एक्सप्लोरर

बिहार: महागठबंधन का मजबूत जोड़, फिर भी नीतीश कुमार की जेडीयू में क्यों मची है भगदड़?

जुलाई 2022 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद से ही जेडीयू में आंतरिक उथल-पुथल मची है. महागठबंधन में आने के बाद नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता खुद को अधिक मजबूत बताते हैं.

'जो जाना चाहते हैं, वो चले जाएं...' बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनवरी में दिए इस बयान के बाद करीब 6 बड़े नेता जेडीयू छोड़ चुके हैं. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा, पूर्व सांसद मीना सिंह और माधव आनंद जैसे नाम शामिल हैं.

हालिया इस्तीफा प्रदेश के फायरब्रांड प्रवक्ता रहीं सुहेली मेहता का हुआ है. मेहता करीब 6 महीने से पार्टी में साइड लाइन चल रही थीं.

पटना यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर सुहेली मेहता कुशवाहा जाति से आती हैं और जेडीयू में उन्हें आरसीपी सिंह गुट का माना जाता रहा है. इस्तीफा देते हुए मेहता ने कहा कि नीतीश कुमार अब अपराधियों के बदौलत सरकार चला रहे हैं. 

मेहता ने जेडीयू हाईकमान पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्टी अपने मूल धारणा से भटक गई है. मेहता ने कहा कि चापलूसों की हाथ में जेडीयू की बागडोर है.

मेहता से पहले मीना सिंह, राशि खत्री, उपेंद्र कुशवाहा, शंभुनाथ सिन्हा और माधव आनंद जैसे नेता भी इसी तरह का आरोप लगाकर जेडीयू छोड़ चुके हैं. 

जुलाई 2022 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद से ही जेडीयू में आंतरिक उथल-पुथल मची है. महागठबंधन में आने के बाद नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता खुद को अधिक मजबूत बताते हैं. 

इसके बावजूद पार्टी मची भगदड़ से सवाल उठ रहे हैं. आखिर महागठबंधन के मजबूत जोड़ के बाद भी बड़े और पुराने नेता क्यों जेडीयू छोड़ रहे हैं. 

पहले उन नेताओं की कहानी, जिन्होंने हाल में जेडीयू छोड़ी

उपेंद्र कुशवाहा- पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार का करीबी माना जाता था. कुशवाहा ने फरवरी 2023 में जेडीयू से इस्तीफा देते हुए खुद की पार्टी बना ली. कुशवाहा उस वक्त अपने साथ जेडीयू के कई नेताओं को भी तोड़कर ले गए.

कुशवाहा लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद यानी चारों सदनों के नेता रह चुके हैं. कुशवाहा नरेंद्र मोदी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके हैं. कुशवाहा जेडीयू संगठन में नंबर-2 के पद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी थे.

कुशवाहा का इस्तीफा जेडीयू के लिए इस मायने में भी झटका माना गया, क्योंकि पार्टी का जनाधार ही कुशवाहा-कुर्मी है. बिहार में कुशवाहा और कुर्मी की संख्या करीब 8 फीसदी है. लोकसभा की 4 सीटों पर उपेंद्र कुशवाहा की मजबूत पकड़ है.

मीना सिंह- आरा की पूर्व सांसद मीना सिंह ने उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मार्च 2023 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. सिंह 2008 में अपने पति अजित सिंह की मौत के बाद जेडीयू में शामिल हुई थीं. 

अजित सिंह बिक्रमगंज (अब काराकाट) सीट से लोकसभा के सांसद थे. मीना 2008 से 2014 तक लोकसभा की सांसद रही हैं. 2014 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. शाहाबाद इलाके में मीना सिंह के परिवार को काफी प्रभावशाली माना जाता है.

इनके ससुर तपेश्वर सिंह विक्रमगंज से सांसद रह चुके हैं और बिहार में उन्हें सहकारिता का सम्राट कहा जाता था. मीना के पार्टी छोड़ने के बाद आरा-भोजपुर जेडीयू में कई इस्तीफे अब तक हो चुके हैं.

माधव आनंद- जेडीयू में प्रवक्ता रहे माधव आनंद ने उपेंद्र कुशवाहा के साथ ही पार्टी छोड़ दी थी. आनंद को कुशवाहा का काफी करीबी माना जाता है. आनंद कुशवाहा की पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव की भूमिका निभा रहे हैं. आनंद चुनावी मैनेजमेंट के माहिर नेता माने जाते हैं.

राशि खत्री- जेडीयू की प्रदेश सचिव राशि खत्री ने मार्च में अपने समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया. तेजतर्रार नेता खत्री मुजफ्फरपुर जिले की रहने वाली हैं और जिला संगठन में भी काम कर चुकी हैं.

