MP News: जेठ बने सहारा! बहू का पुनर्विवाह कर रिश्तों की मर्यादा को नई परिभाषा देता सीहोर का परिवार
Sehore News: सीहोर के राठौर परिवार ने दिवंगत बेटे की पत्नी का पुनर्विवाह कराकर इंसानियत और रिश्तों की मिसाल पेश की. भाइयों ने सभी रस्में निभाकर बहू को नई जिंदगी की शुरुआत दिलाई.

मध्य प्रदेश में रिश्तों की एक ऐसी पहल देखने को मिली जो आज के जमाने में शायद ही देखी या सुनी जाए. सीहोर जिले में राठौर परिवार ने दिवंगत छोटे बेटे की पत्नी का पुनर्विवाह कराकर इंसानियत और रिश्तों की मर्यादा की अनोखी मिसाल पेश की है.
गंज निवासी सुरेंद्र राठौर और नकुल राठौर ने न केवल सामाजिक रूढ़ियों को पीछे छोड़कर आगे कदम बढ़ाया, बल्कि बहू को नई जिंदगी देने की जिम्मेदारी भी पूरी संवेदनशीलता के साथ निभाई. यह कदम समाज के लिए एक प्रेरक उदाहरण बन गया है.
कैसे निभाया फर्ज?
घटना सागर निवासी प्रतिभा राठौर से जुड़ी है. करीब नौ महीने पहले ही उनका विवाह रजत राठौर से हुआ था, लेकिन अचानक हार्ट अटैक से रजत का निधन हो गया. कम उम्र में विधवा हुई प्रतिभा के सामने भविष्य का संकट खड़ा था. ऐसे समय में परिवार ने उसे अकेला छोड़ने के बजाय उसका हाथ थामकर नई शुरुआत दिलाने का निर्णय लिया.
परिवार की पहल
बड़े भाइयों सुरेंद्र और नकुल ने पुनर्विवाह की जिम्मेदारी ली. विवाह की सभी धार्मिक और सामाजिक रस्में स्वयं निभाईं. ससुराल पक्ष ने कन्यादान कर बहू को बेटी की तरह विदा किया और गृहस्थी का पूरा सामान उपहारस्वरूप दिया गया.
ससुराल पक्ष ने बातचीत में कहा, “रजत के गुजरने के बाद प्रतिभा के भविष्य की चिंता हमें सबसे ज्यादा सताती थी. हमने तय किया कि वह जीवन में आगे बढ़ने का पूरा अधिकार रखती है. उसका पुनर्विवाह कराना हमारे लिए एक जिम्मेदारी थी. आज मन को सुकून है कि हमने सही निर्णय लिया. हमें विश्वास है कि यह पहल समाज के लिए सकारात्मक संदेश बनेगी.”
सोच बदलने वाली मिसाल
यह आयोजन मात्र पुनर्विवाह नहीं, बल्कि सोच में बदलाव की शुरुआत है. समाज जहां अक्सर विधवा महिलाओं को अकेलेपन की ओर धकेल देता है, वहीं राठौर परिवार ने यह दिखा दिया कि संवेदना, कर्तव्य और इंसानियत ही रिश्तों की सच्ची नींव होते हैं. यह पहल उन तमाम परिवारों के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक दबाव के कारण सही निर्णय लेने से हिचकते हैं.
धर्मेंद्र यादव की रिपोर्ट.
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