(Source: ECI / CVoter)
बिहार: नैवेद्यम को FSSAI ने दिया भोग सर्टिफिकेट, जानें- महावीर मंदिर में मिलने वाले प्रसाद की खासियत
नैवेद्यम को विशिष्ट गुणवत्ता, स्वाद, शुद्धता, हाइजीन आदि मानकों पर खरा उतरने के बाद एफएसएसएआई ने यह सर्टिफिकेट दिया है. अभी तक अंकलेश्वर, महाकालेश्वर समेत देश के चुनिंदा मंदिरों के प्रसाद को ही यह सर्टिफिकेट मिला है.
पटना: अगर आप बिहार से हैं, तो नैवेद्यम के बारे में जरूर जानते होंगे. पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर का वो स्पेशल प्रसाद जिसे लेते आने के लिए आपके रिश्तेदार हमेशा फरमाइश करते होंगे. पटना में बहुत लोग महावीर मंदिर नैवेद्यम के लिए ही जाते हैं. इस कारण उसका स्वाद है और इसी वजह से आज नैवेद्यम को भोग सर्टिफिकेट से नवाजा गया है. भारत भर में आज तक सिर्फ आठ मंदिरों के प्रसाद को भोग सर्टिफिकेट से नवाजा गया है. ऐसे में पटना स्थित महावीर मंदिर देश का 9वां और बिहार का पहला मंदिर बन गया है, जिसके प्रसाद को भोग सर्टिफिकेट से नवाजा गया है.
देश के चुनिंदा मंदिरों के प्रसाद को ही मिला है यह सर्टिफिकेट
बता दें कि नैवेद्यम को उसको विशिष्ट गुणवत्ता, स्वाद, शुद्धता, हाइजीन आदि मानकों पर खरा उतरने के बाद एफएसएसएआई ने यह सर्टिफिकेट दिया है. मंगलवार को बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव सह खाद्य सुरक्षा के नोडल पदाधिकारी डॉ. कौशल किशोर के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा की टीम ने महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल को मन्दिर प्रांगण में सर्टिफिकेट प्रदान किया. इस अवसर पर पटना के खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी अजय कुमार, एफएसएसएआई के तकनीकी सहायक तपेश्वरी सिंह, नैवेद्यम प्रभारी आर. शेषाद्री उपस्थित रहे. अभी तक अंकलेश्वर, महाकालेश्वर समेत देश के चुनिंदा मंदिरों के प्रसाद को ही यह सर्टिफिकेट मिला है.
इस तरह तैयार किया जाता है प्रसाद
बता दें कि पटना स्थित महावीर मंदिर में प्रसाद के रूप में नैवेद्यम मिलने की शुरुआत 22 अक्टूबर, 1992 को तिरुपति मंदिर के प्रसाद के तर्ज पर की गई थी. मंदिर के संस्थापक आचार्य कुणाल ने बताया कि तिरुपति के 75 स्पेशल कारीगर इसे बनाते है. नैवेद्यम को गाय के घी, चना दाल, काजू, किसमिस और इलायची से तैयार किया जाता है. ये इतना स्वादिष्ट होता है कि लोग इस खरीदने के लिए मंदिर पहुंचते रहते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रत्येक महीने श्रद्धालु 83 हजार किलो नैवेद्यम खरीदते हैं.
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