शंभुनाथ सिन्हा- जेडीयू के प्रदेश महासचिव रह चुके शंभुनाथ सिन्हा ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ मार्च ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. सिन्हा ने पार्टी की कमजोर होती स्थिति पर सवाल उठाया और कहा कि 80 लाख कार्यकर्ता कम्प्यूटर में ही बंद हैं.

सुहेली मेहता- सुहेली मेहता 2015 में परबत्ता सीट से भी चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि, जीतने में कामयाब नहीं हो पाई थीं. 2016 में उन्हें आरसीपी सिंह ने जेडीयू में शामिल कराया था. इसके बाद उन्हें प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता की जिम्मेदारी दी गई थी.

महागठबंधन में आने के बाद मजबूत स्थिति में जेडीयू
आरजेडी, कांग्रेस समेत 6 पार्टियों के साथ जेडीयू अभी बिहार में सरकार चला रही है. वोट प्रतिशत के हिसाब से देखा जाए तो यह 52 फीसदी से भी अधिक है. बिहार विधानसभा में इन पार्टियों की संख्या 160 से अधिक है. 

यानी जेडीयू और नीतीश कुमार अभी मजबूत स्थिति में हैं. नीतीश कुमार इसी स्थिति को आधार मानकर देशभर में गठबंधन बनाने की मुहिम में जुटे हुए हैं. अन्य राज्यों में नीतीश बिहार का उदाहरण भी दे रहे हैं. ऐसे में पार्टी छोड़ रहे नेताओं ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

नीतीश की पार्टी में क्यों मची है भगदड़?
महागठबंधन में आने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी में भगदड़ जैसी स्थिति बनी हुई है. हाईकमान पर सवाल उठा कर नेता पार्टी छोड़ रहे हैं. नेताओं के पार्टी छोड़ने पर जेडीयू हाईकमान ने चुप्पी साध रखी है. 

आइए जेडीयू में पलायन की वजहों को विस्तार से जानते हैं...

1. स्थानीय समीकरण पड़ रहा भारी- जेडीयू में सबसे अधिक इस्तीफा स्थानीय समीकरण की वजह से हो रहा है. आरजेडी और जेडीयू दोनों का जनाधार सीमांचल और शाहाबाद इलाके में मजबूत है. 

अधिकांश सीटों पर दोनों के बीच आमने-सामने की लड़ाई भी होती रही है. इनमें से कई जगहों पर आरजेडी का दबदबा अधिक है. अब दोनों के मिल जाने से लोकल स्तर पर नेताओं को राजनीति करने में असहजता महसूस हो रही है. 

इन्हीं सब वजहों से लगातार इस्तीफा हो रहा है. भोजपुर, मुजफ्फरपुर और खगरिया जैसे जिले में स्थानीय स्तर पर बड़ी संख्या में इस्तीफा हुआ है. 

2. लोकसभा में सीट बंटवारा भी फांस बना- उपेंद्र कुशवाहा और मीना सिंह जैसे नेताओं का इस्तीफा लोकसभा सीट की वजह से हुआ है. मीना सिंह आरा सीट से चुनाव लड़ती रही हैं, लेकिन सियासी गलियारों में इस बार यह सीट महागठबंधन में माले के खाते में जाने की चर्चा है.

2019 में आरजेडी ने माले को इस सीट पर सपोर्ट किया था. मीना सिंह ने स्थिति को भांपते हुए पहले ही इस्तीफा दे दिया. इतना ही नहीं, उपेंद्र कुशवाहा भी काराकाट सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे थे. 

यह सीट वर्तमान में जेडीयू के पास है और महाबली सिंह काराकाट से सांसद हैं. जेडीयू ने उपेंद्र कुशवाहा को लोकसभा लड़ने की सहमति नहीं दी, जिसके बाद से ही बात बिगड़नी शुरू हो गई.

बिहार के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में कई सांसद और पूर्व सांसद पार्टी छोड़ सकते हैं. इनमें सीमांचल और शाहाबाद के अधिकांश नाम होंगे.

3. गुटबाजी भी बड़ी वजह- जनता दल यूनाइटेड में एक वक्त आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा बड़े नेता थे. दोनों के समर्थक पार्टी में बड़े-बड़े पदों पर हैं. आरसीपी और कुशवाहा दोनों पार्टी छोड़ चुके हैं, लेकिन उनके समर्थक अभी भी जेडीयू में जमे हैं.

जानकारों का मानना है कि जेडीयू में अपनी जमीन फिसलता देख ने सभी नेता पार्टी छोड़ने में देरी नहीं करते हैं. सिंह और कुशवाहा के कई करीबी नेता अभी भी पार्टी में हैं, जो वक्त आने पर जेडीयू का दामन छोड़ सकते हैं.

