जम्मू-कश्मीर: न्यूज पोर्टल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग, स्पीकर ने क्या कहा?
Jammu Kashmir News: करनाह के विधायक जावेद मिरचल ने बदनाम करने का आरोप लगाते हुए एक न्यूज पोर्टल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. वहीं डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी ने भी गलत रिपोर्टिंग पर चिंता जताई.

जम्मू कश्मीर विधानसभा में शुक्रवार (31 अक्टूबर) को कई सदस्यों ने विधायकों के बारे में झूठा और गलत कंटेंट फैलाने के लिए मीडिया क्रेडेंशियल्स और सोशल मीडिया ऐप्स के कथित गलत इस्तेमाल का मुद्दा उठाया. विधायकों ने कंटेंट बनाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करने की मांग की, वहीं स्पीकर ने विधायकों और सदन को बदनाम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया.
यह मामला सदन शुरू होते ही सामने आया और सत्ताधारी नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक विधायक ने जम्मू-कश्मीर असेंबली में एक न्यूज पोर्टल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिसने सेशन के दौरान सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हुए उनका एक वीडियो सर्कुलेट किया था.
न्यूज पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई की मांग
जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, करनाह के विधायक जावेद मिरचल ने उन्हें बदनाम करने के लिए न्यूज पोर्टल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. मिरचल ने कहा, "जब मैं डॉक्टरों के बारे में सवाल पूछ रहा था, तो मैंने कुछ सेकंड के लिए फेसबुक खोला था. उसी पल का एक वीडियो गलत कमेंट्स के साथ सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया गया है."
उन्होंने आगे कहा, ''ऑनलाइन उत्पीड़न के कारण वह पूरी रात सो नहीं पाए और इन पेड एजेंट्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इस मामले में दखल देते हुए, NC के नजीर गुरेजी ने दावा किया कि मिरचल असल में असेंबली सेक्रेटेरिएट द्वारा भेजे गए बिज़नेस डॉक्यूमेंट्स देख रहे थे.
स्पीकर ने NC विधायकों को दिया भरोसा
गुरेजी ने कहा, "उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग उन पर अपने क्षेत्र से जुड़े मुद्दे उठाने के बजाय असेंबली में सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करने का आरोप लगा रहे हैं." उन्होंने आगे कहा कि वे गलत पोर्टल के खिलाफ विशेषाधिकार प्रस्ताव ला रहे हैं.'' स्पीकर ने विरोध कर रहे NC विधायकों को आश्वासन दिया कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी और मामले की जांच असेंबली सेक्रेटेरिएट के सचिव करेंगे.
डिप्टी सीएम ने गलत रिपोर्टिंग पर जताई चिंता
हालांकि बात यहीं खत्म नहीं हुई, क्योंकि कई अन्य सदस्यों ने भी सोशल मीडिया हैंडल्स और वेब और सोशल मीडिया आधारित न्यूज पोर्टल्स के बारे में इसी तरह की चिंताएं जताईं. डिप्टी सीएम सुरिंदर चौधरी और कांग्रेस विधायक निजामुद्दीन भट्ट ने सदन में मीडिया द्वारा मर्यादा बनाए रखने और अनुशासन के साथ रिपोर्टिंग करने की आवश्यकता पर जोर दिया, और गलत रिपोर्टिंग की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की.
हमारे बयानों को गलत तरीके से पेश किया- सुरिंदर चौधरी
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने स्वास्थ्य मंत्री सकीना इट्टू की एक तस्वीर से सोशल मीडिया यूज़र्स और पोर्टल्स द्वारा बनाए गए वायरल मीम के बारे में शिकायत की, जिसमें बहुत ही अपमानजनक कमेंट्री थी. उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले, मंत्री सकीना इटू के साथ बातचीत के दौरान, मीडिया वालों ने हमारे बयानों को गलत तरीके से पेश किया.''
हम सभी इज्जतदार MLA हैं- सुरिंदर चौधरी
चौधरी ने आगे कहा, ''हम सभी इज्ज़तदार MLA हैं, लेकिन मैं रिक्वेस्ट करता हूं कि गलत रिपोर्टिंग करने वालों को अगले नोटिस तक कार्यवाही कवर करने से रोक दिया जाए.'' उन्होंने यह भी जोड़ा कि सकीना उनकी राखी बहन हैं और अगर वह नहीं भी होतीं तो भी ऐसे कामों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता.
निजामुद्दीन भट्ट ने क्या कहा?
निजामुद्दीन भट्ट ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के तौर पर मीडिया की भूमिका की तारीफ करते हुए भी मीडिया की बेहिसाब बढ़ोतरी और सरकारी मीडिया डिपार्टमेंट द्वारा ऐसे अनरजिस्टर्ड मीडिया वालों को बिना रोक-टोक के एक्सेस और सपोर्ट देने की आलोचना की. निजामुद्दीन ने आगे कहा, “मैं सूचना निदेशक से रिक्वेस्ट करता हूं कि वे मीडिया वालों को सख्ती से मान्यता दें, क्योंकि आजकल जिसके पास भी माइक्रोफोन या फोन होता है, वह खुद को मीडिया वाला कहने लगता है.”
पिछले पांच सालों में जम्मू और कश्मीर में मीडिया हाउस और न्यूज़पोर्टल में बेहिसाब बढ़ोतरी देखी गई है और उनमें से ज़्यादातर बिना किसी नियम के काम कर रहे हैं क्योंकि ऐसे पोर्टल के रजिस्ट्रेशन के लिए कोई मीडिया पॉलिसी नहीं है. उनमें से ज्यादातर फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम करते हैं और मौजूदा नियमों के तहत उन्हें रेगुलेट नहीं किया जा सकता जो सिर्फ अखबारों और सैटेलाइट आधारित चैनलों के लिए बनाए गए हैं.
एक अखबार के एडिटर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "आज सदस्यों को कुछ अनरेगुलेटेड मीडिया चैनलों द्वारा गलत रिपोर्टिंग और गलत बातें फैलाने से परेशानी हुई, लेकिन सच तो यह है कि ज्यादातर मामलों में उन्हें सत्ता में बैठे लोग ही सपोर्ट करते हैं. इसका खामियाजा मेनस्ट्रीम मीडिया को भुगतना पड़ता है."
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Source: IOCL























