचान मराठी भाषी प्रांत की है और वह बदली नहीं जा सकती."
'संघर्ष में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता'
राज ठाकरे ने कहा कि बाद में बाबा साहेब का निधन हो गया. लेकिन दादासाहेब गायकवाड़, बैरिस्टर बी.सी. कांबले जैसे नेता इस आंदोलन में पूरी ताकत से शामिल हो गए. बैरिस्टर बी.सी. कांबले ने विधानसभा में संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन पर हुए पुलिस अत्याचारों को लेकर ऐसे सवाल उठाए कि मोरारजी देसाई को घुटने टेकने पड़े. 1960 में महाराष्ट्र का गठन मुंबई सहित हुआ. बाबा साहेब यह देखने के लिए जीवित नहीं थे. लेकिन इस संघर्ष में उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता.
'युग निर्माता को कोटि-कोटि प्रणाम'
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने अंत में कहा, "आज जब मुंबई में मराठी भाषा और मराठी लोगों को फिर से दोयम दर्जा देने की कोशिश हो रही है, तब मराठी लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि कितने महान लोगों ने इस लड़ाई के लिए अपना जीवन लगा दिया. अगर हम यह भूल गए और मराठी के रूप में एक नहीं हुए, तो यह संघर्ष किस लिए था? मराठी के रूप में एकजुट होकर, जाति की दीवारों को तोड़ने और इस प्रांत को गौरव दिलाने की शपथ लेना ही आज डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना इस युग निर्माता को कोटि-कोटि प्रणाम करती है!"
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Source: IOCL























