दिल्ली की 'दमघोंटू' हवा को लेकर जंतर मंतर पर प्रोटेस्ट, सरकार के खिलाफ दिखा गुस्सा
Delhi Pollution: प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकारें यदि विज्ञापनों और अभियानों पर करोड़ों खर्च कर सकती हैं, तो साफ हवा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा सकतीं.

राजधानी की लगातार बिगड़ती हवा और गंभीर प्रदूषण स्तर के खिलाफ मंगलवार (18 नवंबर) को जंतर मंतर पर लोगों ने बड़ा प्रदर्शन हुआ. इस प्रोटेस्ट में कई लोग प्लेकार्ड्स लेकर सिटीजन मार्च के लिए पहुंचे और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग उठाई.
काली धुंध और जहरीली हवा से जूझ रही दिल्ली में हर उम्र के लोग इस आंदोलन में शामिल हुए. भीड़ में रोजमर्रा के मास्क पहनने वाले लोग भी थे, लेकिन कुछ प्रदर्शनकारी ऐसे विशेष रासायनिक सुरक्षा मास्क लगाकर पहुंचे जो उद्योगों में उपयोग होते हैं. उनका कहना था कि यह सिर्फ सुरक्षा नहीं, बल्कि आने वाले समय की चेतावनी है. "अगर आज कार्रवाई नहीं हुई, तो कल यह हमारी मजबूरी बन जाएगी."
प्रदर्शन में लगाए गए प्लेकार्ड्स में नागरिकों की पीड़ा और गुस्सा साफ झलक रहा था: 'Help Us Breathe', 'If Air Is Free Why Is Breathing a Privilege?', 'Smash Capitalism, Save Environment', 'Undo the Smog' और 'Crores for Campaigns, Zero for clean air. Is this Governance?' यह नारे उस असंतोष को आवाज देते हैं जो हर साल स्मॉग सीजन के साथ बढ़ता है, लेकिन समाधान की गति हमेशा धीमी रहती है.
इस प्रदर्शन की एक खास बात यह भी रही कि पर्यावरणविद भावरीन कंधारी और सामाजिक कार्यकर्ता विमलेंदु झा इस पूरे आंदोलन को लीड करते हुए दिखाई दिए. दोनों ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण अब मौसम का मुद्दा नहीं रह गया, बल्कि एक स्थायी स्वास्थ्य संकट बन चुका है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की भागीदारी यह दिखाती है कि लोग अब सिर्फ शिकायत नहीं कर रहे, बल्कि हक की लड़ाई लड़ने के लिए सड़क पर उतर आए हैं.
कुछ दिन पहले इंडिया गेट पर भी वायु प्रदूषण के खिलाफ इसी तरह का स्वतःस्फूर्त प्रदर्शन देखने को मिला था. कई परिवार छोटे बच्चों के साथ वहाँ पहुंचे थे और उन्होंने बताया था कि प्रदूषण ने उन्हें घरों में कैद कर दिया है. उस प्रदर्शन ने भी एक स्पष्ट संदेश दिया था कि राजधानी के लोग अब सही से सांस लेने को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं.
जंतर मंतर का आज का मार्च इस बढ़ती जनभावना का विस्तार था. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकारें यदि विज्ञापनों और अभियानों पर करोड़ों खर्च कर सकती हैं, तो साफ हवा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठा सकतीं. प्रदर्शनकारियों ने यह दोहराया कि स्वच्छ हवा किसी एक पार्टी का वादा नहीं, बल्कि हर नागरिक का मूल अधिकार है. दिल्ली की हवा अब सिर्फ मौसम विज्ञान की रिपोर्ट नहीं, यह स्वास्थ्य, सुरक्षा और जीवन के अधिकार से जुड़ा मुद्दा बन चुकी है.
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Source: IOCL





















