दिल्ली में पुराने वाहनों पर बैन, ट्रांसपोर्ट सेक्टर में नाराजगी, जताई ये चिंता
Delhi Pollution: दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए 1 नवंबर से BS-4 और BS-6 कमर्शियल वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति दी है, जिससे पुराने वाहन प्रतिबंधित हो गए हैं.

दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. एक नवंबर से राजधानी में केवल बीएस-4 और बीएस-6 मानक की कमर्शियल गाड़ियों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाएगी, जबकि बीएस-3, बीएस-2 और बीएस-1 वाहनों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इस फैसले के बाद ट्रांसपोर्ट सेक्टर में नाराज़गी बढ़ गई है.
ऑल इंडिया मोटर एंड गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र कपूर ने कहा है कि सरकार का यह फैसला सीधे तौर पर दिल्ली की जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ाएगा.
छोटे व्यापारी और स्थानीय ट्रांसपोर्टर होंगे प्रभावित
राजेंद्र कपूर ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि दिल्ली में लंबी दूरी के ट्रांसपोर्ट के लिए ज्यादातर बीएस-4 और बीएस-6 गाड़ियां ही चलती हैं, लेकिन जो लोकल सप्लाई यानी दिल्ली के अंदर सब्जी, फल और जरूरी सामान पहुंचाने का काम है, वह आज भी बीएस-3, बीएस-2 और बीएस-1 जैसे छोटे व्यावसायिक वाहनों से होता है. उन्होंने कहा कि अगर इन गाड़ियों को सड़कों से हटा दिया गया तो छोटे व्यापारी और स्थानीय ट्रांसपोर्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे
उन्होंने चेतावनी दी कि जब ये छोटे वाहन चलना बंद होंगे, तो बाजारों तक माल पहुंचाने में परेशानी आएगी. इससे रोजमर्रा की चीजें जैसे फल, सब्जियों और खाद्य सामग्री महंगी हो जाएंगी. कपूर ने कहा सरकार का फैसला लोगों की जेब पर सीधा असर डालेगा, आने वाले दिनों में दिल्लीवासियों को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है.
'सिर्फ पुराने वाहन नहीं है दिल्ली की हवा खराब होने की वजह'
राजेंद्र कपूर ने यह भी कहा कि दिल्ली में प्रदूषण की असली वजह पुराने ट्रक या लोडर नहीं हैं. उनका कहना है कि इस समय त्योहारों की वजह से कई ट्रांसपोर्ट ड्राइवर छुट्टी पर हैं और परिवहन का काम केवल 15 से 20 प्रतिशत ही चल रहा है, इसके बावजूद दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब कम वाहन चल रहे हैं, तब भी प्रदूषण क्यों बढ़ रहा है? इससे साफ है कि दिल्ली की हवा खराब होने की वजह सिर्फ पुराने वाहन नहीं हैं.
'छोटे व्यापारियों और आम लोगों की और बढ़ेंगी मुश्किलें'
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह प्रदूषण की असली वजहों पर ध्यान दे, जैसे निर्माण स्थलों की धूल, खुले में कूड़ा जलाना और औद्योगिक धुआं. राजेंद्र कपूर ने कहा कि सिर्फ पुराने वाहनों को निशाना बनाने से समस्या हल नहीं होगी, बल्कि इससे छोटे व्यापारियों और आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ेंगी.
बता दें कि दिल्ली में सर्दियों के दौरान हर साल प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है. इसी को देखते हुए सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत कई सख्त कदम उठाए हैं. इनमें पुराने डीज़ल वाहनों पर प्रतिबंध, निर्माण कार्यों पर रोक और स्कूलों में छुट्टियों जैसे उपाय शामिल हैं. राजेंद्र कपूर का कहना है कि ट्रांसपोर्ट सेक्टर भी साफ हवा चाहता है, लेकिन नीति ऐसी होनी चाहिए जो पर्यावरण और रोजगार दोनों के बीच संतुलन बनाए रखें.
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Source: IOCL























