'आप स्लिम और खूबसूरत हैं, दिल को भा गईं', आधी रात में महिला को मैसेज करना अश्लीलता, कोर्ट ने सुनाया फैसला
Mumbai News: मुंबई की सेशंस कोर्ट ने शादीशुदा महिला को रात में अश्लील मैसेज भेजने वाले आरोपी की तीन महीने की सजा बरकरार रखी. कोर्ट ने कहा, किसी भी शादीशुदा महिला को आपत्तिजनक मैसेज भेजना अपराध है.

Mumbai Session Court: आज कल सोशल मीडिया का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. क्या बच्चे क्या बूढ़े, जिसे देखो वो फोन में लगा रहता है. इतनी ही नहीं, सड़क पर किसी भी अंजान से बात करने से पहले तो लोग सोचते भी होंगे, लेकिन सोशल मीडिया पर अंजान व्यक्ति से बात करना आज कल काफी आम हो गया है. ऐसे में कोर्ट का ये निर्णय उन लोगों की नींद उड़ा सकता है, जो रात में किसी अंजान को पर्सनल मैसेज करते हैं.
दरअसल मुंबई की सेशंस कोर्ट ने एक व्यक्ति की सजा को बरकरार रखा है, जिसने देर रात एक शादीशुदा महिला को आपत्तिजनक मैसेज और कथित रूप से अश्लील तस्वीर भेजी थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़िता की शिकायत के अनुसार, आरोपी ने रात 11 बजे से 12:30 बजे के बीच महिला को व्हाट्सएप मैसेज भेजे थे, जिनमें लिखा था– "तुम स्लिम हो", "तुम बहुत स्मार्ट लग रही हो", "तुम गोरी हो", "मेरी उम्र 40 साल है", "क्या तुम शादीशुदा हो?" और "मुझे तुम पसंद हो".
कोर्ट ने दोषी ठहराने के फैसले को सही बताया
अतिरिक्त सेशंस जज डी.जी. ढोबले ने 2022 में मजिस्ट्रेट द्वारा दिए गए दोषी करार के फैसले में कोई गलती नहीं पाई. उन्होंने कहा कि "अश्लीलता क्या होती है इसका का आकलन एक सामान्य व्यक्ति द्वारा आज के समाजिक मानकों के आधार पर किया जाना चाहिए". पीड़िता एक नगरसेविका थीं और उनके पति भी पूर्व नगरसेवक रह चुके हैं.
शादीशुदा महिला को भेजे गए मैसेज अस्वीकार्य – कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि "कोई भी सम्मानित शादीशुदा महिला और उसका परिवार इस तरह के व्हाट्सएप मैसेज और आपत्तिजनक तस्वीरें रात के समय बर्दाश्त नहीं कर सकता, खासकर तब जब भेजने वाले से कोई रिश्ता न हो." कोर्ट ने आरोपी को तीन महीने की साधारण कैद और 1,000 रुपये के जुर्माने की सजा को बरकरार रखा. साथ ही, मजिस्ट्रेट ने पीड़िता को 3,000 रुपये का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया.
महिला की शिकायत को कोर्ट ने विश्वसनीय माना
कोर्ट ने आरोपी की उस दलील को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पीड़िता का मोबाइल फोन जब्त नहीं किया गया. जज ने कहा कि "कोई भी महिला अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगाकर किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने की कोशिश नहीं करेगी." कोर्ट ने पीड़िता के ज़बानी गवाही को स्वीकार करते हुए आरोपी को दोषी करार दिया और सजा को कायम रखा.
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