ठंड की मार! कंबल पर सो रहा अजगर, च्यवनप्राश खा रहा चिंपांजी, पटना जू में क्या-क्या व्यवस्था?
Patna Zoo: मौसम को देखते हुए पटना जू में नाइट हाउस के हर सेल में लकड़ी के प्लेटफॉर्म लगाए गए हैं ताकि जानवरों को जमीन की ठंड न लगे. तापमान नियंत्रित रखने के लिए हीटिंग बल्ब का इस्तेमाल किया जा रहा है.

ठंड के बीच बिहार के अलग-अलग जिलों में पारा गिर रहा है. ऐसे में पटना के चिड़ियाघर में वन्यजीवों के लिए खास तैयारी शुरू कर दी गई है. राजधानी के संजय गांधी जैविक उद्यान में देश-विदेश से लाए गए जानवरों की सुरक्षा कैसे हो इसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. विभाग के अनुसार, शेल्टरों में नाइट हाउस और हीटर लगाए गए हैं. हाथी, जिराफ, भालू, अजगर और विभिन्न पक्षियों के घोंसलों में सामान्य तापमान बनाए रखने के लिए हीटिंग बल्ब भी लगाए जा रहे हैं.
पटना जू के निदेशक हेमंत पाटिल ने बताया कि नाइट हाउस के हर सेल में लकड़ी के प्लेटफॉर्म लगाए गए हैं ताकि जानवरों को जमीन की ठंड न लगे. इसके अलावा तापमान नियंत्रित रखने के लिए ऑयल हीटर चालू कर दिए गए हैं, जिससे पूरे परिसर में गर्मी का उचित स्तर बना रहे. पटना जू में प्राइमेट्स प्रजाति जैसे- बंदर, लंगूर, चिंपांजी, हूलॉक गिब्बन और लॉयन-टेल मकाक के लिए ठंड से बचाव के लिए कंबलों की विशेष व्यवस्था की गई है. वहीं सरीसृप प्रजाति के जानवरों (अजगर, कोबरा, वाइपर और धामीन) के सेल में फर्श पर कंबल बिछाए गए हैं. तापमान नियंत्रित रखने के लिए हीटिंग बल्ब लगाए गए हैं.
गर्माहट बनाए रखने के लिए पुआल का मोटा बेड तैयार
शाकाहारी वन्यजीवों के इनक्लोजर में गर्माहट बनाए रखने के लिए पुआल का मोटा बेड तैयार किया गया है. पूर्वी और पश्चिमी दिशाओं से आने वाली शीतलहर से बचाव के लिए फूस, घास और बांस की चचरी से घेराव भी किया गया है. सर्दी से अधिक प्रभावित होने वाले हाथियों की नियमित रूप से सरसों के तेल से मालिश की जा रही है और उनके आहार में गन्ना, सोयाबीन, मौसमी फल और उबला हुआ धान शामिल कर पोषण बढ़ाया गया है.
मांसाहारी प्रजातियों के आहार में भी की गई बढ़ोतरी
पटना जू में संवेदनशील वन्यजीवों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें कैल्शियम और मल्टीविटामिन की नियमित खुराक दी जा रही है. हेमंत पाटिल ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी मांसाहारी प्रजातियों के आहार में बढ़ोतरी की गई है. चिंपांजी को च्यवनप्राश, शहद, गुड़ की खीर, आंवला का मुरब्बा और मौसमी फल दिए जा रहे हैं. भालुओं को शहद, अंडा, गन्ना, गुड़ की खीर और विभिन्न मौसमी फल उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
पक्षियों के इनक्लोजर को भी शीतलहर से सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक शीट्स और एग्रोनेट से ढका गया है, ताकि पर्याप्त रोशनी और वेंटिलेशन बरकरार रहे. सभी वन्यजीवों की स्थिति पर 24 घंटे सतत निगरानी रखी जा रही है, जिससे किसी भी तरह की स्वास्थ्य आपात स्थिति पर तुरंत कार्रवाई की जा सके.
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