Haryana: डिजिटल अरेस्ट पीड़ित बनकर थाना पहुंचे हरियाणा के DGP, अंदर पहुंचते ही जो हुआ... सब हैरान
Haryana: हरियाणा DGP ओ.पी. सिंह ने गुरुग्राम साइबर थाने में खुद को “डिजिटल अरेस्ट” पीड़ित बनाकर निरीक्षण किया. छोटी बैंक राशि की फ्रीजिंग पर लोक अदालत के जरिए त्वरित राहत का स्पष्ट निर्देश दिया गया.

हरियाणा के DGP ओ.पी. सिंह ने 1 दिसंबर 2025 को गुरुग्राम के थाना साइबर अपराध पूर्व का औचक निरीक्षण किया, जहां उन्होंने खुद को एक “डिजिटल अरेस्ट” पीड़ित की भूमिका में रखकर पुलिस की प्रतिक्रिया प्रक्रिया, सहायता व्यवस्था और तकनीकी क्षमता की जांच की.
यह निरीक्षण साइबर अपराध रोकथाम, पीड़ितों को त्वरित राहत और बैंकों की जिम्मेदारी तय करने के उद्देश्य से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. DGP ने स्पष्ट किया कि साइबर अपराधों से निपटने के लिए हरियाणा पुलिस अब और अधिक आक्रामक, रणनीतिक और नवाचारी दृष्टिकोण अपनाएगी.
साइबर अपराध नियंत्रण को लेकर बड़े निर्णय
निरीक्षण के दौरान DGP ने अधिकारियों को साइबर शिकायतों पर तेज कार्रवाई और छोटे आर्थिक नुकसान की तत्काल रिकवरी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि छोटी राशि की बैंक फ्रीज़िंग के मामलों में लोक अदालत को शामिल कर पीड़ितों को जल्दी आर्थिक राहत दी जाएगी.
उन्होंने बताया कि बैंक की लापरवाही साबित होने पर वित्तीय नुकसान की भरपाई बैंक को करनी होगी. शिकायतों के निपटारे में देरी करने वाले मामलों की सख्ती से समीक्षा होगी. हर शिकायत दर्ज करने के साथ पीड़ित को ट्रैकिंग स्टेटस और सपोर्ट उपलब्ध कराया जाएगा.
उन्होंने कहा कि “हरियाणा पुलिस का लक्ष्य साइबर ठगी को मुश्किल बनाना और पुलिस प्रक्रिया को नागरिक-सहायक बनाना है.” निरीक्षण के दौरान उन्होंने थाने के रिस्पॉन्स सिस्टम, डेटा हैंडलिंग और फॉलो-अप संरचना की भी गहन जांच की.
जब मैं साइबर थाना, #गुरुग्राम #DigitalArrest का मुक़दमा दर्ज कराने निजी कार से पहुँचा।
— OP Singh, DGP, Haryana (@opsinghips) December 1, 2025
गेट के सिपाही ने नहीं पहचाना।
जब मैंने कहा कि मुक़दमा दर्ज कराना है तो बोला कि ड्यूटी ऑफिसर सेकंड फ्लोर पर कमरा नंबर 24 में है। वहाँ वो एक शिकायतकर्ता के काम में लगा था।
थोड़ी देर सीपी,… pic.twitter.com/Xl13eD4kDk
साइबर ठगी से सावधान रहने की अपील
DGP ओ.पी. सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अधिकतर साइबर अपराध लोगों के मन में लालच या डर पैदा करके किए जाते हैं, इसलिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि कोई व्यक्ति कमाई, पुरस्कार, सरकारी आदेश, पुलिस कार्रवाई या किसी भी तरह के दबाव के नाम पर पैसे भेजने को कहे, तो समझ लें कि ठगी हो रही है.
संदिग्ध कॉल, लिंक, वेबसाइट या ऐप खुले तो तुरंत सावधान हो जाएं. किसी भी भुगतान से पहले पुष्टि करें और अनजान स्रोत से आए संदेशों पर विश्वास न करें. साइबर अपराध का सामना करते ही हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं. DGP ने नागरिकों को चेतावनी दी कि डिजिटल युग में धोखेबाज लगातार नए तरीके अपना रहे हैं, इसलिए जागरूकता के बिना सुरक्षा संभव नहीं है.
स्कूल-कॉलेजों में “साइबर जागरूकता एंबेसडर” की तैयारी
हरियाणा पुलिस राज्य में साइबर सुरक्षा को जन आंदोलन बनाने की योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत स्कूल और कॉलेजों में “साइबर जागरूकता एंबेसडर” तैयार किए जा रहे हैं. इन छात्रों की भूमिका घर-घर, समाज और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा संदेश फैलाने की होगी.
युवाओं को साइबर अपराध पहचानने और रोकने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा. सोशल मीडिया पर जागरूकता अभियान को व्यापक रूप से चलाया जाएगा. पुलिस, शैक्षणिक संस्थानों और नागरिकों के बीच साझेदारी मजबूत की जाएगी.
DGP ने आश्वस्त किया कि हरियाणा पुलिस पीड़ितों को न्याय देने, तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने और पूरे प्रदेश में डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास जारी रखेगी. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई में पुलिस की कार्रवाई के साथ-साथ जनता की सतर्कता भी समान रूप से आवश्यक है.
Source: IOCL





