ललन सिंह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी और कुशवाहा के करीबियों को संगठन में अलग-थलग करने की एक-दो कार्रवाई हुई भी है, लेकिन अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए हैं.

चंद्रबाबू नायडू की तरह होगा नीतीश का हाल?
बीजेपी के खिलाफ विपक्षी नेताओं को जोड़ने में जुटे नीतीश कुमार पर हाल ही में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तंज कसा था. किशोर ने कहा था कि 2019 से पहले आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू भी इसी तरह की मुहिम चला रहे थे.

पीके ने कहा कि 2019 में नायडू इस मुहिम में असफल भी रहे और खुद की पार्टी भी नहीं बचा पाई. नीतीश कुमार का भी हाल यही होने वाला है. 2024 के बाद न तो जेडीयू बचेगी और न नीतीश मिशन में सफल होंगे.

2003 में बनी जेडीयू, 10 साल में नीतीश 6 बार पलटे
2003 में जॉर्ज फर्नांडिज की समता पार्टी और शरद यादव के जनता दल को मिलाकर जनता दल यूनाइटेड का गठन किया गया था. 2004 में शरद यादव को इसका अध्यक्ष बनाया गया. 2005 के चुनाव में जेडीयू नीतीश कुमार के चेहरे पर चुनावी मैदान में उतरी.

नीतीश को बीजेपी का भी समर्थन मिला और 2005 के नवंबर में नीतीश कुमार पूर्ण बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे. 2013 में नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया.

इसके बाद पिछले 10 सालों में नीतीश कुमार 6 बार सियासी पलटी मार चुके हैं. 2013 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद 2014 का चुनाव नीतीश ने अपने बूते लड़ा, लेकिन करारी हार हुई. 

इसके बाद 2015 में आरजेडी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरे, जहां जबरदस्त जीत मिली. 2017 में नीतीश आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी में चले गए. इसके बाद 2019 और 2020 का चुनाव बीजेपी से मिलकर लड़े.

2020 में चिराग प्रकरण के बाद नीतीश कुमार बीजेपी से फिर नाराज हो गए. 2022 में नीतीश और बीजेपी का गठबंधन फिर से टूट गया. नीतीश कुमार इसके बाद महागठबंधन में आ गए.

जेडीयू ने हाल ही में दावा किया था कि उसके पास करीब 80 लाख कार्यकर्ता हैं. बिहार के अलावा जेडीयू झारखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रही है.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल

वीडियोज

Triumph Thruxton 400 Review | Auto Live #triumph
Royal Enfield Goan Classic 350 Review | Auto Live #royalenfield
Hero Glamour X First Ride Review | Auto Live #herobikes #heroglamour
जानलेवा बॉयफ्रेंड की दिलरूबा !
Toyota Land Cruiser 300 GR-S India review | Auto Live #toyota

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
'कर्नाटक को यूपी वाले रास्ते पर...', गृहमंत्री जी परमेश्वर के बुलडोजर एक्शन वाले बयान पर क्या बोले पी. चिदंबरम?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
बिहार में सरकार बनते ही जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर कर दी बड़ी मांग, CM मान जाएंगे?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
'सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है', पूर्व सांसद की याचिका पर सुनवाई करते हुए क्यों CJI को कहनी पड़ी यह बात?
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल
जब बॉलीवुड ने पर्दे पर उतारे असली गैंगस्टर्स, अक्षय खन्ना से विवेक ओबेरॉय तक दिखें दमदार रोल
शुभमन गिल को टी20 टीम में होना चाहिए या नहीं? ये क्या कह गए गुजरात टाइटंस के कोच आशीष नेहरा; जानें क्या बोले
शुभमन गिल को टी20 टीम में होना चाहिए या नहीं? ये क्या कह गए गुजरात टाइटंस के कोच आशीष नेहरा; जानें क्या बोले
सुबह उठते ही सिर में होता है तेज दर्द, एक्सपर्ट से जानें इसका कारण
सुबह उठते ही सिर में होता है तेज दर्द, एक्सपर्ट से जानें इसका कारण
फर्जीवाड़ा कर तो नहीं लिया लाडकी बहिन योजना का लाभ, वापस करना पड़ेगा पैसा; कहीं आपका नाम भी लिस्ट में तो नहीं?
फर्जीवाड़ा कर तो नहीं लिया लाडकी बहिन योजना का लाभ, वापस करना पड़ेगा पैसा; कहीं आपका नाम भी लिस्ट में तो नहीं?
BCCI का अंपायर बनने के लिए कौन-सा कोर्स जरूरी, कम से कम कितनी मिलती है सैलरी?
BCCI का अंपायर बनने के लिए कौन-सा कोर्स जरूरी, कम से कम कितनी मिलती है सैलरी?
Embed widget