Balod: जूता फैक्ट्री में काम के दौरान खो दी आंखों की रोशनी, हुनर ने नहीं छोड़ा साथ, चंद्रिका प्रसाद की कहानी
Balod News: एक जूता फैक्ट्री में काम के दौरान चंद्रिका प्रसाद ने अपनी दोनों आंखों की रोशनी खो दी थी, लेकिन चंद्रिका आज भी जूते सिलने का काम इतने करीने से करते हैं कि लोग देखते रह जाते हैं.

Chhattisgarh News: 'मंजिल मिल ही जाती है भटकते-भटकते ही सही, गुमराह तो वो है जो घर से निकले ही नहीं' ये कहावत चंद्रिका प्रसाद (Chandrika Prasad) पर एकदम फिट बैठती है. दरअसल हम आपको बालोद (Balod) के ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं जिनकी एक दुर्घटना में दोनों आंखों की रोशनी चली गई लेकिन उम्मीदों की रोशनी ने उनको जीना सिखा दिया. चंद्रिका प्रसाद जो काम करते है उसमें आंखों का होना बहुत जरूरी है, लेकिन चंद्रिका बिना आंखों के भी इस काम को जिस तरह से अंजाम दे रहे हैं उसे देखकर हर कोई दांतों तले उंगलियां दबा लेता है.
जूता फेक्ट्री में काम करने के दौरान चली गई थी दोनों आंखें
बालोद शहर से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर एक विख्यात चौक है, जिसे झलमला तिराहा भी कहा जाता है. इस तिराहे पर रहने वाले एक मोची चंद्रिका प्रसाद दोनों आंखें न होने के बावजूद आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. चंद्रिका बचपन से ही यही काम करते आ रहे हैं. दल्ली राजहरा की एक फैक्ट्री में जूते सिलने के दौरान एक हादसे में उनकी दोनों आंखे चली गईं लेकिन उन्होंने उम्मीदों के दीये को कभी बुझने नहीं दिया. आज इन्हीं उम्मीदों को लिए चंद्रिका बिना आंखों के भी बड़ी बखूबी से जूते-चप्पल सिलने रंगने व बनाने का काम कर रहे हैं.
हुनर देखकर लोगों के दांत हो जाते हैं खट्टे
चंद्रिका प्रसाद एक छोटी सी गुमटी में चौक किनारे अपनी दुकान चलाते हैं. उनकी बेटी सुनीता रोजाना उन्हें दुकान तक छोड़ने के लिए जाती है. आसपास के लोग चंद्रिका प्रसाद की कला के कायल हैं, जो भी यहां से गुजरता है वह इस दृष्टिबाधित मोची से काम जरूर लेता है. वहीं के एक निवासी ने बताया कि वह अपनी टूटी चप्पल व जूता उनकी के पास ले जाते हैं और आज तक चंद्रिका ने उन्हें शिकायत का मौका नहीं दिया. शख्स ने कहा कि वह अपने जज्बे के दम पर हर एक कार्य को बखूबी अंजाम देते हैं. शख्स ने यह भी बताया कि उन्हें यह भी पता रहता है कि कौन सा रंग कहां रखा है. वह अपने हाथों से रंगों को महसूस करते हैं और वही रंग लगाते हैं जिसकी जरूरत होती है.
क्या कहते हैं चंद्रिका प्रसाद
चंद्रिका प्रसाद का कहना है कि वह इतना तो कमा लेते हैं कि उनका घर चल जाता है. उन्होंने बताया कि सरकार चावल तो देती ही है बाकी सब्जी इत्यादि के लिए वे पैसा कमा ही लेते हैं. हालांकि चंद्रिका ने कहा कि उनकी दो बेटियां है, जिनके हाथ पीले करने को लेकर उन्हें चिंता रहती है. चंद्रिका ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शासन-प्रशासन उनकी बेटियों के लिए कुछ मदद करेगा.
यह भी पढ़ें:
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























