हिमाचल में मानसून सत्र का आगाज, पूर्व विधायक गणेश दत्त भरवाल को दी गई श्रद्धांजलि
Himachal Assembly Monsoon Session: हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र में पूर्व विधायक गणेश दत्त भरवाल के निधन पर शोक व्यक्त किया गया. CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उनके समाज सेवा में योगदान को सराहा.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र की पहली बैठक में सोमवार को सदन में पूर्व विधायक गणेश दत्त भरवाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि गणेश दत्त भरवाल का 20 जुलाई 2025 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
उनका जन्म 6 फरवरी 1946 को जिला ऊना के अंब क्षेत्र में हुआ था. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1970 में युवा कांग्रेस के सक्रिय सदस्य के रूप में की. 1978 में वह ग्राम पंचायत सदस्य बने और 1981 में जिला कांग्रेस समिति के सदस्य और 1985 में उन्हें पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित किया गया.
ईश्वर से की प्रार्थना
मुख्यमंत्री ने कहा कि गणेश दत्त भरवाल समाज सेवा के लिए सदैव समर्पित रहे और उन्होंने विशेष रूप से पिछड़े वर्ग की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया. उनके निधन को समाज के लिए बड़ी क्षति बताते हुए उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिवार को दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विपक्ष की ओर से शोक प्रस्ताव में भाग लेते हुए कहा कि गणेश दत्त भरवाल ने प्री-यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के बाद राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया और युवा कांग्रेस से लेकर विधायक बनने तक का सफर तय किया. उन्होंने कहा कि गणेश दत्त भरवाल का अपने विधानसभा क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों के विकास में अहम योगदान रहा है.
जयराम ठाकुर ने दिवंगत आत्माओं को की श्रद्धांजलि अर्पित
इसी दौरान जयराम ठाकुर ने प्रदेश में मानसून की भारी वर्षा से हुए जानमाल के नुकसान का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में आपदा के कारण मृतकों की संख्या 200 से अधिक हो चुकी है, जिनमें से सबसे अधिक 31 मौतें उनके निर्वाचन क्षेत्र सराज से हुई हैं. उन्होंने इन सभी दिवंगत आत्माओं को भी श्रद्धांजलि अर्पित की.
मंत्री चंद्र कुमार ने भी गणेश दत्त भरवाल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वे मधुरभाषी, ईमानदार और निष्ठावान राजनेता थे. उन्होंने हमेशा कांग्रेस पार्टी में रहते हुए जनता की सेवा की और कभी भी पार्टी न बदली. वह पिछड़ा वर्ग की समस्याओं को मजबूती से उठाते रहे.
चिंतपूर्णी के विधायक सुदर्शन बबलू ने कहा कि गणेश दत्त का 1985 से 1990 तक का विधायक कार्यकाल चिंतपूर्णी हल्के में विकास के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने क्षेत्र की आवाज को सदन में मजबूती से उठाया.
विधायक राकेश कालिया ने भी शोक प्रस्ताव में भाग लेते हुए बताया कि उन्हें गणेश दत्त के साथ निकटता से काम करने का अवसर मिला और उन्होंने हमेशा समाज के पिछड़े वर्ग के लिए काम किया. उन्होंने भी आपदा में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की.
विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि गणेश दत्त एक साधारण परिवार से उठकर विधानसभा सदस्य बने और उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों को सहारा दिया. विधायक विवेक शर्मा ने कहा कि उनके पिता भी विधायक थे और उनके गणेश दत्त के साथ अच्छे संबंध थे. गणेश दत्त का 79 वर्ष की उम्र तक समाजसेवा में सक्रिय रहना एक मिसाल है.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दोबारा स्पीकर से आग्रह किया कि प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण जान गंवाने वाले सभी लोगों को भी इस शोक प्रस्ताव में शामिल किया जाए.
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने भी गणेश दत्त भरवाल को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने 1970 में युवा कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की, 1981 में जिला कांग्रेस समिति के सदस्य बने और 1985 में विधायक निर्वाचित हुए. स्पीकर ने कहा कि वह स्वयं भी उस समय विधायक थे और गणेश दत्त के साथ अच्छे संबंध थे. उन्होंने कहा कि प्रदेश इस समय मानसून की भारी मार झेल रहा है, जिसमें कई लोगों की जान गई है और सरकार ने हर संभव राहत प्रयास किए हैं. उन्होंने सभी दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की.
