HAM या चिराग पासवान? राज्यसभा की एक सीट पर मांझी ने NDA में फंसाया पेच! समझिए
Bihar Politics: 2026 में बिहार कोटे की पांच राज्यसभा की सीटें खाली हो रही हैं. इन सीटों के लिए अभी से दावेदारी शुरू हो गई है. जीतन राम मांझी के बयान से सियासी पारा चढ़ गया है.

अगले साल (9 अप्रैल 2026 को) बिहार कोटे की पांच राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं. इसमें अभी जेडीयू की दो, आरजेडी की दो और एक उपेंद्र कुशवाहा की सीट है. सीटों के खाली होने में कुछ महीने का वक्त जरूर है लेकिन इसके लिए बयानबाजी शुरू हो गई है. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के एक बयान से एनडीए में टेंशन की तस्वीर दिख रही है.
इस बार (2025) के विधानसभा चुनाव में एनडीए की 202 सीटों पर जीत हुई है. इस हिसाब से यह तय हो चुका है कि इस बार आरजेडी से कोई राज्यसभा नहीं जा सकेगा. दो सीट जेडीयू के पास ही रहेगी तो दो बीजेपी को मिलेगी. ऐसे में बची एक सीट को लेकर सवाल है कि वह चिराग पासवान के खाते में जाएगी या जीतन राम मांझी को दिया जाएगा?
एक सीट को लेकर कहां से शुरू हुआ विवाद?
दरअसल जीतन राम मांझी ने बीते रविवार को गयाजी में एक समारोह के दौरान अपने भाषण में यह कहा कि लोकसभा में हमने दो सीट मांगी थी तो एक सीट मिली, अब राज्यसभा में भी एक भी सीट नहीं मिल रही है. दो जेडीयू और दो बीजेपी एवं एक सीट एलजेपी रामविलास को मिलने जा रही है. उन्होंने अपने बेटे संतोष सुमन को कहा कि इस पर मन बनाइए, हमें क्यों नहीं मिलेगा? अगर नहीं मिलेगा तो गठबंधन तोड़ देंगे. मांझी के इसी बयान के बाद एनडीए में राज्यसभा की एक सीट को लेकर विवाद सामने आया है.
समझिए पॉलिटिकल एक्सपर्ट क्या कहते हैं…
बिहार की राजनीति को समझने वाले और पॉलिटिकल एक्सपर्ट धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि जीतन राम मांझी अभी से दबाव की राजनीति कर रहे हैं. वर्तमान में जो चर्चा है उस हिसाब से चिराग पासवान का पलड़ा भारी लग रहा है. संख्या की बात करें तो चिराग पासवान के पास 19 विधायक हैं, जीतन राम मांझी के पास पांच विधायक हैं. मांझी दबाव इसलिए बना रहे हैं कि अगर राज्यसभा की सीट नहीं मिली तो एक सीट विधान परिषद ही मिल जाए. धीरेंद्र कुमार ने कहा कि दो सीट बीजेपी के पास रहेगी, ऐसे में यह कोई जरूरी नहीं है कि दोनों सीट बीजेपी अपने पास ही रखे. एक सीट अपने सहयोगी को दे सकती है. ज्यादा चर्चा चिराग पासवान की है.
दूसरी ओर यह भी कहा कि यह कोई जरूरी नहीं है कि राज्यसभा की दो सीट में एक सीट नितिन नबीन को ही मिले, ऐसा कोई नियम नहीं है और न ही कोई दबाव है. नितिन गडकरी जब राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे तो महाराष्ट्र में वह विधान परिषद के सदस्य थे. राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए भी वह विधान परिषद के सदस्य रहे. उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया था. राष्ट्रीय अध्यक्ष को राज्यसभा या लोकसभा जाना अनिवार्य नहीं है. वह किसी राज्य का भी सदस्य रहे तो कोई दिक्कत नहीं है.
एलजेपी रामविलास ने क्या कहा?
इस पूरे मामले में एलजेपी रामविलास के प्रवक्ता डॉ. विनीत सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के तर्ज पर काम करती है. हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है बिहारवासियों की समस्या कैसे दूर हो. रही बात राज्यसभा में जाने की तो इसके लिए एनडीए के घटक दलों की बैठक होगी उसमें जो निर्णय होगा हमारी पार्टी को मंजूर होगा."
मांझी की पार्टी बोली- हमारे नेता ने सही कहा
जीतन राम मांझी की पार्टी के प्रवक्ता राजेश रंजन ने कहा कि हमारे नेता जीतन राम मांझी ने जो कहा है वह बिल्कुल सही है. हम लोगों को राज्यसभा की एक सीट मिलनी चाहिए. यह बात सही है कि हमारे पास संख्या नहीं है, लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन है तो बीजेपी को यह सोचना है कि हमें कैसे एक सीट देती है.
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Source: IOCL























