उद्धव ठाकरे से मुलाकात पर CM देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान, 'अगर आप दोबारा मेरे पास...'
CM Devendra Fadnavis News: महाराष्ट्र में मानसून सत्र के अंतिम दिन सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कई मुद्दों पर जबाव दिया. कथित हनीट्रैप मामले को लेकर भी सीएम ने तस्वीर साफ की.

महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार (18 जुलाई) को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में कई मुद्दों पर जबाव दिया. उद्धव ठाकरे के साथ हुई मुलाकात पर उन्होंने कहा कि अगर आप दोबारा मेरे पास नहीं आए, तो उन्हें (विरोधियों को) मुद्दा कैसे मिलेगा? सीएम ने कहा कि पहली से बारहवीं तक हिंदी अनिवार्य करने का प्रस्ताव उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री रहते आया था.
उद्धव ठाकरे ने जो संकलन मुझे दिया, उसे मैंने ध्यान से पढ़ा- सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि 'हिंदी सख्ती होनी चाहिए' ऐसा शीर्षक वाला पुस्तक मेरे पास प्राप्त हुआ है. उद्धव ठाकरे ने जो संकलन मुझे दिया, उसे मैंने ध्यान से पढ़ा है. उस रिपोर्ट का इतिवृत्त (सारांश) उन्होंने स्वीकार किया था. शासन निर्णय उसी का प्रतिफल होता है. रिपोर्ट स्वीकार करना और उसे मान्य करना — यही इस कटिंग (अखबार की कतरन) में स्पष्ट दिखता है.
गुरुवार को बेटे आदित्य के साथ सीएम से मिले थे उद्धव
बता दें कि गुरुवार (17 जुलाई) को शिवसेना यूबीटी के चीफ उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे और पार्टी विधायकों के साथ सीएम देवेंद्र फडणवीस से मिले थे. सीएम ने हंसी-मजाक के लहजे में बुधवार (16 जुलाई) को उद्धव ठाकरे को साथ आने का ऑफर दे दिया था. सीएम के इस बयान की महाराष्ट्र में सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी.
हनीट्रैप का कोई मामला सामने नहीं आया- सीएम
इसके साथ ही विधानसभा में सीएम फडणवीस ने साफ किया कि हनीट्रैप का कोई मामला सामने आया नहीं है. उन्होंने कहा कि कल से हनीट्रैप का शोर मचाया जा रहा है. नाना भाऊ (नाना पटोले) तो मानो बम लेकर आए थे लेकिन वह बम हमारे तक पहुंचा ही नहीं.
सीएम ने कहा कि न कोई ऐसी घटना हुई और न कोई सबूत हैं. उन्होंने कहा कि नासिक में एक शिकायत जरूर आई थी जिसमें एक महिला ने उपजिलाधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन बाद में वह भी वापस ले ली. जिस होटल मालिक का इस मामले में जिक्र किया जा रहा है, वह कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष है, वह चुनाव भी लड़ चुके हैं.
नाना भाऊ को ठोस सबूत लेकर आना चाहिए- सीएम
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसलिए नाना भाऊ का सभागृह छोड़ देना सही नहीं है. ठोस सबूत लेकर आना चाहिए और फिर सत्तारूढ़ पक्ष की बोलती बंद कर देनी चाहिए.
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Source: IOCL