JDU के सीनियर नेता नरेंद्र नारायण यादव बने बिहार के प्रोटेम स्पीकर, विधायकों को दिलाएंगे शपथ
Bihar Pro-Tem Speaker: जेडीयू के सीनियर नेता नरेंद्र नारायण यादव को राज्यपाल ने प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई. 74 साल की उम्र में वो आठवीं बार विधायक चुने गए हैं.

बिहार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जेडीयू के सीनियर नेता नरेंद्र नारायण यादव को बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई. नरेंद्र नारायण यादव नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलायेंगे. इस बार वो आलमनगर सीट से जीते हैं. उन्होंने वीआईपी के नबीन कुमार को 55 हजार 465 वोटों से हराया. नरेंद्र नारायण यादव को 1 लाख 38 हजार 401 वोट मिले. नबीन कुमार को 82 हजार 936 वोट मिले. इस सीट पर जन सुराज के सुबोध कुमार सुमन 8934 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
बिहार सरकार में मंत्री भी रहे
आलमनगर सीट से 1955 में वो पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद से वो लगातार यहां से जीतते रहे हैं. उन्हें सीएम नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में से एक माना जाता है. वो बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं.
प्रोटेम स्पीकर का दायित्व?
प्रोटेम स्पीकर सदन के अस्थाई अध्यक्ष होते हैं. वो नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाते हैं ताकि सदन की कार्यवाही आगे बढ़ सके. स्थायी अध्यक्ष नियुक्त होने तक प्रोटेम स्पीकर की भूमिका अहम मानी जाती है.
आलमनगर सीट को जानें
बिहार के मधेपुरा जिले में की आलमनगर विधानसभा सीट एक सामान्य श्रेणी की सीट है. यह सीट मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. यह विधानसभा क्षेत्र न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि सामाजिक और भौगोलिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. सहरसा, खगड़िया, भागलपुर, नवगछिया, कटिहार और पूर्णिया जैसे जिलों से सटे होने के कारण यह इलाका राजनीतिक रूप से विविधता से भरा है.
इस सीट से कब कौन जीता?
1952 में हुए पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के तनुक लाल यादव विजयी हुए थे. इसके बाद 1957 से 1972 तक कांग्रेस के यदुनंदन झा और विद्याकर कवि ने पांच बार जीत दर्ज की. 1977 से लेकर 1990 तक बीरेन्द्र कुमार सिंह ने जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल के टिकट पर लगातार चार बार इस सीट पर कब्जा जमाया. इसके बाद 1995 से नरेंद्र नारायण यादव इस क्षेत्र के निर्विवाद नेता बनकर उभरे. वे जनता दल और फिर जेडीयू के टिकट पर लगातार सात बार विधायक चुने गए. यह रिकॉर्ड उन्हें इस क्षेत्र की राजनीति का सबसे मजबूत चेहरा बनाता है.
जातीय समीकरण की बात करें तो आलमनगर में यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा राजपूत, ब्राह्मण, कोइरी, कुर्मी, रविदास और पासवान भी ज्यादा संख्या में हैं.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























