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Delhi High Court: धोखाधड़ी मामले में दंपत्ति को गिरफ्तारी से राहत, HC ने दिया 75 लाख रुपये जमा कराने का निर्देश
Delhi News: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 4.50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में दंपति को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है. याचिका में धोखाधड़ी और आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया गया है.
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Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने 4.50 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में दंपति को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दे दी है. जिन्होंने शिकायतकर्ता से 1.7 करोड़ रुपये की शुरुआती राशि लेने और उसका दुरुपयोग करने के बाद अपनी संपत्ति का बैनामा (सेल डीड) निष्पादित करने से कथित तौर पर मना कर दिया था. अदालत ने उन्हें 75 लाख रुपये जमा कराने का निर्देश भी दिया.
इसके साथ ही अदालत ने दंपति को पालम कॉलोनी में 4.50 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के स्वामित्व और कब्जे को लेकर यथास्थिति कायम रखने को कहा है. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने पति-पत्नी की दो याचिकाओं पर नोटिस जारी कर पुलिस से जवाब मांगा है. इन याचिकाओं में धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया गया है.
अदालत ने राज्य को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है. अदालत ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष आज से दो सप्ताह के भीतर 75 लाख रुपये जमा करने और संपत्ति के स्वामित्व और कब्जे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने को कहा तथा उन्हें सुनवाई की अगली तारीख तक गिरफ्तार नहीं करने का आदेश दिया है.
अदालत ने मामले मे अगली सुनवाई के लिए तीन अगस्त की तारीख तय की है. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि दंपति ने पालम कॉलोनी की अपनी संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया शुरू की जो उनके संयुक्त स्वामित्व में थी और शिकायतकर्ता से 1.7 करोड़ रुपये की शुरुआती राशि ले ली है. इसमें कहा गया है कि बयाना रसीद के मुताबिक पति-पत्नी की हिस्सेदारी 2.25 करोड़ रुपये में खरीदी जानी थी.
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि शिकायतकर्ता ने 1.7 करोड़ रुपये का भुगतान किया जिसमें से 25 लाख रुपये चेक के जरिए और शेष राशि नकद दी थी. इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने बैनामे को निष्पादित करने से इनकार कर दिया है. दंपति ने दावा किया कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप गलत हैं और जाली दस्तावेजों पर आधारित हैं. उन्होंने दावा किया कि संपत्ति की बिक्री की प्रक्रिया शुरू करने के लिए शिकायतकर्ता द्वारा उन्हें केवल 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया है.
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