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Chhattisgarh News: नारायणपुर में डीएम को देख गाय चराने वाले बच्चे ने कहा- 'मुझे आपके जैसा बनना है', जानें- फिर क्या हुआ
Chhattisgarh News: नारायणपुर के घोर नक्सल प्रभावित गांव सोनपुर में जिला प्रशासन ने आधार कार्ड और राशन कार्ड बनाने के लिए शिविर लगाया था. इस शिविर में आसपास गांव के सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे थे.

बच्चे से बात करते डीएम ऋतुराज रघुवंशी
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का अबूझमाड़ (Abujmarh) क्षेत्र आज भी विकास से कोसों दूर है. शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और सड़क के मामले में आज भी अबूझमाड़ के कई गांवों में ये सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं, हालांकि पिछले कुछ सालों की अपेक्षा जिला प्रशासन की टीम अब अबूझमाड़ के घोर नक्सल प्रभावित गांव तक पहुंच रही है और ग्रामीणों तक शिविर लगाकर सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की भी कोशिश कर रही है.
वहीं इन इलाकों में शिक्षा की क्या स्थिति है यह बानगी अबूझमाड़ के सोनपुर गांव में देखने को मिली, जहां जिला प्रशासन के लगाए गए शिविर में खुद नारायणपुर के कलेक्टर ऋतुराज रघुवंशी भी पहुंचे हुए थे. यहां एक बच्चे ने कलेक्टर के सूट-बूट को देखकर उनके जैसा बनने की इच्छा जाहिर की. यह बच्चा अपने पिता के साथ शिविर में पहुंचा हुआ था, जब कलेक्टर ने उस बच्चे से स्कूल जाने को लेकर पूछा तो उसने जवाब दिया कि वह अपने पिता के साथ गाय चराने जाता है.
डीएम ने दिए ये आदेश
इसके बाद कलेक्टर ने तत्काल बच्चे को सरकारी स्कूल में दाखिल कराने के साथ कपड़े, किताब और सभी तरह की सुविधा देने के आदेश शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दिए. दरअसल नारायणपुर के घोर नक्सल प्रभावित गांव सोनपुर में जिला प्रशासन ने आधार कार्ड और राशन कार्ड बनाने के लिए शिविर लगाया था. इस शिविर में आसपास गांव के सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे थे. इस शिविर का जायजा लेने खुद नारायणपुर के डीएम ऋतुराज रघुवंशी भी पहुंचे.
बच्चे के पिता ने बताई स्कूल नहीं भेजने की वजह
डीएम ऋतुराज रघुवंशी के शूट-बूट को देख एक बच्चे ने कहा कि मुझे आप के जैसे बनना है और ऐसे कपड़े पहनना है. डीएम ने बच्चे से पूछा तुम स्कूल जाते हो? तो जवाब में बच्चे ने कहा कि नहीं मैं अपने पिता के साथ गाय चराने जाता हूं. यह सुनकर कलेक्टर ने फौरन बच्चे के पिता को बुलाया उनसे गांव और परिवार की जानकारी ली. बच्चे के पिता ने कलेक्टर को बताया कि वे ओरछा विकासखंड के बेरबेड़ा गांव में रहते हैं, इस इलाके को अबूझमाड़ कहा जाता है. घर में गाय और बैल हैं और उनका बेटा संजय उन्हें चराने का काम करता है.
अबूझमाड़ इलाके में शिक्षा का प्रतिशत है काफी कम
उसने बताया कि घर से स्कूल काफी दूर है इसलिए इसे स्कूल नहीं भेजते. इसके बाद डीएम ने कहा कि मैं इस बच्चे को पढ़ाऊंगा और इसका एडमिशन भी आस-पास के स्कूल में कराया जाएगा. साथ ही उसके स्वास्थ को देखते हुए उसका इलाज भी प्रशासन कराएगा. गौरतलब है कि 6 साल के बच्चे संजय जैसे अबूझमाड़ इलाके में ऐसे कई बच्चे हैं, जो सुविधा और अंदरूनी क्षेत्रो में स्कूलों के अभाव में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. यही वजह है कि अबूझमाड़ इलाके में शिक्षा का प्रतिशत काफी कम है, फिलहाल ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल जाएं, इसकी पूरी कोशिश प्रशासन की तरफ करने की बात कही जा रही है.
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