बिहार चुनाव 2025: JDU की एक ऐसी सीट जहां 25 साल से है पार्टी का कब्जा, नहीं टिक पाता विपक्ष
Bihar Assembly Elections 2025: सुपौल में पहली बार 1952 में मतदान हुआ, जब कांग्रेस के लहटन चौधरी विजयी रहे. 1967 से 1972 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही.

देश की आजादी के बाद कांग्रेस का गढ़ रही बिहार की सुपौल विधानसभा सीट पर पिछले 25 सालों से जेडीयू का कब्जा है. बिहार सरकार में मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव साल 2000 से इस सीट से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं, उनकी जीत अन्य दलों के लिए अभेद्य किला बनी हुई है.
दरअसल, यह सीट सुपौल जिले और लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. सुपौल में पहली बार 1952 में मतदान हुआ, जब कांग्रेस के लहटन चौधरी विजयी रहे. 1967 से 1972 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही. बिजेंद्र प्रसाद यादव ने 1990 में जनता दल के टिकट पर पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की, तब से उनकी जीत का सिलसिला कायम है.
1990 और 1995 में वे जनता दल से विधायक चुने गए. हालांकि, 2000 में वे पहली बार जेडीयू के टिकट से विधायक चुने गए. चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 विधानसभा चुनाव में बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के मिन्नतुल्लाह रहमानी को 28,099 वोटों से हराया. उस चुनाव में जेडीयू का वोट प्रतिशत 50 से अधिक था, जबकि कांग्रेस को 33 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे.
चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में सुपौल सीट पर कुल 2,88,703 मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,07,471 हो गए. 2020 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 59.55% रहा. इस सीट के निर्णायक मतदाताओं में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 20% से अधिक, यादव समुदाय 16.5%, अनुसूचित जाति 13.15%, और शहरी मतदाता 15.05% हैं.
बाढ़ के दौरान प्रभावित रहता है ज्यादातर हिस्सा
बताया जा रहा है कि यह क्षेत्र वैदिक काल से मिथिलांचल का हिस्सा रहा है. कोसी नदी जिले के बीच से बहती है और बाढ़ के दौरान यहां का अधिकांश हिस्सा प्रभावित होता है. सुपौल के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य पर नजर डालें तो यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर है, जहां धान, मक्का और दालें प्रमुख फसलें हैं. हालांकि, क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान बाढ़ के कारण होता है. यहां औद्योगिक विकास सीमित है। 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने सुपौल को भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया, जिसके चलते इसे विशेष सहायता भी मिली.
एनडीए के मजबूत गठबंधन और विपक्ष के 'इंडिया गठबंधन' के बीच सुपौल में आगामी चुनावी मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है. हालांकि, बिजेंद्र यादव की स्थापित लोकप्रियता और जेडीयू का मजबूत आधार निरंतरता की ओर इशारा करते हैं, लेकिन विपक्षी एकजुटता नई चुनौतियां पेश कर सकती है.
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