Safdarjung Hospital Delhi: सफदरजंग अस्पताल में हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट, सेंट्रल हॉस्पिटल में अब तक का पहला मामला
Bone Marrow Transplant: एमएस डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि 1 अगस्त को 45 वर्षीय महिला को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए एडमिट किया गया था और 5 अगस्त को उनका सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया.
Delhi News: राजधानी दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में मिलने वाली इलाज की सुविधाओं की फेहरिस्त में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की एक और सुविधा शामिल हो गई है. सफदरजंग अस्पताल में पहला और सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया है, जो कि देश के किसी भी केंद्रीय अस्पताल में पहला है. सफलतापूर्वक किए गए बोन मैरो ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है.
बोर मैरो ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी देते हुए वर्धमान महावीर कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने कहा कि उन्हें यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि कम लागत में केंद्रीय अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की शुरुआत हुई है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य महानिदेशक अतुल गोयल के विजन के तहत सफदरजंग अस्पताल के बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट में पहला सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया.
45 वर्षीय महिला का हुआ बोन मैरो ट्रांसप्लांट
डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि इसी वर्ष जून महीने में अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट की शुरुआत की गई थी. जहां 1 अगस्त को 45 वर्षीय महिला को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए एडमिट किया गया था और 5 अगस्त को उनका सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया था. वो मल्टीपल मायलोमा से पीड़ित थी और ऑटोलॉगस की प्रक्रिया से गुजर चुकी थी. पिछला दो सप्ताह मरीज के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा. इस दौरान मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी और संक्रमण का खतरा बना हुआ था. अब वो पूरी तरह स्वस्थ है और अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है.
निजी अस्पताल में 10-15 लाख का आता है खर्च
उन्होंने बताया कि यह सभी केंद्रीय अस्पतालों में पहला बोन मैरो ट्रांसप्लांट है. यह सुविधा उन मरीजों के जीवन को बचाने वाली प्रक्रिया है, जो मायलोमा, लिंफोमा और अन्य हेमेटोलॉजिकल जैसे कई असाध्य रोगों से ग्रसित होते हैं. उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का खर्च 10 से 15 लाख रुपये तक आता है, जबकि सफदरजंग अस्पताल में यह सुविधा नगण्य लागत पर उपलब्ध है. बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट के इंचार्ज डॉ. कौशल कालरा और डॉ. सुमिता चौधरी ने बताया कि यह ट्रांसप्लांट एमएस डॉ. वंदना तलवार, एडिशनल एमस डॉ. पीएस भाटी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट टीम के सदस्यों डॉ. मुकेश नागर, डॉ. अंकुर, डॉ. अदिति एवं अन्य समेत ब्लड बैंक के सदस्यों के सहयोग से सफलतापूर्वक किया गया.
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