अंबिकापुर में कोयला खदान विस्तार को लेकर हिंसक टकराव, 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल
Ambikapur Stone Pelting: ग्रामीणों और पुलिस के बीच कोयला खदान विस्तार को लेकर अंबिकापुर में हिंसक टकराव हो गया. पथराव में 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए और खनन गतिविधियां प्रभावित हुईं.

अंबिकापुर के सरगुजा जिले में अमेरा ओपनकास्ट कोयला खदान के विस्तार को लेकर बुधवार को भारी तनाव पैदा हो गया जब परसोड़ी कला गांव के ग्रामीणों और पुलिस के बीच हिंसक टकराव हो गया. विरोध कर रहे ग्रामीणों द्वारा अचानक किए गए पत्थरबाजी में 30 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए, जबकि कुछ ग्रामीण भी इस झड़प में जख्मी हुए.
बता दें कि SECL द्वारा संचालित यह परियोजना कई सालों से विवादों में रही है और इसके विस्तार को लेकर ग्रामीणों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है. अधिकारियों के अनुसार, जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया वर्षों पहले पूरी हो चुकी है, लेकिन ग्रामीण अब भी खनन गतिविधियों का विरोध कर रहे हैं.
कैसे भड़की हिंसा?
घटना की शुरुआत तब हुई जब जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी सुबह 10 बजे मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की कि जमीन अधिग्रहण 2016 में पूरा हो चुका है तथा SECL अधिकृत रूप से खनन कार्य कर रही है. कुछ ग्रामीणों ने मुआवजा स्वीकार कर लिया था, जबकि कई अब भी पैसा लेने से इनकार करते हुए खनन रोकने की मांग कर रहे हैं.
अतिरिक्त जिला कलेक्टर सुनील नायक ने बताया कि अधिकारियों ने शांतिपूर्ण बातचीत की कोशिश की, लेकिन विरोध अचानक हिंसक हो गया और ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. गंभीर रूप से घायल पुलिसकर्मियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जबकि प्रशासन ने ग्रामीणों से सहयोग की अपील करते हुए कहा कि अपनी शिकायतें वे कानूनी माध्यमों से उठाएं.
कंपनी ने लगाए ये आरोप
SECL ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि ग्रामीणों को कुछ ऐसे तत्व भड़का रहे हैं जिनके निजी हित कोयला चोरी जैसे अवैध कार्यों से जुड़े हैं. पीटीआई के अनुसार, कंपनी के मुताबिक अमेरा खदान, जिसकी क्षमता 1.0 MTPA है, 2011 से संचालित है और 2019 में ग्रामीणों के विरोध के कारण उत्पादन बंद करना पड़ा था. 2024 में राज्य प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद परियोजना फिर शुरू की गई और अब तक परसोड़ी कला के प्रभावित परिवारों को लगभग Rs 10 करोड़ का मुआवजा और पुनर्वास लाभ दिए जा चुके हैं.
बुधवार को प्रशासन, पुलिस और कंपनी के अधिकारी बातचीत करने पहुंचे थे, लेकिन ग्रामीणों ने तुरंत पथराव शुरू कर दिया. हालात नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का उपयोग किया और दोपहर बाद स्थिति शांत होने पर शाम 5 बजे से खनन आंशिक रूप से फिर शुरू किया गया.
क्या है प्रदर्शनकारियों का कहना?
दूसरी ओर ग्रामीण अपनी जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हैं और उनका कहना है कि खदान विस्तार से उनकी पीढ़ियों का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि SECL को तो कोयला मिल जाएगा, लेकिन उनके परिवार का जीवन उजड़ जाएगा और आजीविका खत्म हो जाएगी.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने इस पूरी घटना को 5वीं सूंची, PESA Act और Forest Rights Act का सीधा उल्लंघन बताया और सरकार से अमेरा खदान विस्तार परियोजना को तुरंत रोकने की मांग की.
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों पर पुलिस द्वारा की गई कथित कार्रवाई असंवैधानिक है और सरकार को स्थानीय समुदायों की आवाज सुननी चाहिए. ग्रामीणों का मानना है कि यदि खदान को और बढ़ाया गया तो उनकी परंपरागत भूमि और जीवनशैली हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी, जिससे संघर्ष और बढ़ सकता है.
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Source: IOCL





















