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Delhi Government vs Centre Row: 'दिल्ली को दिल्ली वाले चलाएंगे, पैराशूट से उतारे गए LG नहीं', सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले राघव चड्ढा
AAP Reaction on Supreme Court Judgement: 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा, 'दिल्ली पर चुनी हुई सरकार का अधिकार है और विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति है.' इस पर आप नेताओं का पहला रिएक्शन सामने आ गया है.
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Delhi News: दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है. 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा, 'दिल्ली पर चुनी हुई सरकार का अधिकार है और विधानसभा को कानून बनाने की शक्ति है. दिल्ली दूसरे केंद्र शासित क्षेत्रों से अलग है. दिल्ली सरकार को सर्विसेज पर विधायी और कार्यकारी अधिकार है. अगर राज्य सरकार को अपनी सेवा में नियुक्त अधिकारी पर नियंत्रण न हो तो ठीक नहीं होगा. अधिकारी सरकार की बात नहीं सुनेंगे. आदर्श स्थिति यही होगी कि दिल्ली सरकार को अधिकारियों पर नियंत्रण मिले, सिर्फ उन बातों को छोड़कर जिन पर विधानसभा का अधिकार नहीं है. (यानी पुलिस, कानून व्यवस्था और भूमि को छोड़ कर). हम दोहराना चाहते हैं कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करेंगे.'
संजय सिंह बोले- 'लंबे संघर्ष के बाद जीत'
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं. आम आदमी पार्टी के नेता और सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने ट्वीट करते हुए इस फैसले को 'लंबे संघर्ष के बाद जीत' करार दिया है. जबकि आप नेता राघव चड्ढा ने ट्वीट करते हुए फैसले का स्वागत किया है और दिल्ली एलजी पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा, 'सत्यमेव जयते. माननीय सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले का स्वागत. ये फैसला लोकतंत्र की जीत है, हर एक दिल्ली वासी की जीत है. केजरीवाल जी और दिल्ली की जनता का संघर्ष रंग लाया. दिल्ली को दिल्ली वाले चलाएंगे, पैराशूट से उतारे गये LG जैसे लोग नहीं.' इस मामले में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का भी बयान सामने आया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश का एक पक्ष ये भी है कि भारत की संसद सीधे कानून बनाकर दिल्ली विधानसभा की शक्तियों को निर्धारित करने का काम कभी भी कर सकती है.'
SC का फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में
बता दें कि जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र बनाम दिल्ली सरकार विवाद से जुड़े कई मुद्दों पर फैसला दिया था. इनमें दिल्ली पब्लिक सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे मसले भी शामिल थे. 14 फरवरी 2019 को इसी मसले पर नये सिरे से सुनवाई के बाद 2 जजों की बेंच ने फैसला दिया था. दोनों जजों, जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण का निर्णय अलग-अलग आने की वजह से इस मामले को 3 जजों की बेंच के सामने भेज दिया गया था. आज यानी 11 मई को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने इस मसले पर अपना फैसला सुना दिया. 5 जजों की संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा शामिल रहे. पीठ ने प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से फैसला दिया.
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