'बिहार में NDA जीता, लोकतंत्र हारा', चुनावी नतीजों समेत कई मुद्दों पर खुलकर बोले तेजस्वी यादव
Tejashwi Yadav News: आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया कि लोग ऐसा बिहार चाहते थे जहां पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई, सुनवाई और कार्रवाई वाली सरकार हो. पूरे चुनाव में बेरोजगारी असल मुद्दा था.

बिहार विधानसभा चुनाव में आए नतीजों समेत कई मुद्दों पर तेजस्वी यादव ने खुलकर अपनी बात रखी है. चुनाव में आरजेडी की हार के कारणों पर चर्चा करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रदेश में एनडीए की जीत हुई है लेकिन लोकतंत्र हार गया.
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि डबल इंजन की सरकार है लेकिन एक शुगर मिल तक चालू नहीं करा पाए. उन्होंने दावा करते हुए ये भी कहा कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा था. सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा था. वो नहीं चाहते थे कि एनडीए की सरकार दोबारा बने.
उन्होंने दावा करते हुए कहा, लोग ऐसा बिहार चाहते थे जहां पढ़ाई, कमाई, दवाई, सिंचाई, सुनवाई और कार्रवाई वाली सरकार हो. लोकतंत्र हारा है और मशीनरी जीती है. इस चुनाव में उनलोगों ने कोई भी चीज छोड़ा नहीं. हमारा जो विजन था. उन सारी चीजों को सरकार ने इंप्लीमेंट किया. 20 साल से इनको याद नहीं आ रहा था कि 400 से पेंशन बढ़ाना है. जब हमने कहा तो इनलोगों ने उसे लागू किया.
हमारी हार को कोई भी हजम नहीं कर रहा- तेजस्वी यादव
कपिल सिब्बल के साथ एक इंटरव्यू के दौरान तेजस्वी यादव से पूछा गया कि 2020 में आरजेडी की 75 सीटें आईं थी लेकिन इस बार महज 25 सीटें क्यों आईं? इस पर उन्होंने कहा, ''इस बात को कोई भी हजम नहीं कर रहा है. खास तौर से बिहार की जनता से भी बात की जाए तो उन्हें भी ये बात नहीं पच रही. बीजेपी, जेडीयू या सत्ता पक्ष के विधायक भी जो चुनाव जीते हैं वो भी विश्वास नहीं कर रहे हैं. चुनाव आचार संहिता के 10 दिन पहले 10-10 हजार रुपये बांटे गए. वैसे अलग-अलग योजनाओं में करीब 40 हजार करोड़ रुपये पूरे बिहार में सीधे बांटे गए. आप ये कह सकते हैं कि रिश्वत दी गई है.''
पूरे चुनाव में बेरोजगारी असल मुद्दा था- तेजस्वी यादव
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम ने आगे कहा, ''आपने बिहार का जिक्र किया. बिहार सबसे गरीब राज्य है, यहां कोई उद्योग और कारखाना नहीं है. सबसे ज्यादा बेरोजगारी और पलायन है. शिक्षा और स्वास्थ्य के बारे में बात की जाए तो सबसे फिसड्डी राज्यों में से है लेकिन बिहार की खूबी भी है कि ये देश का सबसे युवा प्रदेश भी है. तकरीबन 60 फीसदी युवा हैं. जो असल बिहार का मुद्दा पूरे चुनाव में था, वो बेरोजगारी का था. पेपरलीक, बेरोजगारी, करप्शन हो, क्वालिटी ऑफ एजुकेशन की बात हो, बिहार में तीन कारणों से लोग सबसे ज्यादा बाहर जाते हैं, वो पढ़ाई, कमाई और दवाई है.''
'लोगों ने बढ़ चढ़कर हमलोगों को सपोर्ट किया'
उन्होंने ये भी कहा, ''20 साल तक नीतीश कुमार जी ने शासन किया. 10-11 साल से नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री हैं. डबल इंजन की सरकार है लेकिन एक शुगर मिल तक चालू नहीं करा पाए. कभी भी इन लोगों की जुबान से बेरोजगारी दूर करने, रोजगार देने या सकारात्मक बातें नहीं निकली. 2020 में सबसे पहले हमने घोषणा की थी कि अगर हम मुख्यमंत्री बनते हैं तो पहली कैबिनेट बैठक में 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की घोषणा करेंगे. लोगों ने बढ़ चढ़कर हमलोगों को सपोर्ट किया. हमारे और उनके अलायंस में बीच में डिफरेंस जो था वो सिर्फ 12 हजार वोटों का था. सीटों की बात करें तो 12-14 सीटों का ही फर्क था. 1000 से नीचे वोट से हमलोग कई सीटें हारे हैं.
हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है- तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता ये कहा, ''नीतीश कुमार के साथ शासन में रहते हुए हमलोगों ने करीब 5 लाख नौकरियां दी. हमारे हटने के बाद पेपर लीक हुआ. बेरोजगारी जो था वो सबसे बड़ा मुद्दा था. सरकार के प्रति लोगों का गुस्सा था. वो नहीं चाहते थे कि एनडीए की सरकार दोबारा बने. वो नया बिहार बनाना चाहते थे. अगर आप डेटा देखेंगे तो हमारा वोट प्रतिशत बढ़ा है.''
चुनाव का कोई मतलब नहीं रह गया- तेजस्वी यादव
उन्होंने आगे कहा, ''बदलाव सभी चाहते थे. ईवीएम सिर्फ बदलाव नहीं चाहता था, वैलेट बदलाव चाहता था. चुनाव आयोग बेईमानी के मूड में था. चुनाव आयोग पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है, ये बिल में एमेंडमेंट भी आया. जितनी भी हमारी शंकाएं थी, उसे चुनाव आयोग ने स्पष्ट नहीं किया. हमारी जितनी शिकायतें थीं, उसे नहीं सुना गया. ये जो हालत बन रहे हैं तो चुनाव का कोई मतलब नहीं रह गया है. सबकुछ फिक्स्ड है.''
Source: IOCL





















