पहलगाम में जान गंवाने वाले आदिल शाह का जिक्र कर PM मोदी बोले, 'वो भी तो...', भाई ने क्या कहा?
PM Modi Speech: कटरा में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आदिल का जिक्र किया. सैयद आदिल अहमद शाह घोड़े चलाता था. 22 अप्रैल को आतंकियों ने उसे मौत के घाट उतार दिया था.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कटरा में शुक्रवार (6 जून) को अपने संबोधन में सैयद आदिल हुसैन शाह का जिक्र किया. इस पर आदिल के भाई की प्रतिक्रिया सामने आई है. नौशाद हुसैन ने पीएम मोदी की तरफ से भाई का जिक्र सुन खुशी जताई है. बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में लोगों की जान बचाने के दौरान आतंकियों ने आदिल को मौत के घाट उतार दिया था. उसने आतंकियों से हथियार छीनने की कोशिश की थी.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, "आतंकियों को चुनौती देने वाला नौजवान आदिल, वो भी तो वहां मेहनत मजदूरी करने गया. वो अपने परिवार की देखरेख करे इसलिए मेहनत कर रहा था. लेकिन आतंकियों ने उस आदिल को भी मार दिया."
'उम्मीद है धीरे-धीरे टूरिज्म बढ़ेगा'
आदिल के भाई नौशाद हुसैन ने कहा, "हमने देखा कि नरेंद्र मोदी जी ने अपनी स्पीच में आदिल साहब का जिक्र किया, हमारे भाई का नाम लिया तो हम बहुत खुश हुए. मैं अपनी तरफ से अपने परिवार की तरफ से उनका शुक्रिया अदा करता हूं. नरेंद्र मोदी जी ने टूरिज्म का भी जिक्र किया तो हमें उम्मीद है कि धीरे-धीरे टूरिज्म फिर से स्टार्ट होगा और बढ़ेगा."
VIDEO | On PM Modi mentioning pony operator Syed Adil Hussain Shah in his speech in J-K, his brother Naushad Hussain says, "In his speech, PM Modi spoke about my brother. This made me extremely happy. I would like to thank him on behalf of our family. PM Modi also spoke about… pic.twitter.com/AJElavyz4b
— Press Trust of India (@PTI_News) June 6, 2025
कौन थे आदिल अहमद शाह?
कश्मीरी मुस्लिम आदिल शाह पहलगाम में टट्टू चलाते थे. वो पर्यटकों को घोड़े से बैसरन घाटी तक ले जाते-लाते थे. इसी से उनके घर का खर्च चलता था. 29 साल के आदिल अपने घर में इकलौते कमाने वाले थे और उनके पास अपना घोड़ा भी नहीं था. वे एक टट्टू मालिक के लिए बहुत कम पैसे पर काम करते थे और एक दिन में 400 से 500 रुपये कमाते थे. आतंकी हमले के दौरान वो वहीं मौजूद थे और लोगों की बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी. आदिल के जनाजे में जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला भी शामिल हुए थे और उनकी कब्र पर जाकर फातिहा पढ़ा था.
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Source: IOCL