मॉनसून सत्र में आपदा से तबाही पर चर्चा
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया है. विधानसभा के पूर्व सदस्य गणेश दत्त भरवाला की मृत्यु पर शोक प्रकट करने के बाद विपक्ष ने नियम- 67 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा मांगी. विपक्षी भाजपा ने हिमाचल में आई हालिया मानसूनी आपदा से हुई तबाही पर नियम 67 के तहत चर्चा की मांग कर रही थी.
इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि नियम- 102 के तहत इसी विषय पर सरकारी संकल्प शामिल किया जाना है और दोनों का विषय एक ही है. ऐसे में नियम- 102 के तहत चर्चा होगी. लेकिन विपक्षी भाजपा स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग पर अड़ी रही. हल्की नोकझोंक के बाद सत्ता पक्ष ने विपक्ष की मांग मानते हुए नियम 67 के तहत आपदा पर चर्चा के लिए सहमति दी. मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्पष्ट किया कि सरकार इस गंभीर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है.
सब मलबे में हो चुके थे तब्दील
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि हिमाचल लगातार हर साल भारी आपदाओं का सामना कर रहा है. वर्ष 2023 और 2024 में भयंकर तबाही हुई और इस बार 2025 में तो नुकसान का आगाज प्री-मानसून से ही हो गया. उन्होंने कहा कि इस बार की आपदा ने लोगों की जिंदगी को हिला कर रख दिया. 30 जून की रात भारी बारिश ने जबरदस्त तबाही मचाई. कई लोग रात को अपने घरों में चैन की नींद सोए थे, लेकिन सुबह उठते ही उनके घर, खेत और बागीचे सब मलबे में तब्दील हो चुके थे.
जयराम ठाकुर ने बताया कि मंडी जिला, विशेषकर सराज विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. एक ही रात में 42 लोगों की मौत हुई, जिसमें से 29 लोग उनके हल्के के थे और यह संख्या अब बढ़कर 31 हो गई है. नाचन में 9 और करसोग में 3 लोगों की मौत हुई, जबकि कुल्लू, चंबा, किन्नौर और उना जिलों में भी तबाही दर्ज हुई. कई घर जमींदोज हो गए, सड़कें, बिजली और पेयजल योजनाएं पूरी तरह से ठप हो गईं. उन्होंने कहा कि सराज क्षेत्र में आज भी 500 से ज्यादा परिवार किराए के मकानों, सरायों और रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इस बार की आपदा अलग किस्म की थी, क्योंकि पहाड़ 12 से 13 हजार फीट की ऊंचाई से दरके और जहां न तो कोई सड़क थी, न डंपिंग साइट और न कोई निर्माण कार्य. उन्होंने सरकार पर राहत कार्यों में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया और कहा कि लोक निर्माण विभाग को सराज में 500 करोड़ का नुकसान हुआ, लेकिन सरकार ने मात्र 2 करोड़ की सहायता दी है. उन्होंने सरकार से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को प्राथमिकता देने की मांग की.
इस पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि जैसे ही आपदा की जानकारी मिली, वे स्वयं मौके पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि 30 जून को नुकसान का पता चलते ही मैं अगले दिन धर्मपुर गया और फिर को हेलीकॉप्टर से सराज में राशन डलवाया. वहां पहुंचने वाला पहला व्यक्ति मुख्यमंत्री था. इसके बाद एसपी, डीसी की अगुवाई में राहत व बचाव टीमें सक्रिय रहीं. एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें हमारे आग्रह पर प्रभावित इलाकों में आईं. मंत्रियों ने भी प्रभावित इलाकों का दौरा किया. हमने राहत और बचाव में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ी.
राहत व बचाव कार्यों को दी प्राथमिकता
उन्होंने आगे बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे कि विपक्ष के नेता से भी लगातार संपर्क बनाए रखें और उन्हें हेलीकॉप्टर सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए. सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार ने हर संभव मदद पहुंचाई और किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं बरती. उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्षी नेता केवल अपने हल्के में सक्रिय रहे, जबकि सरकार ने पूरे प्रदेश में प्रभावित क्षेत्रों में राहत व बचाव कार्यों को प्राथमिकता दी.
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