Maharashtra: जालना में देर रात OBC नेता की कार में किसी ने लगा दी आग, CCTV में दिख गया सब कुछ
Jalna News: जलना में ओबीसी कार्यकर्ता नवनाथ वाघमारे की कार को अज्ञात व्यक्ति ने आग के हवाले कर दिया. आरक्षण विवाद के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए पुलिस ने जांच तेज कर दी है.

महाराष्ट्र के जालना शहर से बेहद दर्दनाक मामला सामने आया है. राज्य में आरक्षण विवाद के बीच 21 सितंबर की देर रात एक अज्ञात व्यक्ति ने ओबीसी कार्यकर्ता नवनाथ वाघमारे की कार को आग के हवाले कर दिया.
दिल दहला देने वाली यह वारदात रात करीब 10.00 बजे नीलम नगर क्षेत्र की है. पुलिस ने बताया कि सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध व्यक्ति बोतल से ज्वलनशील तरल डालकर कार में आग लगाते हुए दिखाई दे रहा है. पुलिस के अनुसार, आग से कार का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है.
स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाने में मदद भी की. यह घटना कई सवाल खड़े करती है, विशेषकर तब जब राज्य में मराठा आरक्षण विवाद अभी-अभी शांत हुआ है.
जान बूझकर निशाना बनाया गया- पीड़ित
नवनाथ वाघमारे ने कदीम जालना पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराई. सीसीटीवी फुटेज में पूरी वारदात रिकॉर्ड हो गई है और पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. कार मालिक और ओबीसी कार्यकर्ता नवनाथ वाघमारे ने इस घटना को गंभीर साजिश करार देते हुए आरोप लगाया कि उनकी गाड़ी को जानबूझकर निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि यह कृत्य उन्हें डराने और ओबीसी आंदोलन को कमजोर करने के इरादे से किया गया है.
वाघमारे ने यह भी सवाल उठाया कि अगर ओबीसी समुदाय के लोग किसी और नेता की गाड़ी को निशाना बनाते तो स्थिति कैसी होती. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका समुदाय संविधान के दायरे में रहकर आंदोलन करता है और हिंसा के रास्ते पर नहीं चलता. इस घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल बन गया है. हालांकि, पुलिस ने शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया है.
जालना में ओबीसी आरक्षण संघर्ष का केंद्र
जालना जिला लंबे समय से मराठा, ओबीसी, धनगर और बंजारा समुदायों के आरक्षण संघर्ष का केंद्र बना हुआ है. ओबीसी कार्यकर्ता मराठा समाज को ओबीसी कोटा देने के खिलाफ लगातार विरोध दर्ज कर रहे हैं. उनका कहना है कि हैदराबाद गजट के जरिये मराठा समाज को कुंभी जाति प्रमाणपत्र दिए जाने से एससी, एसटी और मौजूदा ओबीसी समुदाय के अवसर कम हो जाएंगे.
इसी बीच धनगर समुदाय के दीपक बोरहाडे पिछले छह दिनों से अनशन पर हैं और बंजारा समुदाय भी एसटी श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर चुका है. आरक्षण से जुड़ी इन मांगों और आंदोलनों के चलते जलना जिले का माहौल पिछले कई हफ्तों से असामान्य बना हुआ है.
21 सितंबर को ही वकील और सामाजिक कार्यकर्ता गुनरत्न सादावरते ने जलना का दौरा किया और धनगर आंदोलन को समर्थन दिया, जिसके बाद उनकी कार पर भी कुछ प्रदर्शनकारियों ने हमला करने की कोशिश की. इस बीच मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के समर्थकों पर भी आरोप लग रहे हैं कि वे ओबीसी कार्यकर्ताओं को डराने की कोशिश कर रहे हैं.
हाल ही में हुआ था बड़ा आंदोलन
राज्य सरकार ने इस महीने की शुरुआत में मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुंभी जाति प्रमाणपत्र देने के लिए गाइडलाइन जारी की थी ताकि उन्हें ओबीसी कोटा मिल सके. लेकिन इसके खिलाफ ओबीसी कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं. जालना की यह घटना दिखाती है कि आरक्षण विवाद अब सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं रह गया बल्कि इससे समुदायों के बीच विश्वास और सह-अस्तित्व पर भी असर पड़ रहा है. पुलिस ने मामले को संवेदनशील मानते हुए जांच तेज कर दी है और शांति बनाए रखने के लिए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है.
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Source: IOCL























