Bihar Politics: राहुल गांधी पर एकजुट हुआ महागठबंधन, BJP का मुकाबला करने के लिए बिहार विपक्ष को मिला बड़ा मुद्दा
Mahagathbandhan Politics in Bihar: एक कांग्रेस नेता ने कहा था कि बीजेपी विपक्ष को अदालती मामलों में व्यस्त रखती है और चुनाव जीतने के लिए हिंदुत्व कार्ड का इस्तेमाल करती है.

Loksabha Election 2023: आपराधिक मानहानि मामले में सूरत की अदालत की ओर से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को दोषी ठहराने के बाद संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए गए कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी के मामले ने बिहार में विपक्षी दलों को बीजेपी (BJP) को घेरने की नई उम्मीद दे दी है.
केंद्रीय जांच एजेंसियों के डर को राहुल गांधी मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच इस अभूतपूर्व एकता का कारण माना जा रहा है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का परिवार लगातार केंद्रीय एजेंसियों के रडार पर है. राहुल गांधी की सजा और अयोग्यता के बारे में पूछे जाने पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejasgwi Yadav) ने कहा कि हम सब कुछ देख रहे हैं और समय आने पर बीजेपी को अच्छे तरीके से जवाब देंगे.
बीजेपी के पक्ष में नहीं है जातीय समीकरण
तेजस्वी ने अपनी टिप्पणी से यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि वह बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं. एक कांग्रेस नेता ने कहा था कि बीजेपी विपक्ष को अदालती मामलों में व्यस्त रखती है और चुनाव जीतने के लिए हिंदुत्व कार्ड का इस्तेमाल करती है. लेकिन अब राहुल गांधी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि वे विपक्ष अदालती मामलों और जांच एजेंसियों से नहीं डरते.
जाति संयोजन के माध्यम से मुकाबला किया जाएगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वह राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में नहीं है. इसके अलावा, जातिगत समीकरण भी राज्य में बीजेपी के लिए आदर्श नहीं है.
ऐसा है बिहार का जातीय समीकरण
जब बिहार के जातिगत समीकरण की बात आती है, तो मुसलमानों के पास 18 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हैं, इसके बाद यादव (16 प्रतिशत), कुशवाहा (12 प्रतिशत) और भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत और कायस्थ सहित उच्च जातियों के पास लगभग 15 प्रतिशत वोट हैं. ये अनुमानित आंकड़े हैं और सटीक संख्या राज्य में जाति आधारित जनगणना के पूरा होने के बाद सामने आएगी, जो अभी चल रही है और राज्य सरकार ने घोषणा की है कि इसे 11 महीने में पूरा कर लिया जाएगा.
बीजेपी की हिंदुत्व वाली राजनीति का मुकाबला करने के लिए जातीय समीकरण ही एकमात्र हथियार है. मुस्लिम और यादव आरजेडी के कोर वोटर हैं और लव (कुर्मी में 4 फीसदी वोटर हैं)-कुश (कुशवाहा में करीब 12 फीसदी वोटर हैं) जेडीयू के कोर वोटर हैं. दूसरी ओर, राज्य में सवर्ण वोटरों का झुकाव बीजेपी की तरफ है.
आसान नहीं है आरजेडी का समीकरण तोड़ना
ऐसे में बीजेपी नेताओं को पता है कि वे आसानी से राजद के एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण में प्रवेश नहीं कर सकते, वे जदयू वोट बैंक को कमजोर करने के लिए जाते हैं. राज्य में भगवा पार्टी के निशाने पर कुशवाहा समाज के वोटर हैं. जिस तरह से उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू छोड़कर और अब खुले तौर पर बीजेपी का समर्थन कर एक नई पार्टी - राष्ट्रीय लोक जनता दल (आरएलजेडी) का गठन किया है, वह इस बात के संकेत है कि बीजेपी नीतीश कुमार के कुशवाहा वोट बैंक को नुकसान पहुंचाएगी.
उपेंद्र कुशवाहा ने खुलकर ऐलान कर दिया है कि ऐसा कोई नेता नहीं है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सके. कुशवाहा समुदाय पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए भगवा पार्टी ने कुशवाहा समाज के सम्राट चौधरी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष तक बना दिया है.
कुशवाहा समाज पर बीजेपी डाल रही है डोरे
इसके जरिए कुशवाहा समुदाय के मतदाताओं को यह संदेश देना है कि नीतीश कुमार उनके नेता नहीं हैं. बीजेपी की रणनीति का मुकाबला करने के लिए जदयू ने जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए जंबो जेट टीमें तैयार कीं. हैं. 32 नेताओं वाली राष्ट्रीय टीम का नेतृत्व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह कर रहे हैं, जबकि 252 नेताओं वाली राज्य टीम का नेतृत्व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कर रहे हैं.
जदयू भी कुशवाहा वोट बैंक को साधने में जुटी
जदयू ने कुशवाहा वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए दो कुशवाहा नेताओं को रोहतास और मुजफ्फरपुर जिले का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी है. उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के बाद कुशवाहा वोट के नुकसान की भरपाई करने का विचार है. इसके अलावा, उसने उपेंद्र कुशवाहा के स्थान पर मंगनी लाल मंडल को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है.
जदयू की राष्ट्रीय टीम में पांच मुस्लिम चेहरे
जदयू ने राष्ट्रीय टीम में मुस्लिम समुदाय के पांच नेताओं को जगह दी है. उनके अलावा चार नेता सवर्ण, लव-कुश समुदाय के आठ नेता, यादव समाज के दो नेता, ईबीसी के छह नेता और दो महादलित नेताओं को भी राष्ट्रीय टीम में जगह दी गई है.
आसान नहीं है बीजेपी का महागठबन से जीतना
बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग्य का फैसला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. 2019 में बिहार में जेडीयू के समर्थन वाले बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, अब स्थिति बदल गई है. 2024 में बीजेपी विपक्ष में है और उसे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले सात दलों के गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ना है. उसे लालू प्रसाद यादव, जीतन राम मांझी और वाम दलों के नेताओं के पराक्रम का सामना करना है.
राहुल की सदस्यता जाने से और मजबूत हुआ महागठबंधन
'भारत जोड़ो यात्रा' के बाद और राहुल गांधी की अयोग्यता के मुद्दे ने बिहार में कांग्रेस में नई जान फूंक दी है. यही वजह है कि बीजेपी के 'चाणक्य' और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपनी पार्टी की स्थिति मजबूत करने के लिए बिहार का लगातार दौरा कर रहे हैं. शाह के दौरे पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद के वरिष्ठ नेता और विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा, अमित शाह के दौरे का बिहार में ज्यादा असर नहीं होगा.
लोग जानते हैं कि बीजेपी का मतलब 'बड़ा झूठा पार्टी' है. यह कई वादों के साथ सत्ता में आई थी और उनमें से कोई भी पूरा नहीं हुआ. बेरोजगारी, महंगाई, किसानों के मुद्दे अभी भी राज्य और देश को परेशान करते हैं. महागठबंधन राज्य की सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करेगा.
Source: IOCL





















