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Chhattisgarh Election 2023: केशकाल विधानसभा सीट पर होती है बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर, जानें यहां का सियासी समीकरण

Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में केशकाल विधानसभा अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां के आदिवासियों की मुख्य आय का स्त्रोत खेती- किसानी और वनोपज है.

Chhattisgarh Assembly Elections 2023: बस्तर (Bastar) संभाग की 12 विधानसभा सीटों में एक सीट कोंडागांव (Kondagaon) जिले की केशकाल (Keshkal) विधानसभा सीट है, जो उत्तर बस्तर इलाके में है. यह सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित है. केशकाल को बीजेपी (BJP) का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस (Congress) के प्रत्याशी ने इस सीट पर 16 हजार वोटों के अंतर से बीजेपी के प्रत्याशी को हराया था.

छत्तीसगढ़ में केशकाल विधानसभा अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां के आदिवासियों की मुख्य आय का स्त्रोत खेती- किसानी और वनोपज है. कांकेर  और कोंडागांव के बीच पड़ने वाली केशकाल विधानसभा राजनीतिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. कोंडागांव और कांकेर के बाद सबकी निगाहें केशकाल विधानसभा की सीट पर टिकी रहती है. केशकाल घाटी बस्तर का प्रवेश द्वार कहा जाता है. साथ- ही जो यात्री रायपुर जगदलपुर से आते हैं, उनके लिए केशकाल घाटी बहुत खास होती है. इसका इंतजार हर यात्री करता है. खासकर जो यात्री यहां पहली बार यात्रा कर रहा है. 

 मक्के का सबसे ज्यादा उत्पादन
केशकाल घाटी बस्तर और दक्षिण छत्तीसगढ़ को जोड़ने वाली अकेली सड़क है. यहां बरसात के दिनों में बड़े पत्थरों के रोड में गिरने से लम्बा जाम लग जाता है. इससे यात्री और मालवाहक गाड़ियों को परेशानी होती है. यहां एक ही रास्ता होने के कारण लोगों को काफी परेशिानियों का सामना करना पड़ता है. कोंडागांव जिले के एक पर्वत में स्थित केशकाल घाटी सर्पाकार सड़कों के लिए भी प्रसिद्व है. केशकाल विधानसभा में सबसे ज्यादा उत्पादन मक्के का होता है. वहीं पर्यटन की दृष्टि से टाटा मारी सबसे ज्यादा फेमस हिल स्टेशन है. इन सब खूबियों के चलते कोंडागांव जिले के केशकाल को विधानसभा बनाया गया और छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद केशकाल विधानसभा अपने अस्तित्व में आया.

राजनीतिक समीकरण
केशकाल विधानसभा में पिछले चार चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही टक्कर होते आ रही है. तीसरी पार्टी के तौर पर कोई भी राजनीतिक दल यहां बीजेपी और कांग्रेस को नुकसान नहीं पहुंचा पाई है. हालांकि निर्दलीय प्रत्याशियों ने जरूर बीजेपी और कांग्रेस के वोट काटे हैं, लेकिन पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी ही इस विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. पिछले तीन विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो 2008 में इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2013 और 2018 में कांग्रेस के प्रत्याशी ने ही इस सीट पर विजय हासिल की है. छत्तीसगढ़ गठन के बाद दो बार बीजेपी और दो बार कांग्रेस इस सीट से जीत हासिल कर चुकी है. 2023 के विधानसभा चुनाव में देखना होगा कि इस सीट में किस प्रत्याशी की जीत होती है.

बस्तर के वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी का कहना है कि वर्तमान में इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ काफी मजबूत दिख रही है, लेकिन केशकाल में अपनी साख खो चुकी बीजेपी दोबारा जीत दर्ज के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है. वहीं केशकाल में प्रत्याशियों के नाम फाइनल होने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव में किस प्रत्याशी की जीत होती है. हालांकि केशकाल विधानसभा में जनता बस्तर की अन्य विधानसभा सीटों की तुलना में पार्टी से ज्यादा प्रत्याशियों की छवि और उनके द्वारा किए गए कामों को देखकर उनको वोट देती आई है.

