उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत पर दिल्ली HC से बड़ा अपडेट, सरकारी वकील ने कहा- 'देश विरोधी साजिश पर...'
दिल्ली दंगा मामले में शरजील इमाम और उमर खालिद समेत अन्य आरोपियों की जमानत का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि सिर्फ एक सामान्य दंगा नहीं बल्कि एक सुनियोजित थी.

दिल्ली हाई कोर्ट में साल 2020 में दिल्ली दंगा मामले में कथित बड़ी साजिश को लेकर दायर जमानत अर्जी पर अहम सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप देश के खिलाफ कुछ कर रहे हैं तो आपको तब तक जेल में रहना चाहिए जब तक दोष सिद्ध न हो या आप बरी न हो जाएं.
देश को शर्मिंदा करने की मंशा थी - SG तुषार मेहता
SG मेहता ने आरोप लगाया कि यह मामला सिर्फ एक सामान्य दंगा नहीं बल्कि एक सुनियोजित और राष्ट्र को बदनाम करने की साजिश है. उन्होंने कहा कि दंगे अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान शुरू हुए ताकि भारत को विश्व स्तर पर शर्मिंदा किया जा सके.
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि शरजील इमाम, उमर खालिद, खालिद सैफी, शिफा उर रहमान, अतर खान, मोहम्मद सलीम खान, और गुलफिशा फातिमा समेत अन्य आरोपी एक-दूसरे के संपर्क में थे और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए पूरी साजिश को अंजाम दे रहे थे.
उन्होंने कहा यह एक पूर्व नियोजित हिंसा थी जिसकी टाइमिंग भी जानबूझकर तय की गई थी. शरजील इमाम ने कहा था हमारे पास चार हफ्ते हैं, दिल्ली को दहला देना है. यह शब्द किसी सामान्य आंदोलन के नहीं हो सकते.
इंटरनेशनल स्तर पर भारत की छवि खराब करने की कोशिश- SG
दिल्ली हाई कोर्ट में SG तुषार मेहता ने द गार्जियन जैसे विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि इन दंगों की कवरेज को देखकर साफ है कि आरोपियों की मंशा भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा करने की थी.
दिल्ली हाई कोर्ट में दलील देते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल कानून के विरोध में प्रदर्शन नहीं था. यह एक राष्ट्र विरोधी साजिश थी. कई लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप में यह भी नहीं पता था कि यह सिर्फ कानून का विरोध नहीं बल्कि हिंसात्मक योजना है.
दिल्ली में माहौल खराब करने की थी पूरी तैयारी
दिल्ली हाई कोर्ट में SG तुषार मेहता ने दंगों के दौरान इस्तेमाल किए गए एक गुलेल का भी जिक्र किया जिसे उन्होंने लोहे का बड़ा ढांचा बताया जो चार लोगों द्वारा चलाया जा सकता है और पत्थर, ईंट, एसिड बम और पेट्रोल बम फेंकने के लिए इस्तेमाल किया गया. उन्होंने इसे बच्चों का खिलौना नहीं, बल्कि हिंसा का हथियार बताया.
आरोपियों की जमानत का कड़ा विरोध
दिल्ली हाई कोर्ट में SG तुषार मेहता ने उमर खालिद को पहले एक दूसरी बेंच द्वारा जमानत न देने के आदेश का हवाला देते हुए कहा यह एक आतंकवादी कृत्य जैसा है न कि सामान्य जमानती मामला. यह देश को दो भागों में बांटने की साजिश है.
कोर्ट में दलील देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि कुछ आरोपियों के पास फर्जी दस्तावेजों पर सिम कार्ड थे और व्हाइट मनी को ब्लैक मनी में बदला गया जो सामान्य वित्तीय अपराधों से उलट है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शलिंदर कौर की बेंच ने उमर खालिद, शरजील इमाम, खालिद सैफी, अतर खान, शिफा उर रहमान, मोहम्मद सलीम खान और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिकाओं पर फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. आरोपी शादाब अहमद की जमानत याचिका पर सुनवाई अब गुरुवार शाम 4 बजे होगी. अदालत ने सभी पक्षों को तीन दिन में अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए कहा है.
Source: IOCL
























