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Inside Story: बीजेपी का 'दांव' निशाने पर लगा, लालू यादव के गढ़ में कैसे खिला कमल? जानिए क्यों कुसुम देवी पर था भरोसा

Bihar Bypolls Result 2022: बीजेपी ने गोपालगंज विधानसभा सीट को अपने नाम कर लिया है. मरहूम सुभाष सिंह की पत्नी कुसुम देवी पर बीजेपी ने कई कारणों से दांव खेला था. यहां जानिए इसके पीछे का कारण.

पटना: बिहार में दो सीटों पर उपचुनाव (By Elections 2022) के नतीजे आ गए. रविवार को काउंटिंग का रिजल्ट आया जहां मोकामा में आरजेडी ने जीत दर्ज की. गोपालगंज में बीजेपी ने जीत का परचम लहरा लिया. गोपालगंज में हालांकि ज्यादा वोटों का अंतर नहीं रहा, लेकिन 2183 वोटों से मरहूम सुभाष सिंह (Subhash Singh) की पत्नी कुसुम देवी ने चुनाव जीत कर बीजेपी का परचम लहरा दिया. गोपालगंज बीजेपी के हाथ आने के कई कारण हैं. बीजेपी ने कुसुम देवी (Kusum Devi) पर दांव खेला था जो कि एकदम सटीक बैठ गया. गोपालगंज लालू का गढ़ होने के बाद भी उनके हाथ नहीं आया. चार साल से बीजेपी और इस साल भी बीजेपी का डंका रहा.

नीतीश-तेजस्वी साथ लेकिन जादू गोपालगंज में नहीं चला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपचुनाव में जीत का जिम्मा तेजस्वी यादव को दिया. मोकामा के साथ-साथ गोपालगंज में तेजस्वी ने ताबड़तोड़ रैलियां की. इसके बाद भी दो हजार के आसपास वोटों से महागठबंधन हार गई. रिपोर्ट्स की मानें तो महागठबंधन के सात दल साथ होने के बाद भी गोपालगंज में सब बिखरे थे. जेडीयू और कांग्रेस ने तो पहले ही चुनाव प्रचार से दूरी बना ली थी. नीतीश और तेजस्वी के साथ होने के बाद भी यहां महागठबंधन का जादू नहीं चल सका. ये भी बीजेपी की जीत का कारण माना जा रहा.

कुसुम देवी को उम्मीदवार बनाना सबसे पहला दांव

ज्ञात को कि दिवंगत नेता सुभाष सिंह की गोपालगंज में चलती थी. चार बार यहां से विधायक रह चुके थे. उनकी निधन पर सीट खाली हुई. उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ. बीजेपी बिहार सरकार में सत्ता से हट गई. सुभाष सिंह बीजेपी के नेता थे. बीजेपी ने आरजेडी को मात देने के लिए उनकी पत्नी को मैदान में उतारा. 2020 में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के भाई साधु यादव को सुभाष सिंह ने हराया था. बीजेपी सुभाष सिंह की पत्नी को अपनी जीत पहले ही समझ रही थी इसलिए उनको मैदान में उतारा.

लोकप्रिय नेता थे सुभाष सिंह

दिवंगत नेता पूर्व विधायक सुभाष सिंह बीजेपी के वरिष्ठ और लोकप्रिय नेताओं में से एक थे. उनके निधन पर सीट खाली हुई. बीजेपी ने सहानुभूती कार्ड खेला और सुभाष सिंह की पत्नी को आरजेडी के सामने उतारा. मरहूम सुभाष सिंह की पत्नी को जनता ने सच में सराह लिया और गोपालगंज सीट बीजेपी की झोली में आ गई.

लालू का गृह जिला गोपालगंज लेकिन कब्जा बीजेपी का

चार बार से यहां बतौर विधायक सुभाष सिंह ने राज क्या है. 15 सालों से उनका यहां दबदबा रहा था. एक या दो बार आरजेडी की ओर से प्रत्याशियों को उतारा गया, लेकिन फिर भी सुभाष सिंह ने ही बाजी मारी थी. साल 2020 में बसपा से लड़ रहे साधु यादव को भी सुभाष सिंह ने हराया था. आरजेडी की ओर से दो बार मुस्लिम उम्मीदवार रेयाजुल हक को टिकट मिला था, लेकिन ध्रुवीकरण की राजनीति का फायदा उठाकर हर बार बीजेपी विधायक सुभाष सिंह ने बाजी मारी. साल 2020 में भी उनका ही दबदबा रहा. उनका निधन हो गया इसके बाद साल 2022 में भी उनकी पत्नी को मैदान में उरकर बीजेपी ने जीत हासिल कर ली. 

बीजेपी के लिए सुरक्षित सीट गोपालगंज

एक तरह से देखा जाए तो गोपालगंज हमेशा से बीजेपी का ही रहा है. जनता सुभाष सिंह को पसंद करती थी. बीजेपी के लिए ये सीट पहले से ही महत्वपूर्ण मानी जा रही थी. राजपूतों का भी यहां दबदबा है. सुभाष सिंह राजपूत नेता थे. ये भी एक कारण रहा कि बीते चार चुनाव में बीजेपी की टिकट पर सुभाष सिंह ने ही जीत दर्ज की थी. बीजेपी ने उनकी पत्नी पर दाव लगाया और जीत भी पा ली. बता दें कि साल 2020 में चुनाव जीतने के बाद सुभाष सिंह सहकारिता मंत्री रहे थे, लेकिन उनका निधन हुआ और सीट खाली होने के बाद उपचुनाव कराए गए.

यह भी पढ़ें- Mokama Bypolls Result: मोकामा में दिखा अनंत सिंह का जलवा, पत्नी नीलम सिंह विजयी, यहां जानें जीत के 11 कारण

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