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Jharkhand: गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को दी बधाई, बोले 'माओवादियों के खिलाफ और तेज होगी लड़ाई'
Ranchi News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को बधाई दी है. उन्होंने बूढ़ा पहाड़ में झारखंड पुलिस और CRPF की तरफ से नक्सलियों के खिलाफ पिछले दिनों चलाए गए अभियान पर खुशी जताई है.
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Amit Shah Congratulates Security Forces: झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों (Naxalites) के सुरक्षित पनाहगाह के रूप में जाना जाता था. लेकिन, अब बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त करा लिया गया है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के नेतृत्व में सुरक्षाबलों की संयुक्त टीम की तरफ से चलाए गए नक्सल विरोधी अभियान के दौरान विस्फोटकों और हथियारों का जखीरा मिला है. सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल की मानें तो अब झारखंड (Jharkhand) में ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां फोर्स नहीं पहुंच सकती.
'सुरक्षाबलों को बधाई'
इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षाबलों को बधाई दी है. उन्होंने बूढ़ा पहाड़ में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ की तरफ से नक्सलियों के खिलाफ पिछले दिनों चलाए गए अभियान पर खुशी जताई है. गृह मंत्री ने ट्विटर पर इसके लिए झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ के अलावा दूसरे राज्यों में भी आतंकवादियों, नक्सलियों, माओवादियों के खिलाफ विशेष अभियान में मिली सफलता का क्रेडिट स्थानीय पुलिस को दिया है.
टपार हुआ है ऐतिहासिक पड़ाव'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि, ''देश की आंतरिक सुरक्षा में एक ऐतिहासिक पड़ाव पार हुआ है. पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देशभर में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही निर्णायक लड़ाई में सुरक्षाबलों ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है. इसके लिए CRPF, सुरक्षा एजेंसियों और राज्य पुलिसबलों को बधाई देता हूं.''
देश की आंतरिक सुरक्षा में एक ऐतिहासिक पड़ाव पार हुआ है।
— Amit Shah (@AmitShah) September 21, 2022
पीएम @narendramodi जी के नेतृत्व में देशभर में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही निर्णायक लड़ाई में सुरक्षाबलों ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।
इसके लिए @crpfindia, सुरक्षा एजेंसियों व राज्य पुलिसबलों को बधाई देता हूँ।
'आगे और तेज होगी लड़ाई'
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि, ''पहली बार बूढा पहाड़, चक्रबंधा व भीमबांध के दुर्गम क्षेत्रों से माओवादियों को सफलतापूर्वक निकालकर सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं. नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आतंकवाद व LWE के विरुद्ध गृह मंत्रालय की जीरो टॉलेरेंस की नीति जारी रहेगी और ये लड़ाई आगे और तेज होगी.''
पहली बार बूढा पहाड़, चक्रबंधा व भीमबांध के दुर्गम क्षेत्रों से माओवादियों को सफलतापूर्वक निकालकर सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं।@narendramodi जी के नेतृत्व में आतंकवाद व LWE के विरुद्ध गृह मंत्रालय की जीरो टॉलेरेंस की नीति जारी रहेगी और ये लड़ाई आगे और तेज होगी।
— Amit Shah (@AmitShah) September 21, 2022
'सुरक्षाबलों को मिली अप्रत्याशित सफलता'
अमित शाह ने कहा कि, ''शीर्ष माओवादियों के गढ़ में महीनों तक चले इन अभियानों में सुरक्षाबलों को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई, जिसमें 14 माओवादियों को मार गिराया गया व 590 से अधिक की गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण हुआ. जिसमें लाखों-करोड़ों के ईनामी माओवादी जैसे मिथिलेश महतो जिसपर ₹1करोड़ का इनाम था पकड़े गए हैं.''
शीर्ष माओवादियों के गढ़ में महीनों तक चले इन अभियानों में सुरक्षा बलों को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई,जिसमें 14माओवादियों को मार गिराया गया व 590 से अधिक की गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण हुआ। जिसमें लाखों-करोड़ों के ईनामी माओवादी जैसे मिथिलेश महतो जिसपर ₹1करोड़ का इनाम था पकड़े गए हैं।
— Amit Shah (@AmitShah) September 21, 2022
बूढ़ा पहाड़ पर लगाए गए स्थाई कैंप
इस बीच बता दें कि, झारखंड में अब ऐसी कोई जगह नहीं बची है, जहां सुरक्षाबल नहीं पहुंच सकते हैं. सीआरपीएफ के डीजी ने बताया कि झारखंड में 3 दशक से नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है. पहली बार हेलीकॉप्टर की मदद से वहां फोर्स भेजी गई है. सुरक्षाबलों के लिए स्थाई कैंप भी लगाए गए हैं. ये तीन अलग-अलग ऑपरेशनों के तहत किया गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े
सीआरपीएफ के मुताबिक अप्रैल 2022 से अब तक 14 नक्सलियों को मार गिराया गया है. इनमें छत्तीसगढ़ में 7 नक्सली, झारखंड में 4 और मध्य प्रदेश में 3 नक्सली ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म के तहत मारे गए हैं. वहीं, कुल 578 माओवादियों ने या तो आत्मसमर्पण किया है या फिर उन्हें गिरफ्तार किया गया है. बिहार में 36, छत्तीसगढ़ में 414, झारखंड में 110 और महाराष्ट्र में 18 नक्सली ने आत्मसमर्पण किया है.
नक्सल प्रभावित जिलों की घटी संख्या
सीआरपीएफ के मुताबिक वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में इस साल 77 फीसदी की कमी आई है. 2009 में नक्सलियों की तरफ से घटित घटनाओं की संख्या 2258 थी, जो पिछले साल में घटकर 509 हो गई है. इस साल जून तक सिर्फ 295 घटनाएं सामने आई हैं. वहीं मृत्यु दर में भी 85 फीसदी तक की कमी आई है. आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 35 थी. वहीं साल 2018 में 30 हो गई थी, जो अब घटकर 25 रह गई है.
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