डायबिटीज पर नई उम्मीद! AIIMS की दो घंटे की सर्जरी ने कई मरीजों को दिलाई दवाओं से मुक्ति
AIIMS Diabetes Surgery: एम्स में अनियंत्रित डायबिटीज के मरीजों के लिए एक नई सर्जरी उम्मीद की किरण बनकर आई है। दो घंटे की इस प्रक्रिया के बाद मरीजों की स्थिति में तेजी से सुधार देखा गया है.

डायबिटीज को अक्सर ऐसी बीमारी माना जाता है जो जीवन भर दवाओं और सावधानी की मांग करती है, लेकिन एम्स के विशेषज्ञों ने एक ऐसी सर्जरी के सफल परिणाम सामने रखे हैं जो अनकंट्रोल डायबिटीज से जूझ रहे मरीजों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरी है. दावा है कि मात्र दो घंटे की प्रक्रिया के बाद मरीजों की स्थिति 24 घंटे के भीतर सुधरती देखी गई और कई लोगों को दवाओं की जरूरत भी नहीं पड़ रही.
एम्स के सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. मंजूनाथ के अनुसार पिछले करीब सवा साल में 120 मरीजों ने यह प्रक्रिया कराई, जिनमें से 35 मरीज सिर्फ डायबिटीज के इलाज के उद्देश्य से आए थे. डॉक्टर का दावा है कि इन सभी मरीजों में ब्लड शुगर पर बेहद प्रभावी नियंत्रण देखा गया और कई को दवाएं पूरी तरह बंद करनी पड़ीं.
डायबिटीज के ये मरीज करवा सकते हैं सर्जरी
यह सर्जरी उन मरीजों के लिए उपयोगी मानी जाती है जिनकी डायबिटीज दो साल या उससे अधिक समय से बनी हुई हो, जिनका HbA1c स्तर लगातार 7.5 से ऊपर हो और तीन या उससे अधिक दवाएं लेने के बाद भी ब्लड शुगर नियंत्रण में न आ रहा हो. ऐसे मामलों में दवाओं और सामान्य उपचार से राहत न मिलने पर यह प्रक्रिया प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है.
इसके विपरीत, जो लोग 15 साल से ज्यादा समय से डायबिटीज के मरीज हैं, जिन्हें प्रतिदिन लगभग 100 यूनिट तक इंसुलिन लेनी पड़ती है या जिनका HbA1c पहले से ही 6.5 के करीब है, उन्हें इस सर्जरी उपयुक्त की जरूरत नहीं है.
अनकंट्रोल शुगर से जूझ रहे वरिष्ठ मरीज को बड़ा लाभ
डॉक्टरों के अनुसार सर्जरी कराने वालों में एक 65 वर्षीय सांसद भी शामिल थे. मोटापा और लंबे समय से अनियंत्रित डायबिटीज उनकी सबसे बड़ी समस्या थी. HbA1c 11.7 तक पहुंच चुका था और चार दवाओं के बावजूद शुगर काबू में नहीं आ रहा था. सर्जरी के पांच महीने बाद उन्होंने किसी भी एंटी-डायबिटिक दवा की जरूरत महसूस नहीं की और उनका शुगर स्तर स्थिर है.
हार्ट अटैक के बाद मिली नई उम्मीद
एक महिला, जिन्हें हाल ही में हार्ट अटैक आया था, कार्डियोलॉजी विभाग में इलाज के दौरान डायबिटीज का भी गंभीर स्तर पाया गया. उन्हें सर्जरी विभाग भेजा गया. उनकी इच्छा थी कि कम से कम डायबिटीज से तो राहत मिल सके. इस साल मई में उनकी सर्जरी की गई और तब से उनका शुगर स्तर लगातार नियंत्रित है.
कैसे काम करती है यह आधुनिक सर्जरी?
डॉ. मंजूनाथ बताते हैं कि यह प्रक्रिया मेटाबोलिक सर्जरी के सिद्धांत पर आधारित है. इसमें पेट के आकार को कम कर एक संकरे ट्यूब जैसा बनाया जाता है. पेट का वह हिस्सा, जो विभिन्न हार्मोन बनाता है, उसे भोजन के सीधे संपर्क से अलग किया जाता है. इसके बाद फूड पाइप को आंतों से बाईपास तकनीक के माध्यम से जोड़ा जाता है. यह बदलाव शरीर में ऐसे हार्मोनल परिवर्तन लाता है जो ब्लड शुगर नियंत्रण में अत्यंत मददगार साबित होते हैं.
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