राजनीतिक इतिहास
वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी बताते हैं कि कोंडागांव जिले के अंतर्गत आने वाले केशकाल को विधानसभा बनाए जाने के बाद इसे शुरुआत में बीजेपी का गढ़ कहा जाता था. क्योंकि यहां बीजेपी ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस को काफी ज्यादा मतों के अंतर से चुनाव हराया. पार्टी के साथ-साथ व्यक्ति विशेष को लेकर भी यहां की जनता वोट देते आई है. हालांकि दोनों ही पार्टी के विधायकों ने केशकाल विधानसभा का विकास किया है. खासकर केशकाल में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य दोनों ही सरकारों ने यहां काफी अच्छे काम किए हैं, लेकिन जनता की माने तो यह बीजेपी का गढ़ रहा है, लेकिन पिछले दो चुनाव में यहां लगातार कांग्रेस ने बीजेपी को काफी ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव हराया है. इस वजह से इस सीट में कांग्रेस भी मजबूत दिखाई दे रही है.

छत्तीसगढ़ गठन के बाद केशकाल विधानसभा सीट भी राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. यहां के बीजेपी और कांग्रेस के नेता भी अपने-अपने पार्टी में अच्छी पकड़ रखते हैं. यही नहीं सरकार बनने के साथ ही उन्हें अच्छी पद भी दिए जाते हैं. वर्तमान में यहां से संतराम नेताम जो कांग्रेस के विधायक हैं उन्हें विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया गया है. इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 1 लाख 98 हजार है, जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. केशकाल विधानसभा सीट आदिवासियों (ST) के लिए आरक्षित हैं. यहां गोंडवाना समाज 60, ओबीसी 30, एससी और सामान्य पांच फीसदी है.

विधानसभा का इतिहास
यहां 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सेवक राम नेताम ने 46 हजार और कांग्रेस के धंनु मरकाम ने 37 हजार 392 वोट हासिल किए थे. कांग्रेस के धंनु मरकाम को बीजेपी के सेवक राम नेताम ने 8 हजार 614 वोटों से हराया था. वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी संतराम नेताम को  53 हजार 867 और बीजेपी प्रत्याशी  सेवकराम नेताम को  45 हजार 178 वोट मिले थे. इस चुनााव में कांग्रेस के संतराम नेताम ने बीजेपी के सेवकराम नेताम को 8 हजार 689 वोटों से हराया था. इसके अलावा 2018 के चुनाव में यहां कांग्रेस के संतराम नेताम को 73 हजार 470 और बीजेपी के हरिशंकर नेताम को 56 हजार 498 वोट मिले. कांग्रेस प्रत्याशी संतराम नेताम ने बीजेपी के हरिशंकर नेताम को 16 हजार 972 वोटों  के अंतर से हराया था. वहीं 2018 विधानसभा चुनाव में कुल नौ प्रत्याशी चुनावी  मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे थे. इस चुनाव में  कुल 83.47 फीसदी मतदान हुआ था.

स्थानीय मुद्दे
केशकाल विधानसभा में ऐसे कई ग्रामीण इलाके हैं, जहां  स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है. इसके चलते यहां रहने वाले ग्रामीणों को कई किमी पैदल चलकर और मरीजो को कंधे पर लेकर स्वास्थ केंद्रों और अस्पतालों तक पहुचाना पड़ता है. इसके साथ यहां के कई इलाको में रोड,नाली, बिजली पानी और युवाओं को रोजगार की समस्या बनी हुई है. यहां के कई पंचायतो में हाई स्कूल भी नहीं है, जिसको लेकर ग्रामीण कई बार विधायक से मांग कर चुके हैं. हालांकि केशकाल विधानसभा में शहरी इलाकों में कुछ विकास कार्य  हुए है और कई प्रसिद्ध जगहों को  पर्यटन स्थल के रूप में विकसित भी किया गया है.

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