CJI गवई पर हमले की कोशिश, भड़के तेजस्वी यादव बोले- 'यह हमारे लोकतंत्र की रीढ़ पर चोट है'
Tejashwi Yadav on CJI Issue: सर्वोच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने की घटना पर तेजस्वी यादव ने कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि यह संविधान और बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा पर हमला है.

देश की सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (6 अक्टूबर) को उस समय सनसनी फैल गई जब मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर किसी व्यक्ति ने जूता फेंक दिया. यह घटना न्यायिक इतिहास में पहली बार हुई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला बताया है.
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र और संविधान पर हमला है. उन्होंने कहा कि जब देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति को अदालत में ही अपमान का सामना करना पड़े, तो यह चिंता की बात है. यह वही माहौल है जो 2014 के बाद देश में राजकीय संरक्षण के तहत फैलाया गया, जहां घृणा और हिंसा को सामान्य बना दिया गया.
देश में संवैधानिक पद भी अब सुरक्षित नहीं- तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना को संविधान और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा के प्रति असहिष्णुता का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश दलित समुदाय से आते हैं और संविधान की भावना का पालन करते हैं. अगर ऐसे व्यक्ति भी संवैधानिक पदों पर सुरक्षित नहीं हैं, तो यह सवाल सिर्फ न्यायपालिका नहीं बल्कि पूरे देश के लिए है.
दलित विरोधी मानसिकता रखने वाले भाजपाई अब क्यों हैं चुप- तेजस्वी यादव
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि यह जूता मुख्य न्यायाधीश पर नहीं, बल्कि हमारे संविधान और उसके रचयिता बाबा साहेब अंबेडकर पर फेंका गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वाले लोग अब खुलेआम देश की संस्थाओं पर प्रहार कर रहे हैं. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान और दलित विरोधी मानसिकता रखने वाले भाजपाई इस घटना पर चुप क्यों हैं. क्या उन्हें यह सब ठीक लग रहा है. न्यायपालिका की गरिमा हमारे लोकतंत्र की रीढ़ है और इसे बचाना हर नागरिक का कर्तव्य है.
लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब हम उसकी संस्थाओं का करेंगे सम्मान
तेजस्वी यादव ने अंत में देशवासियों से अपील की कि वे ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों जो संविधान और न्याय की नींव को कमजोर कर रही हैं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत रहेगा जब हम उसकी संस्थाओं का सम्मान करेंगे और संविधान की मर्यादा को बनाए रखेंगे.
इस घटना ने न केवल न्यायिक जगत को झकझोर दिया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है. विपक्ष ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरे की चेतावनी बताया है, वहीं पूरे देश में न्यायपालिका की सुरक्षा और गरिमा पर एक नई बहस छिड़ गई है.
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Source: IOCL
























