दिल्ली में कचरा प्रबंधन की नई इबारत, 15 मीट्रिक टन गीला कचरा ऑन-साइट प्रोसेस, प्रोजेक्ट SORT का असर
Project SORT: एनडीएमसी के प्रोजेक्ट सॉर्ट से नई दिल्ली में कचरा प्रबंधन को नई दिशा मिली है. 15 मीट्रिक टन से अधिक गीले कचरे का ऑन-साइट प्रोसेस कर जैविक खाद तैयार की जा रही है.

नई दिल्ली को स्वच्छ, हरित और टिकाऊ शहर बनाने की दिशा में नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने एक और ठोस कदम बढ़ाया है. अध्यक्ष केशव चंद्रा के नेतृत्व में पालिका परिषद ने ‘प्रोजेक्ट सॉर्ट’ के जरिए कचरे के प्रबंधन को सिर्फ प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक नागरिक आंदोलन बनाने की पहल की है. इस मॉडल में जागरूकता, तकनीक और सामुदायिक भागीदारी—तीनों का प्रभावी संगम देखने को मिल रहा है.
साझेदारी और टेक्नोलॉजी का मेल
सतत और विकेंद्रीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के अपने संकल्प के तहत एनडीएमसी, इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (आईपीसीए) के सहयोग से अपने पूरे क्षेत्र में प्रोजेक्ट सॉर्ट को लागू कर रही है. यह मदरसन ग्रुप की कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) पहल है, जिसे स्वर्ण लता मदरसन ट्रस्ट (SLMTT) का सहयोग प्राप्त है. इस परियोजना को आवासीय सोसायटियों, शैक्षणिक एवं संस्थागत परिसरों, व्यावसायिक बाजारों और सामुदायिक कचरा प्रसंस्करण केंद्रों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है.
स्रोत पर कचरे का प्रबंधन और जागरूकता
प्रोजेक्ट सॉर्ट का फोकस गीले कचरे के विकेंद्रीकृत प्रसंस्करण और स्रोत स्थल पर ही कचरे के पृथक्करण को मजबूत करने पर है. इसके लिए सिर्फ मशीनें नहीं लगाई गईं, बल्कि लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने पर भी खास जोर दिया गया. जागरूकता अभियानों और हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग सेशन के जरिए रेजिडेंट्स, संस्थानों, हाउसकीपिंग स्टाफ और वेस्ट वर्कर्स को इस प्रक्रिया का सक्रिय हिस्सा बनाया गया है.
भविष्य के लिए मॉडल और प्रभाव
इस पहल के तहत गोल्फ लिंक, काका नगर, सरदार पटेल विद्यालय, सेंट थॉमस स्कूल, वाईडब्ल्यूसीए, लेडी इरविन कॉलेज, पीएसओआई क्लब, दिल्ली हाट (आईएनए), सांगली मेस और सेंट्रल पार्क जैसे प्रमुख स्थानों पर विकेंद्रीकृत कम्पोस्टिंग एरोबिन लगाए गए हैं. कुल 13 जगहों पर 85 कम्पोस्टर स्थापित किए गए हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता 34,000 किलोग्राम गीले कचरे के प्रबंधन की है. इन एरोबिन्स की मदद से अब तक 15 मीट्रिक टन से अधिक गीले कचरे को वहीं पर प्रोसेस कर पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद में बदला जा चुका है. यह खाद न केवल एनडीएमसी के उद्यानों में इस्तेमाल हो रही है, बल्कि स्थानीय लोग भी इसे बागवानी के लिए अपना रहे हैं, जो इस मॉडल की व्यावहारिक सफलता को दर्शाता है.
लोगों और संस्थानों की सकारात्मक प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर एनडीएमसी और आईपीसीए ने चालू वित्तीय वर्ष में इस मॉडल के तहत पांच और सोसायटियों एवं संस्थानों को जोड़ने की योजना बनाई है. साथ ही सेंट्रल पार्क और सांगली मेस में मौजूदा सामुदायिक कम्पोस्टिंग सुविधाओं की क्षमता बढ़ाने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है, ताकि ज्यादा मात्रा में अलग किए गए गीले कचरे का प्रबंधन किया जा सके.
एनडीएमसी, स्वर्ण लता मदरसन ट्रस्ट, आईपीसीए और स्थानीय स्टेकहोल्डर्स की साझा कोशिशों का असर साफ नजर आने लगा है. स्रोत पर कचरे के पृथक्करण में सुधार, गीले कचरे का प्रभावी ऑन-साइट प्रसंस्करण और इन-हाउस स्टाफ एवं वेस्ट वर्कर्स द्वारा निरंतर संचालन, इन सभी से कचरे के परिवहन पर होने वाला खर्च घटा है और स्थानीय स्तर पर सफाई व्यवस्था बेहतर हुई है. प्रोजेक्ट सॉर्ट से मिले ऑन-ग्राउंड अनुभव यह साबित करते हैं कि नागरिक जागरूकता, संस्थागत स्वामित्व की भावना और सही बुनियादी ढांचा ये तीनों मिलकर ही लंबे समय तक चलने वाले कचरा प्रबंधन समाधान दे सकते हैं. विकेंद्रीकृत कम्पोस्टिंग और समुदाय-नेतृत्व वाले प्रयासों के जरिए एनडीएमसी न सिर्फ नई दिल्ली में, बल्कि देशभर के शहरी निकायों के लिए एक मजबूत उदाहरण पेश कर रही है.
Source: IOCL






















