MP Election 2023: महाकोशल की 38 सीटों के लिए PM मोदी और प्रियंका गांधी झुलसाती धूप में बहाएंगे पसीना,जून में दोनों आएंगे इस शहर
MP Politics: मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी पांच इलाकों में बंटी है.प्रदेश को भौगोलिक रूप से महाकोशल,ग्वालियर-चंबल,मध्य भारत,निमाड़-मालवा,विंध्य और बुंदेलखंड में बांटा गया है.
Jabalpur News: मध्य प्रदेश में जून की झुलसाती और उमस भरी गर्मी में राजनीति का पारा भी उछाल मारने वाला है. इसका मुख्य केंद्र महाकोशल का एपिसेंटर जबलपुर होगा. यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और कांग्रेस (Congress) की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की चुनावी दहाड़ सुनाई देगी. बीजेपी (BJP) और कांग्रेस के बीच महाकोशल की 38 सीटों के बीच रस्साकशी होने वाली है.दोनों ही नेताओं के सामने महाकोशल के आदिवासी नेताओं को अपने पक्ष में करने की बड़ी चुनौती है.
12 जून को नर्मदा पूजन करेंगी प्रियंका
यहां सबसे पहले बताते चलें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस अपने चुनाव अभियान का श्रीगणेश महाकोशल से ही करने जा रही है.पार्टी का सबसे प्रमुख चेहरा प्रियंका गांधी 12 जून को महाकोशल की राजनीति के केंद्र जबलपुर से कांग्रेस के 'मध्य प्रदेश फतह' के मिशन की शुरुआत करेंगी.जबलपुर में गौरीघाट में प्रियंका गांधी नर्मदा आरती के साथ शहीद स्मारक ग्राउंड में आम सभा को संबोधित करेंगी.
योग दिवस के कार्यक्रम में आ सकते हैं पीएम मोदी
इसी तरह राजनीतिक गणित को ध्यान में रखते हुए 9वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का सबसे बड़ा कार्यक्रम जबलपुर शहर में होने जा रहा है.21 जून को आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत करेंगे. हालांकि,अभी प्रधानमंत्री का अंतिम कार्यक्रम जिला प्रशासन को नहीं मिला है, लेकिन उसे प्रधानमंत्री के प्रोटोकॉल के मुताबिक तैयारी करने के निर्देश शासन स्तर से मिले हैं. भारतीय जनता पार्टी की 20 या 21 जून को पीएम मोदी की एक बड़ी पब्लिक रैली महाकोशल या बुंदेलखंड इलाके में कराने की तैयारी है.
महाकौशल के पास है एमपी की सत्ता की चाबी
दरअसल,मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी पांच इलाकों में बंटी है.प्रदेश को भौगोलिक रूप से महाकोशल,ग्वालियर-चंबल,मध्य भारत,निमाड़-मालवा,विंध्य और बुंदेलखंड में बांटा गया है.इन इलाकों में जातीय और सामाजिक समीकरण तो अलग-अलग हैं ही,साथ में दोनों दलों के क्षत्रपों का प्रभाव भी है.इस साल नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव के लिहाज से महाकोशल इलाके में मतदाताओं का ऊंट जिस करवट बैठेगा,सत्ता का रास्ता उस पार्टी के लिए आसान होगा.
बीजेपी-कांग्रेस ने लगाया 38 सीटों का गणित
यहां बता दे कि महाकोशल क्षेत्र में जबलपुर,छिंदवाड़ा,कटनी,सिवनी, नरसिंहपुर,मंडला,डिंडोरी और बालाघाट जिले आते हैं.यहां के परिणाम हमेशा ही चौकाने वाले रहे हैं.2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को महाकोशल इलाके से निराशा हाथ लगी थी.इसकी बड़ी वजह आदिवासियों की नाराजगी मानी गईं थी.हालांकि,कांग्रेस ने कमलनाथ के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया को आगे रखकर चुनाव लड़ा था.लेकिन कमलनाथ महाकौशल का प्रतिनिधित्व करते हैं,इसलिए कांग्रेस ने उनके गृह जिले छिंदवाड़ा की सभी 7 सीटें जीत ली थीं.इसी तरह जबलपुर में भी कांग्रेस को 8 में से 4 सीटें मिली थीं.अब बड़ा सवाल यह है कि क्या 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस ऐसा ही प्रदर्शन कर पाएगी या बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के जून में जबलपुर दौरे को दोनों पार्टियों के 'मिशन महाकौशल' के रूप में है देखा जा रहा है.
माना जा रहा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में महाकोशल की 38 सीटों पर ही सत्ता का दारोमदार रहेगा.यहां 2018 में बीजेपी को मात्र 13 सीट पर ही संतोष करना पड़ा था,जबकि कांग्रेस के खाते में 24 सीटें गई थीं.एक सीट कांग्रेसी विचारधारा के उम्मीदवार ने निर्दलीय चुनाव लड़कर जीती थी. कांग्रेस के लिए यह प्रदर्शन 2013 चुनाव के मुकाबले डबल खुशी देने वाला था.2013 के आंकड़े देखने पर स्पष्ट है कि बीजेपी को महाकोशल इलाके से 24 और कांग्रेस को 13 सीट मिली थीं. एक स्थान पर निर्दलीय को जीत मिली थी.ओवरआल पूरे प्रदेश की बात करें तो 2018 में कांग्रेस ने 114 सीट जीतकर 15 साल बाद सरकार बनाई थी,जबकि बीजेपी 109 सीट जीतकर थोड़े से मार्जिन से सत्ता से बाहर हो गई.
आदिवासी वोटरों को साधना बड़ी चुनौती
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनीष गुप्ता कहते हैं कि मध्य प्रदेश में सत्ता की चाबी उसी पार्टी के पास होगी,जो राज्य के भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण 6 इलाकों में से 3 में अच्छे मार्जिन से जीत हासिल करेगी.इस हिसाब से कांग्रेस को महाकोशल में 2018 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है.यही वजह है कि कांग्रेस आदिवासी बहुल महाकौशल इलाके से ही अपनी सबसे बड़ी लीडर प्रियंका गांधी की पब्लिक रैली और रोड़ शो की शुरुआत कर रही है.वे कहते हैं कि बीजेपी को महाकोशल में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी.यहां का आदिवासी वोटर परंपरागत तौर पर कांग्रेस के साथ रहता है.पिछले चुनाव में आदिवासी वोटरों के बीच अच्छी पैठ ना होने कारण बीजेपी को महाकौशल में बढ़त हासिल नहीं हो सकी थी.इसी वजह से पार्टी डबल इंजन सरकार के पावरफुल इंजन यानी पीएम मोदी को महाकौशल के रण में लाने का फैसला किया है.दबी जुबान यह भी चर्चा है कि आदिवासी वोटरों को बीजेपी के पक्ष में साधने की जिम्मेदारी एक महामहिम ने ले रखी है.इसके लिए वे लागतार आदिवासी इलाकों का दौरा भी कर रहे हैं.
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