'शरीर का वजन भले कम हो, लेकिन...', चर्चा में कैलाश विजयवर्गीय का ये बयान
Indore News: इंदौर मे फिजिकल फिटनेस और अपने वजन कम होने के सवाल पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, 'शरीर का वजन भले कम हो जाए, लेकिन राजनीतिक वजन कम नहीं होना चाहिए.'
Madhya Pradesh News: अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर बेहद दिलचस्प बयान दिया है. कैलाश विजयवर्गीय शनिवार (5 अक्तूबर) को इंदौर में कोल इंडिया मैराथन की औपचारिक घोषणा के लिए पहुंचे. यहां विजयवर्गीय ने हरियाणा और जम्मू कश्मीर में बीजेपी की सरकार बनने का दावा किया.
इस दौरान उन्होंने अपनी फिजिकल फिटनेस और वजन कम होने के सवाल पर कहा, "शरीर का वजन भले कम हो जाए, लेकिन राजनीतिक वजन कम नहीं होना चाहिए." ऐसे में अब विजयवर्गीय के इस बयान के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. बता दें कैलाश विजयवर्गीय भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली हैं.
चाहे वह नगर निगम की राजनीति हो या राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति हो, उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और रणनीति से एक मजबूत छवि बनाई है. हालांकि, विजयवर्गीय ने यह बात मजाकिया लहजे में कही, लेकिन इसके पीछे की गंभीरता को नकारा नहीं जा सकता है. यह किसी से छिपा नहीं है कि राजनीति में "वजन" का मतलब किसी नेता की विश्वसनीयता, समर्थकों की संख्या और उसके फैसला लेने की क्षमता से होता है.
कैलाश विजयवर्गीय के बयान का क्या मतलब?
कैलाश विजयवर्गीय की राजनीति में भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है. उन्होंने अपनी शुरुआती राजनीतिक यात्रा इंदौर से शुरू की, जहां वे एक नगरपालिका पार्षद बने. इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे राज्य और फिर राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी धाक जमाई. उनका 'राजनीतिक वजन' इस बात से भी स्पष्ट होता है कि वे राष्ट्रीय महासचिव के रूप में पार्टी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को निभा चुके हैं.
विजयवर्गीय की राजनीतिक समझ और संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें बीजेपी के भीतर एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है. अगर इंदौर की राजनीति की बात करें तो यहां विजयवर्गीय का खासा प्रभाव रहा है. उन्होंने शहर के विकास में भी अहम भूमिका निभाई है, खासकर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शामिल करने में उनकी अहम भूमिका रही है.
कैलाश विजयवर्गीय अपने सादगीपूर्ण व्यक्तित्व और हंसी-मजाक के अंदाज़ के लिए भी जाने जाते हैं. उनका यह बयान भी उनके इसी स्वभाव का एक उदाहरण है. हालांकि, इस बयान का राजनीतिक संदेश काफी गहरा है. वे अपने समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देना चाहते थे कि भले ही उम्र और शारीरिक बदलाव हो, लेकिन राजनीति में उनका अनुभव और नेतृत्व का वजन बरकरार रहेगा.