दिल्ली में पहली बार होगी 'कृत्रिम वर्षा', IMD ने दी मंजूरी, जानें कैसे होगी आर्टिफीशियल बरसात?
Delhi News: राष्ट्रपति भवन, संसद, पीएम आवास जैसे उच्च सुरक्षा क्षेत्रों से अभियान को दूर रखा जाएगा. इसके अलावा मॉनिटरिंग स्टेशन एयर क्वालिटी में बदलाव पर नजर रखेंगे.

Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली अब प्रदूषण से लड़ने के लिए आसमान की मदद लेने जा रही है, जिसके तहत दिल्ली सरकार का पहला आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) पायलट प्रोजेक्ट अब पूरी तरह तैयार है. ये प्रोजेक्ट उपयुक्त मौसम मिलते ही प्रयोग शुरू हो जाएगा.
दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बुधवार (18 जून) को जानकारी दी कि भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली में क्लाउड सीडिंग को मंज़ूरी दे दी है और जैसे ही सही तरह के बादल नजर आएंगे. तुरंत यह अभियान शुरू कर दिया जाएगा.
IIT कानपुर के वैज्ञानिक करेंगे संचालन
इस पायलट प्रोजेक्ट का वैज्ञानिक संचालन आईआईटी कानपुर के पास रहेगा. आईआईटी की टीम फ्लेयर टेक्नोलॉजी से लैस छोटे विमान के जरिए सिल्वर आयोडाइड, आयोडीन सॉल्ट और रॉक सॉल्ट जैसे मिश्रण को बादलों में छोड़ेगी, जिससे कृत्रिम बारिश कराई जा सके.
'साफ हवा सभी का अधिकार'
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के मुताबिक "स्वच्छ हवा सभी का अधिकार है. एंटी स्मॉग गन, स्प्रिंकलर और निर्माण स्थलों पर कड़े नियमों के बाद अब हम आसमान तक पहुंच रहे हैं. यह सिर्फ़ एक प्रयोग नहीं, बल्कि भविष्य का रोडमैप है." साथ ही यह तकनीक डेटा ड्रिवेन होगी और हर कदम पर वैज्ञानिक निगरानी रखी जाएगी.
मिलेगा रियल टाइम डेटा
दिल्ली सरकार के मुताबिक पायलट प्रोजेक्ट के तहत 5 टेस्ट फ्लाइट्स चलाई जाएंगी, हर फ्लाइट कम से कम 100 वर्ग किमी क्षेत्र में एक से डेढ़ घंटे तक ऑपरेट करेगी. साथ ही उड़ानें दिल्ली के बाहरी और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में होंगी और राष्ट्रपति भवन, संसद, पीएम आवास जैसे उच्च सुरक्षा क्षेत्रों से अभियान को दूर रखा जाएगा. इसके अलावा मॉनिटरिंग स्टेशन एयर क्वालिटी में बदलाव पर नजर रखेंगे और आईएमडी रियल टाइम मौसम डेटा देगा जैसे नमी, हवा की दिशा, बादलों की ऊंचाई आदि.
3.21 करोड़ आएगी लागत
दिल्ली सरकार के मुताबिक इस अभियान में खासकर निंबोस्ट्रेटस (Ns) बादलों को चुना जाएगा, जो 500 से 6000 मीटर की ऊंचाई पर होते हैं और जिनमें कम से कम 50 फीसदी नमी जरूरी है और इस पूरी परियोजना की अनुमानित लागत 3.21 करोड़ है, जिसे पूरी तरह दिल्ली सरकार फंड कर रही है.
प्रदूषण कम करने के लिए की जा रही कृत्रिम बारिश
आईआईटी कानपुर ने इससे पहले अप्रैल से जुलाई के बीच सूखा प्रभावित इलाकों में सात सफल क्लाउड सीडिंग ट्रायल किए थे, और अब पहली बार प्रदूषण को कम करने के लिए इस तकनीक का उपयोग दिल्ली जैसे शहर में किया जा रहा है.
साथ ही इस प्रयोग का उद्देश्य केवल कृत्रिम बारिश कराना नहीं है, बल्कि यह भी देखना है कि क्या इससे हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक कणों की मात्रा में कमी लाई जा सकती है और अगर यह पायलट सफल होता है, तो यह दिल्ली ही नहीं, देशभर के शहरी इलाकों में प्रदूषण से लड़ने के लिए एक नया वैज्ञानिक रास्ता खोल सकता है.
Source: IOCL






















